रांची : शराब कांड के लिए सिंघानिया ब्रदर्स व जैप कर्मी सहित नौ को बताया गया था जिम्मेदार
जांच टीम ने 17 लोगों की मौत की सूचना होने की बात रिपोर्ट में कही थी रांची : राजधानी की चर्चित जहरीली शराब कांड की जांच के लिए दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त एनके मिश्रा के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम राज्य सरकार ने बनायी थी. टीम ने जांच के बाद गृह विभाग को […]
जांच टीम ने 17 लोगों की मौत की सूचना होने की बात रिपोर्ट में कही थी
रांची : राजधानी की चर्चित जहरीली शराब कांड की जांच के लिए दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त एनके मिश्रा के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम राज्य सरकार ने बनायी थी. टीम ने जांच के बाद गृह विभाग को भेजी गयी रिपोर्ट में घटना के लिए सिंधिया ब्रदर्स प्रह्लाद सिंघानिया और नरेश सिंघानिया को सीधे तौर पर जिम्मेदार बताया था.
कहा था कि दोनों पेशेवर कारोबारी हैं. ये लाेग वर्षों से अवैध शराब का कारोबार करते हैं. इनके द्वारा निर्मित जहरीली शराब के सेवन से ही दुखद घटना हुई. पूरे घटनाक्रम के लिए अब तक नौ लोगों को जवाबदेह पाया गया है. जांच टीम ने दुखद घटना में 17 लोगों के मौत की सूचना की बात कही थी. वहीं सिंघानिया ब्रदर्स के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जरूरत बतायी थी.
उक्त दोनों भाइयों के अलावा जैप के हवलदार गौतम थापा, विक्रेता इंद्रभान थापा, उमेश गुरुंग, विनोद साहू, किशोर दास, परमेश्वर महतो और इसकी एक बहन को भी जहरीली शराब कांड के लिए जिम्मेदार बताया था.
रिपोर्ट में उक्त लोगों की संलिप्तता प्रारंभिक तौर पर पुलिस, जैप और उत्पाद विभाग के अफसरों के बयान के आधार पर होने का हवाला दिया गया था. जैप वन का इंस्पेक्टर प्रभाष क्षेत्री, राजू प्रधान और अर्जुन क्षेत्र का भी दोष सामने आया था. हालांकि मामले की पुलिस जांच पूरी होने के बाद ही वास्तव में कौन-कौन वारदात के लिए जिम्मेदार हैं, इसका पता चलने की बात भी कही गयी थी.
सिंघानिया ब्रदर्स द्वारा बनाये गये शराब की सप्लाई तरुण दास और अन्य करते थे. इनके द्वारा डोरंडा क्षेत्र में जैप वन कर्मी गौतम थापा, उमेश गुरुंग, इंद्रभान थापा और अन्य दुकानदारों को शराब सप्लाई किया जाता था.
घटना में शामिल लोगों और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की अनुशंसा रांची के तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त दिनेश चंद्र मिश्रा, उत्पाद विभाग के तत्कालीन आयुक्त विनोद शंकर सिंह, सिटी एसपी अमन कुमार और तत्कालीन एसडीओ एके सत्यजीत की टीम ने की थी.
रांची के प्रमंडलीय आयुक्त के नेतृत्व में बनी जांच टीम की रिपोर्ट से हुआ था खुलासा
रांची के सहायक उत्पाद आयुक्त सहित तीन अफसर की लापरवाही आयी थी सामने, तीन पर हुई थी कार्रवाई
नामकुम के थानेदार ने प्रह्लाद सिंघानिया और नरेश सिंघानिया को गिरफ्तार करने के बाद रांची के सहायक उत्पाद आयुक्त को इसकी जानकारी दी थी. साथ ही उनसे इन लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों का ब्योरा मांगा था. आरोपियों से पूछताछ का अनुरोध भी किया था. लेकिन उत्पाद विभाग का कोई कर्मी नामकुम थाना नहीं गया. न ही दूसरे मामलों में दोनों भाइयों को रिमांड पर लेने की कार्रवाई की गयी.
उत्पाद विभाग को पुलिस की ओर से बताया गया था कि जोरार में वर्षों से अवैध शराब का कारोबार चल रहा था. मामले में उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त के स्तर पर लापरवाही की बात सामने आयी है. इनके अलावा नामकुम क्षेत्र के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक और अवर निरीक्षक की लापरवाही भी उजागर हुई है. बाद में तीनों अफसरों पर कार्रवाई की गयी.
साजिश का अंदेशा किया था व्यक्त, फिर शुरू हुई थी सीआइडी जांच
जांच टीम ने यह भी अंदेशा व्यक्त किया था कि अगस्त 2017 से झारखंड सरकार ने खुद से शराब बिक्री का निर्णय लिया है. इस निर्णय से पहले से इस धंधे में लगे व्यवसायी, माफिया आदि खुश नहीं होंगे. इसलिए इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि कहीं साजिश के तहत जहरीली शराब कांड जैसे वारदात को अंजाम तो नहीं दिया गया. जांच टीम के इस अंदेशे के बाद मामले को रांची पुलिस से सीआइडी को सौंप दिया गया था़
डोरंडा थाना की कारगुजारी हुई थी उजागर, नहीं की गयी थी ठोस कार्रवाई
अवैध शराब का कारोबार लंबे समय से चल रहा था. जैप के जवान दीपक थापा ने 21 अगस्त को जैप परिसर में अवैध शराब बिक्री की सूचना डोरंडा के तत्कालीन थाना प्रभारी को दी थी. मामले में अवैध शराब लदी मारुति वैन, चालक सुमित पूर्ति और प्रीतम सिंह नामक व्यक्ति को पकड़कर डोरंडा पुलिस के हवाले किया था. लेकिन थाना द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. घटना के समय पदस्थापित और घटना में निलंबित थानेदार और एक सहायक उप निरीक्षक की लापरवाही भी सामने अायी है.
जैप-1 के 14 जवानों को किया गया था निलंबित
डोरंडा शराब कांड में जैप-1 के चार जवानों सहित 17 लोगों की मौत हुई थी. मामले में जैप-1 मुख्यालय ने जैप-1 के इंस्पेक्टर राजू क्षेत्री और सूबेदार मेजर प्रभाष क्षेत्री को शो काॅज किया था. जबकि हवलदार व जवान सहित 14 लोगों को निलंबित किया गया था. बाद में विभागीय कार्रवाई पूरी करने की बात कहते हुए हवलदार गौतम थापा को छोड़कर बाकियों को निलंबन मुक्त कर दिया गया था. उस समय गौतम थापा की गिरफ्तारी हुई थी. अब इस मामले में अदालत की ओर से फैसला सुनाते हुए गौतम थापा को सजा सुनायी गयी है.
इनको किया गया निलंबित
जहरीली शराब कांड में दारोगा राम कुमार राणा, हवलदारों में गौतम थापा, विकास तामंग, दिलीप गुरुंग, दामोदर क्षेत्री, बिरेन गुरुंग, आरक्षियों में गोपाल परियार, पूर्णा तामंग, रोहित तामंग, सरजू प्रधान, अभिषेक कुमार, चालक सपन गुरुंग और झाड़ूकश शंकर राम को निलंबित किया गया था़ गौतम थापा को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था़ अब मामले की सुनवाई के बाद अदालत की ओर से इसको आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है.