निगरानी जांच में पुष्टि, कृषि उपकरण बांटने में हुई गड़बड़ी

मामला कोडरमा और चतरा जिले का, कागज पर ही बांट दिये गये पावर टिलर रांची : निगरानी जांच में कोडरमा व चतरा में कृषि उपकरण बांटे जाने में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है. कई पावर टिलर कागज पर ही बांट दिये गये हैं. जांच के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों पर निगरानी ने प्राथमिकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2018 3:18 AM

मामला कोडरमा और चतरा जिले का, कागज पर ही बांट दिये गये पावर टिलर

रांची : निगरानी जांच में कोडरमा व चतरा में कृषि उपकरण बांटे जाने में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है. कई पावर टिलर कागज पर ही बांट दिये गये हैं. जांच के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों पर निगरानी ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो के हजारीबाग कार्यालय के पुलिस निरीक्षक इंदूभूषण ओझा ने की थी. जांच टीम ने लिखा है कि 2005-06 और 2007-08 में अनुदान पर वितरित पावर टिलर किसानों को दिया गया था. किसानों को 75 हजार रुपये अनुदान मिलना था.
इसमें 25 लाभुकों का सत्यापन किया गया. लेकिन इसमें से अधिकांश किसानों को पावर टिलर दिया ही नहीं गया. ऐसा तत्कालीन अनुमंडल कृषि पदाधिकारी अमरेश कुमार झा और सहकर्मी विनोद कुमार ने मिल कर किया. इससे सरकार को करीब 17 लाख 25 हजार रुपये का नुकसान हुआ है.
जांच कमेटी ने लिखा है कि पूरी जांच करने पर यह राशि और बढ़ सकती है. पावर टिलर के साथ-साथ ट्रैक्टर वितरण, जेट्रोफा पौधारोपण, अन्नास का पौधा वितरण स्कीम में भी गड़बड़ी की पुष्टि हुई है. इन लोगों ने कागजातों के साथ छेड़छाड़ की है. पद का दुरुपयोग कर कागज पर हस्ताक्षर करा लिया है. जांचकर्ता श्री ओझा ने इस मामले में दोनों पर कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा की है. इस मामले में 2017 नवंबर माह में मामला दर्ज किया गया है.
दो जिले में योजना की जांच के लिए पूर्व मंत्री ने किया था आग्रह
पूर्व मंत्री सह राजद की पूर्व विधायक अन्नपूर्णा देवी की शिकायत के बाद निगरानी ने इसकी जांच शुरू की थी. अन्नपूर्णा देवी ने विधानसभा में आवेदन देकर कोडरमा और चतरा जिले में कृषि विभाग की योजना की जांच का आग्रह किया था. राज्य सरकार ने कोडरमा जिले में 20 एकड़ जमीन पर जेट्रोफा की खेती करने के लिए पांच लाख रुपये अनुदान दिया था. इसमें अन्नपूर्णा स्वयं सहायता समूह, झरीटांड़ कोडरमा को राशि हस्तांतरित कराने और काम कराने की बात सरकारी कागजों में कही गयी थी. इसमें 27 किसानों से जेट्रोफा की खेती कराने की बात सामने आयी. इसमें एक किसान नारायण शर्मा ने जांच समिति को बताया कि वह रामेश्वर यादव के साथ जमीन देखने गये थे. लेकिन, आज तक उनके खेत पर जेट्रोफा की खेती नहीं करायी गयी है.
करीब-करीब सभी किसानों ने इसी तरह का जवाब दिया. जांच में किसान राम प्रवेश कुमार ने बताया कि एक लाख 11 हजार रुपये की लागत से केंचुआ खाद का शेड बनाना था. इसमें 11 हजार लाभुक को देना था. 11 हजार रुपये लाभुक ने तो दे दिया है, लेकिन 35 हजार रुपये का पांच एचपी का पंप सेट नहीं दिया गया. इसके स्थान पर चाइना पंप सेट दे दिया गया और सादे कागज पर साइन करा लिया गया.

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