प्रधान सचिव ने नौ जिलों के सीएस से स्पष्टीकरण मांगा

मलेरिया रोधी दवा नहीं खरीदे जाने का मामला रांची : मलेरिया की दवा नहीं खरीदे जाने पर स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे ने नौ जिलों के सिविल सर्जन को शो कॉज नोटिस जारी किया है. प्रधान सचिव ने रांची, पलामू, कोडरमा, देवघर, पूर्वी सिंहभूम, प सिंहभूम, धनबाद, हजारीबाग एवं लातेहार के सिविल सर्जन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2018 6:49 AM
मलेरिया रोधी दवा नहीं खरीदे जाने का मामला
रांची : मलेरिया की दवा नहीं खरीदे जाने पर स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे ने नौ जिलों के सिविल सर्जन को शो कॉज नोटिस जारी किया है. प्रधान सचिव ने रांची, पलामू, कोडरमा, देवघर, पूर्वी सिंहभूम, प सिंहभूम, धनबाद, हजारीबाग एवं लातेहार के सिविल सर्जन को शो कॉज नोटिस जारी कर पूछा है कि किन परिस्थितियों में आपके जिले में मलेरिया रोधी दवा का क्रय नहीं किया जा सका? क्यों नहीं कार्य के प्रति शिथिलता बरतने के कारण आपके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जाये. प्रधान सचिव ने 24 घंटे में जवाब मांगा है.
प्रधान सचिव ने लिखा है कि बीडी कार्यालय के पत्रांक 634, दिनांक 9.7.18 द्वारा दिनांक 17.7.18 से 20.7.18 तक चरणबद्ध तरीके से जिलों की समीक्षात्मक बैठक बुलायी गयी थी. समीक्षा के क्रम में यह ज्ञात हुआ कि आपके अधीन जिले के क्षेत्रों में मलेरिया रोधी दवा एवं अन्य सामग्रियां सादा स्लाइड, निडिल, आइइसी सामग्री के मुद्रण की घोर कमी है.
दवा एवं सामग्री की अनुपलब्धता की स्थिति में कार्य होने से इनकार नहीं किया जा सकता. आगे लिखा गया है कि मलेरिया रोधी दवाओं का क्रय विकेंद्रीकृत है, जिला स्तर/स्थानीय स्तर पर क्रय कर स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है. सचिव ने लिखा है कि मलेरिया रोधी दवा उपलब्ध नहीं रहने के कारण रोगी का उपचार नहीं किया जा सकता है और ऐसी परिस्थिति में रोगी की जान खतरे में पड़ सकती है. सभी जिलों में राज्य बजट एवं एनएचएम से दवा क्रय हेतु राशि आवंटित है. राशि उपलब्ध रहते हुए दवा क्रय नहीं किया जाना घोर लापरवाही का सूचक है.
स्वास्थ्य विभाग ने रुबेला को लेकर शंका का किया निदान
आशंका में नहीं रहें, करायें टीकाकरण
रांची़ : रूबेला टीका को लेकर लोगों में भ्रम है. अभिभावक यह सोच रहे हैं कि जब मिजिल्स/ एमआर/ एमएमआर का टीका दिला दिया गया है, तो इस टीका को लगाने का क्या औचित्य है. स्वास्थ्य मंत्रालय के इस अभियान की शुरुआत 26 जुलाई से हो रही है. स्कूलों में टीकाकरण को सफल बनाने के लिए सहयोग मांगा गया है. स्कूलों ने अभिभावकों को रूबेला टीका दिलाने के लिए उनकी सहमति मांगी है, लेकिन कई अभिभावक असमंजस में हैं कि वे टीका दिलायें या नहीं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों के मन में आ रहे सवालों का जवाब दिया है, जिसे प्रभात खबर प्रकाशित कर रहा है.
Qकिस उम्र सीमा के बच्चों को यह टीका लेना चाहिए?
यह एक खुराक की दवा है, जिसे नौ माह के बच्चे से लेकर 15 साल के किशोर ले सकते हैं.
Qअभियान में नौ माह से ऊपर व 15 साल से नीचे को क्यों शामिल किया गया है?
यह देखा गया है कि 15 साल से नीचे आयु वर्ग के किशोर मिजिल्स व रूबेला की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में इस
उम्र सीमा को निर्धारित की गयी है.
Qयह अभियान कहां चलाया जायेगा?
यह अभियान स्कूल, सरकारी अस्पताल व हेल्थ सेंटर में चलाया जायेगा. जिनकी उम्र नौ माह से 15 साल से नीचे है,
वे टीकाकरण में शामिल हो सकते हैं.
Qकिस तरह के बच्चों का टीकाकरण नहीं किया जा सकता है ?
वैसे बच्चे जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हों, जिन्हें हाइ फीवर हो अथवा किसी कारण से अस्पताल में भर्ती हों.
Qकिसी बच्चे को मिजिल्स का टीका लगा है, तो उसे मिजिल्स रुबेला का टीका दे सकते हैं या नहीं ?
हां यह टीका दिया जा सकता है. नौ महीने से 15 साल से नीचे के बच्चे जिनको टीका पड़ा है, वे यह टीका ले सकते हैं.
Qअगर अज्ञान में किसी को एमआर का टीका नहीं दिया गया है, तो क्या होगा?
एेसे बच्चे को मिजिल्स व रूबेला होने का खतरा रहता है.
Qअभियान में जो रुबेला वैक्सीन दी जा रही है, वह सुरक्षित है?
यह टीका पूरी तरह से सुरक्षित है और काफी दिनों से 149 देशों में दिया जा रहा है

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