रांची : घर से ही करें अनुशासन की शुरुआत, बच्चों को गाड़ी न दें अभिभावक : समरजीत जाना

रांची : स्कूली बच्चे बेकाबू होकर बाइक, स्कूटी, कार या जीप चलाते हैं, जो कई बार उनके लिए जानलेवा साबित होता है. ऐसे में अभिभावकों को यह तय करना होगा कि वे अपने बच्चों के हाथ में कोई ऐसी चीज तो नहीं सौंप रहे हैं, जिससे उनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है. यह कहना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2018 9:13 AM
रांची : स्कूली बच्चे बेकाबू होकर बाइक, स्कूटी, कार या जीप चलाते हैं, जो कई बार उनके लिए जानलेवा साबित होता है. ऐसे में अभिभावकों को यह तय करना होगा कि वे अपने बच्चों के हाथ में कोई ऐसी चीज तो नहीं सौंप रहे हैं, जिससे उनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है.
यह कहना है जेवीएम श्यामली के प्राचार्य समरजीत जाना का. श्री जाना कहते हैं कि कम उम्र के बच्चों को तेज रफ्तार में गाड़ी भगाना अच्छा लगता है. क्योंकि, इसमें रोमांच का एहसास होता है. लेकिन इसके नतीजे दर्दनाक हादसे और मौत के रूप में सामने अाते हैं. सरकार ने नियम बना रखा है कि 18 साल के कम उम्र के बच्चों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता है. लेकिन, खुद कई अभिभावक इस नियम का उल्लंघन करते हुए अपने नाबालिग बच्चों के हाथ में 150 से 200 सीसी तक की बाइक सौंप देते हैं. अगर अपने बच्चों की जिंदगी को सुरक्षित बनाना है, तो अभिभावकों को यह तय करना होगा कि बालिग होने से पहले वे अपने बच्चों को दोपहिया या चारपहिया वाहन नहीं चलाने दें. श्री जाना कहते हैं कि हर स्कूल प्रबंधन अपने स्तर पर तय सीमा के अनुसार ही बाइक से स्कूल आनेवाले बच्चों पर कार्रवाई करता है.
अधिकतर स्कूलों में बाइक से स्कूल आने और घर जाने पर पाबंदी है. लेकिन, इसका अनुपालन नहीं होता है. ऐसे बच्चे दूसरी जगहों पर बाइक, मोटरसाइकिल रख कर स्कूल परिसर में आ जाते हैं. इन पर साल भर निगरानी रखना संभव नहीं हो पाता है. इसलिए यह जरूरी है कि अभिभावक बच्चों पर कड़ी नजर रखें.

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