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शेल्टर होम व अॉब्जर्वेशन होम में 196 स्वीकृत पदों में से 156 खाली

महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा के सचिव का वेतन राेका गया मामला झारखंड में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को पूरी तरह से लागू करने का रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को पूरी तरह से लागू करने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग […]

महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा के सचिव का वेतन राेका गया

मामला झारखंड में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को पूरी तरह से लागू करने का
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को पूरी तरह से लागू करने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. शेल्टर होम व अॉब्जर्वेशन होम में बड़ी संख्या में पद रिक्त रहने को गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जतायी. महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव के वेतन भुगतान पर रोक लगाने को कहा. इस बाबत खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि शेल्टर होम व अॉब्जर्वेशन होम में 196 स्वीकृत पदों में से वर्तमान में 156 पद खाली हैं. इन पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाल कर तुरंत भरने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने का दिया था निर्देश : खंडपीठ ने सरकार को छूट दी कि वह नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के बाद हस्तक्षेप याचिका (आइए) दायर कर सचिव के वेतन भुगतान पर से रोक हटाने संबंधी आग्रह कर सकती है. साथ ही खंडपीठ ने सरकार को रांची व डाल्टेनगंज जेल में बंद तीन बच्चों को अॉब्जर्वेशन होम में शिफ्ट करने का निर्देश दिया. इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए अगली सुनवाई के लिए 31 अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को बताया गया कि राज्य के विभिन्न जिलों के शेल्टर होम व अॉब्जर्वेशन होम में 79 प्रतिशत पद (156 पद) रिक्त हैं. देवघर व चाईबासा में सभी स्वीकृत पद खाली हैं. राज्य में एक स्पेशल होम, 10 अॉब्जर्वेशन होम व सरकार द्वारा संचालित दो चिल्ड्रेन होम हैं. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाइकोर्ट को राज्य में जेजे एक्ट लागू करने के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करने को कहा था. इसके बाद झारखंड हाइकोर्ट ने भी मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है.

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