रांची : सवाल उठाने से देशद्रोही होता हूं, तो होने दें : स्टेन स्वामी
रांची : सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी ने उन पर देशद्रोह के मुकदमों के मामले में अखबारों को चिट्ठी जारी की है. इसमें उन्होंने कहा है कि विगत दो दशकों से उनकी पहचान आदिवासी जनता, उनके गौरव व आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करनेवाले व्यक्ति के रूप में रही है. एक लेखक के रूप में वह उन […]
रांची : सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी ने उन पर देशद्रोह के मुकदमों के मामले में अखबारों को चिट्ठी जारी की है. इसमें उन्होंने कहा है कि विगत दो दशकों से उनकी पहचान आदिवासी जनता, उनके गौरव व आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करनेवाले व्यक्ति के रूप में रही है.
एक लेखक के रूप में वह उन सभी मुद्दों के विश्लेषण का प्रयास करते हैं, जो आदिवासियों से जुड़ी रही हैं. इसके तहत भारतीय संविधान के आलोक में झारखंड सरकार की विभिन्न नीतियों व कानूनों के प्रति स्पष्ट रूप से अपनी असहमति भी प्रकट की है़
उन्होंने कहा कि मैंने हाल में झारखंड सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में संशोधन पर भी सवाल उठाया है, जो आदिवासी समुदाय के लिए बर्बादी का माध्यम साबित हो सकता है. भूमि बैंक पर भी सवाल उठाया है, जो आदिवासियों की जमीन पर सबसे ताजा हमला है. ये ऐसे सवाल हैं, जिन्हें वह लगातार उठाते रहे है़ं सवाल उठाने से यदि देशद्रोही होता हूं, तो ऐसा होने दें.
पत्थलगड़ी मुद्दे पर उनका सवाल है कि आखिर आदिवासी अभी ऐसा क्यों कर रहे हैं? वह मानते हैं कि धैर्य की सभी सीमाओं के पार जाकर आदिवासियों का दमन व शोषण किया गया है, इसलिए वे ‘अब बहुत हो चुका’ की स्थिति में है़ं अपनी पहचान ग्राम सभा सशक्तीकरण द्वारा स्थापित करने का प्रयास कर रहे है़ं उन्होंने संविधान की पांचवीं अनुसूची को लागू न किये जाने पर सवाल उठाया है़
उन्होंने वनाधिकार अधिनियम 2006 पर आधी-अधूरी कार्यवाही पर सवाल उठाया है. पारंपरिक रूप से वनों पर वनाश्रितों के अधिकार का लगातार उल्लंघन किया गया है.
अब झारखंड सरकार ग्राम सभा को दरकिनार कर आदिवासियों की जमीन का अधिग्रहण कर उद्योगपतियों को दे रही है. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश कि जमीन का मालिक जमीन के अंदर पड़े खनिज संपदा का भी मालिक है, को लागू न किये जाने के संबंध में सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया है़