विश्व आदिवासी दिवस: इस बार का विषय विस्थापन और आंदोलन
रांची : विश्व आदिवासी दिवस पर देशभर में कई तरह के आयोजन होते हैं. खासतौर पर आदिवासी समुदाय इस दिन अपनी समाजिक आर्थिक स्थिति पर चिंतन करते हैं. हर साल संयुक्त राष्ट्र संघ एक विषय तय करता है. साल 2018 का विषय “Indigenous peoples’ migration and movement”.है. विस्थापन और आंदोलन पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में […]
रांची : विश्व आदिवासी दिवस पर देशभर में कई तरह के आयोजन होते हैं. खासतौर पर आदिवासी समुदाय इस दिन अपनी समाजिक आर्थिक स्थिति पर चिंतन करते हैं. हर साल संयुक्त राष्ट्र संघ एक विषय तय करता है. साल 2018 का विषय “Indigenous peoples’ migration and movement”.है. विस्थापन और आंदोलन पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भी चर्चा होगी. इस कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में मिस यूनिवर्स 2018 रोजा मोंटेज़ुमा को शामिल किया गया है. पेनलिस्ट के रूप में पांच लोग शामिल रहेंगे. 9 अगस्त को दोपहर 3 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक कार्यक्रम होगा.
विश्व आदिवासी दिवस के दिन झारखंड – बिहार समेत कई राज्यों में विशेष आयोजन होते हैं. विश्व आदिवासी दिवस आयोजन समिति ने विश्व आदिवासी दिवस नौ अगस्त को राजकीय अवकाश घोषित करने के लिए राज्यपाल व मुख्यमंत्री को मांग पत्र दिया है़. साल 1993 में UNWGEP कार्यदल के 11वें अधिवेशन में आदिवासी अधिकार घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1993 को पहली बार विश्व आदिवासी मनाया गया इसके बाद 9 अगस्त को आदिवासी दिवस घोषित किया गया.
आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण, भाषा संस्कृति, इतिहास आदि के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 में जेनेवा शहर में विश्व के आदिवासी प्रतिनिधियों का विशाल एवं विश्व का प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय आदिवासी सम्मेलन आयोजित किया था. 9 अगस्त, 1994 को विश्वभर के आदिवासियों की संस्कृति, भाषा, मूलभूत हक को सभी ने एक मत से स्वीकार किया और आदिवासियों के सभी हक बरकरार हैं.
देश के विभिन्न राज्यों में आदिवासी आबादी
झारखंड 26.2 %
पश्चिम बंगाल 5.49 %
बिहार 0.99 %
शिक्किम 33.08%
मेघालय 86.01%
त्रिपुरा 31.08 %
मिजोरम 94.04 %
मनीपुर 35.01 %
नगालैंड 86.05 %
असम 12.04 %
अरूणाचल 68.08 %
उत्तर प्रदेश 0.07 %
हरियाणा 0.00 %