रांची : 10-15 वर्षों में अलग होगी झारखंड की दशा : जयराम रमेश

रांची : चेंबर भवन में रविवार को आयोजित टॉक शो में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि राज्य छोटे होने चाहिए. इससे काम करने की क्षमता बढ़ती है. छोटे राज्यों का विकास हो सकता है. झारखंड अलग होने के बाद कई कारणों से यहां विकास प्रभावित हुआ. इसमें राजनीतिक अस्थिरता बड़ा कारण था. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2018 7:40 AM
रांची : चेंबर भवन में रविवार को आयोजित टॉक शो में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि राज्य छोटे होने चाहिए. इससे काम करने की क्षमता बढ़ती है. छोटे राज्यों का विकास हो सकता है. झारखंड अलग होने के बाद कई कारणों से यहां विकास प्रभावित हुआ. इसमें राजनीतिक अस्थिरता बड़ा कारण था. पिछले चार साल से स्थायी सरकार है.
संसाधन की कमी नहीं है. लेकिन प्राथमिकता तय करनी होगी कि विकास की दशा-दिशा क्या हो. यूपी की आबादी 22 करोड़ है. पांच हजार से अधिक पंचायतें हैं. इसको तोड़ कर तीन राज्य बनाना चाहिए. पीएमपीके वेल्थ एडवाइजर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अायोजित टॉक शो में श्री रमेश ने लेखक और पत्रकार अंथोनी खेचेतुरियन के साथ राज्य, देश, विदेश पर कई बातें कही.
मिली जुली है रांची की संस्कृति : रांची के बारे में श्री रमेश ने कहा कि उन्होंने संत जेवियर स्कूल डोरंडा में तीन साल तक पढ़ाई की थी. उस वक्त जो प्राचार्य थे वो बेल्जियम के थे. दो साल बाद केरल के फादर टस्कर प्राचार्य बन कर आये. राज्य गठन के बाद जब स्कूल गये तो फादर टोपनो प्राचार्य थे.
यह बदलाव की कहानी बताती है. यहां की संस्कृति और मौसम अलग है. मॉल कल्चर नहीं था. रांची का नेचर कॉस्मोपोलियन शहर (कई राज्यों के लोग) का था. मेकन, सेल, एचइसी, कोल इंडिया आदि कार्यालय होने के कारण कई राज्यों से लोग आकर यहां रहते थे. इस कारण स्कूल में भी मिली-जुली संस्कृति थी.
कांग्रेस में क्यों गये : श्री रमेश ने बताया कि आइआइटी के बाद विदेशों में पढ़ाई के साथ-साथ काम किया. भारत में 1986 से 1990 तक बतौर प्रोफेशनल राजीव गांधी के साथ काम किया. 1990 में राजीव विपक्ष में थे. एक बार मुलाकात हुई तो कहा साथ में काम क्यों नहीं करते हो?
उनके कहने के बाद विपक्ष के साथ काम करने लगा. 30 मई 1991 को उनकी हत्या के बाद नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने. 1991-2004 तक कांग्रेस में रहा. कांग्रेस से जुड़ने का एक कारण यह भी था कि पंडित जवाहर लाल नेहरू से प्रभावित रहा हूं. कांग्रेस में जाने का कारण कोई योजनाबद्ध नहीं था. बस एक घटना का शिकार हो गया.
वाजपेयी के बारे में : उनसे एक बार ही मुलाकात हुई थी. उन्होंने कहा था कि तुम्हारे सीएम (कांग्रेस के) से बात करना मुश्किल होता है. कहता कुछ हूं, करते कुछ और हैं. मैंने उन्हें कहा था कि आप उनको कुछ लिखते क्यों नहीं है. इसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. वह किसी से नहीं लड़ते थे. वाणी में मधुरता थी. वह सभी पार्टियों का सम्मान करते थे.
एनपी हॉस्कर जैसी हिम्मत आज के अधिकारियों में नहीं
श्री रमेश ने कहा कि इंदिरा गांधी पर्यावरण प्रेमी थीं. उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किये. बैंकों का राष्ट्रीयकरण, बांग्लादेश का निर्माण, कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण, बीमा का राष्ट्रीयकरण, शिमला समझौता आदि महत्वपूर्ण निर्णय थे.
इसमें उनके सहयोगी एनपी हॉस्कर का महत्वपूर्ण योगदान था. सिर्फ एक बात से 1973 में इंदिरा जी को छोड़कर चले गये थे. उन्होंने संजय गांधी को मारुति की फैक्टरी लगाने देने के निर्णय का विरोध किया था. आज ऐसी हिम्मत किसी अधिकारी में नहीं होगी. इमरजेंसी का उन्होंने खुल कर विरोध तो नहीं किया लेकिन इमरजेंसी हटा कर चुनाव कराने की वकालत की थी.
झारखंड में प्रदूषण बड़ी समस्या, खनन क्षेत्रों की स्थिति ज्यादा खराब
श्री रमेश ने कहा कि जब मैं पर्यावरण मंत्री था, तो लगा प्रदूषण बड़ी समस्या है. झारखंड में विशेषकर खनन क्षेत्रों की स्थिति ज्यादा खराब है. इसकी वजह से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. 2011 में मुझे ग्रामीण विकास मंत्री बना दिया गया. इसके बाद मैं सारंडा काफी जाता था. यहां के 22 जिलों का दौरा किया. नक्सलियों के गढ़ में जाकर काम किया. मैंने ही सारंडा में एक मंच पर सुदेश, हेमंत और अर्जुन मुंडा को लाया था.
पाकिस्तान तीन ए से चलता था, अब एएसी से चल रहा
पूर्व मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान तीन ए से चलता था. अल्ला, अार्मी और अमेरिका. अब यह एएसी से चल रहा है. अमेरिका की जगह चाइना ने ले ली है. वहां इमरान का स्विंग नहीं चलेगा. यहां आर्मी का निर्णय चलेगा. सभी अमन और शांति चाहते हैं. वहां की आर्मी आज भी मजबूत स्थिति में है.

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