रांची : मिशनरीज ऑफ चैरिटी व छह बाल गृहों का निबंधन होगा रद्द

डीसी के प्रस्ताव पर समाज कल्याण विभाग की सहमति रांची : ईस्ट जेल रोड स्थित मिशनरीज अॉफ चैरिटी समेत रांची जिले के सात बाल गृहों का निबंधन रद्द होगा. रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे ने निबंधन रद्द करने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर समाज कल्याण विभाग ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 14, 2018 8:35 AM
डीसी के प्रस्ताव पर समाज कल्याण विभाग की सहमति
रांची : ईस्ट जेल रोड स्थित मिशनरीज अॉफ चैरिटी समेत रांची जिले के सात बाल गृहों का निबंधन रद्द होगा. रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे ने निबंधन रद्द करने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर समाज कल्याण विभाग ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है. संभव है कि एक-दो दिनों में विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया जायेगा.
रांची जिला प्रशासन ने जिन सात बाल गृहों का निबंधन रद्द करने का प्रस्ताव समाज कल्याण विभाग को दिया है, उनमें मिशनरीज ऑफ चैरिटी, लोक विकास, महर्षि वाल्मीकि विकलांग अनाथ सेवाश्रम, आंचल शिशु आश्रम, दीया सेवा संस्थान, इडीआइएसएस और आदिम जाति सेवा मंडल शामिल हैं. वहीं, आशा संस्थान और किशोरी निकेतन प्रेमाश्रय संस्थान को व्यवस्था में सुधार के लिए तीन माह का समय दिया जा रहा है.
उपायुक्त के प्रस्ताव के अनुसार दो संस्थाओं का संचालन किसी दूसरी एजेंसी से कराने और एक बाल गृह को नारी निकेतन के रूप में निबंधन कराने को कहा गया है. इसके अलावा मिशनरीज ऑफ चैरिटी के हिनू स्थित शिशु भवन का लाइसेंस फिलहाल स्थगित रखने का आग्रह किया गया है.
जिन संस्थाओं का संचालन दूसरी एजेंसी से कराने के लिए कहा गया है, उनमें नारी निकेतन (कांके) तथा बालाश्रय (रांची) शामिल हैं. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि नारी निकेतन (कांके) में दस्तावेज सही तरीके से नहीं रखे जा रहे हैं. आगंतुक रजिस्टर का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इसी प्रकार बालाश्रय (रांची) में भी रिकॉर्ड सही तरीके से नहीं रखा जा रहा है.
एक-दो दिन में जारी हो सकता है आदेश
इनका निबंधन होगा रद्द
1. मिशनरीज ऑफ चैरिटी
2. लोक विकास
3. महर्षि वाल्मीकि विकलांग अनाथ सेवा श्रम
4. आंचल शिशु आश्रम
5. दीया सेवा संस्थान
6. इडीआइएसएस
7. आदिम जाति सेवा मंडल
इन संस्थानों को तीन माह की मोहलत
1. आशा संस्थान, 2. किशोरी निकेतन प्रेमाश्रय
यह है मामला
मिशनरीज ऑफ चैरिटी के निर्मल हृदय से बच्चा बेचे जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद जिला प्रशासन ने सभी बाल गृहों की जांच करायी थी. जांच के दौरान कई जगहों पर गड़बड़ी मिली थी. डीडीसी ने बाल गृह संचालकों के साथ बैठक की थी. इसमें सभी को जेजे एक्ट के तहत काम करने को कहा गया था. बाद में अलग-अलग अधिकारियों की टीम बना कर सभी बाल गृहों की जांच कर रिपोर्ट तैयार की गयी.
अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी थी. इसके बाद ही उपायुक्त ने समाज कल्याण विभाग को निबंधन रद्द करने की अनुशंसा की.
जांच रिपोर्ट में मिली गड़बड़ी
लोक विकास में जांच के दौरान बाल गृह नहीं मिला. दरअसल जिसे बाल गृह बताया गया, वह निर्माणाधीन मकान है. यहां जुबेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं हो रहा था. संसाधनों के बारे में संस्था के पदाधिकारियों की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गयी.
महर्षि वाल्मीकि विकलांग अनाथ सेवाश्रम का निबंधन ओरमांझी के पते पर कराया गया है. इसका संचालन अनगड़ा में हो रहा है. जांच टीम ने पाया कि यहां दो कमरों में ही 43 बच्चों को रखा जा रहा है. बच्चे इसी कमरे में सोते और पढ़ते हैं.
बच्चों को सोने के लिए बिस्तर भी नहीं है. दो शौचालय हैं और दोनों की स्थिति बिल्कुल खराब है. बच्चों की सूची सीडब्ल्यूसी को भी नहीं दी गयी. जांच टीम को आंचल शिशु आश्रम की भी स्थिति दयनीय नजर आयी. यहां चार साल से निर्माण कार्य चल ही रहा है. बालगृह संचालित करने लायक जगह नहीं है. लड़के और लड़कियों को रखने की अलग व्यवस्था भी नहीं है. संचालक से स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके.
दीया सेवा संस्थान में बाल गृह का संचालन नहीं हो रहा है. संस्थान को खुला आश्रय गृह का निबंधन मिला है, लेकिन, यहां आधारभूत संरचना ठीक नहीं है. संस्था के सचिव के आवासीय भवन में कार्यालय भी चलता है. एक एस्बेस्टस के दो कमरे के मकान को ही आश्रम बताया गया.
इडीआइएसएस नामक बालगृह बिना निबंधन के ही चल रहा है. इसका निबंधन 30 जून 2018 को ही समाप्त हो गया है. जिस पते पर निबंधन कराया गया है, वहां बाल गृह नहीं चल रहा है. बाल गृह का कोई सूचनापट्ट भी नहीं पाया गया. इस गृह में पांचवीं कक्षा तक का स्कूल भी चल रहा है.
– आदिम जाति सेवा मंडल की जांच में टीम को बालगृह के लिए भवन उपयुक्त नहीं मिला. बच्चों की देखभाल के लिए कर्मचारी भी नहीं हैं. इसी भवन में कुछ परिवार भी रहते हैं. परिवार के सदस्य बच्चों के कमरे में प्रवेश भी करते हैं. बच्चों को घरेलू काम में लगाया जाता है.

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