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रांची : रिम्स के बेसमेंट से शीघ्र पानी निकालने की व्यवस्था करे सरकार : हाइकोर्ट
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को रिम्स, एमजीएम जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण दुर्घटनाओं की आशंका को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए रिम्स के बेसमेंट में लगभग तीन […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को रिम्स, एमजीएम जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण दुर्घटनाओं की आशंका को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए रिम्स के बेसमेंट में लगभग तीन फीट तक पानी जमा होने को गंभीरता से लेते हुए सरकार को निर्देश जारी किया. खंडपीठ ने अस्पताल के बेसमेंट से अविलंब पानी निकालने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि राजधानी में आये दिन लोग जलजनित बीमारियां से ग्रसित हो रहे हैं. मरीजों को रिम्स में ही भर्ती किया जाता है, जहां उनका इलाज होता है. वहां पर उसके बेसमेंट में पानी का जमा होना गंभीर मामला है. राज्य सरकार गंभीरता से जमे हुए पानी की निकासी की व्यवस्था करे. साथ ही ऐसी व्यवस्था की जाये, ताकि दोबारा पानी जमा न हो सके. किये गये सुरक्षा इंतजाम को लेकर राज्य सरकार व एमीकस क्यूरी अधिवक्ता को रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में तिथि निर्धारित करने का निर्देश दिया.
इससे पूर्व रिम्स की अोर से रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. बड़गाईं अंचल के अंचलाधिकारी की ओर से सौंपी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि रिम्स के बेसमेंट में तीन फीट तक पानी जमा है. रिम्स में छह तड़ित चालक लगे हैं. यह पर्याप्त नहीं हैं. पोर्टेबल अग्निशमन यंत्र लगाया गया है, लेकिन उसकी स्थिति भी अच्छी नहीं है. संख्या अपर्याप्त है. उल्लेखनीय है कि प्रभात खबर में प्रकाशित रिम्स में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण दुर्घटनाओं की आशंका को लेकर खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित में तब्दील कर दिया था.
मौत से रेस लगा रहे हमारे बच्चे
खुली सड़क पर तेज रफ्तार वाहन चलाना कम उम्र के बच्चों को रोमांचित करता है. ये बच्चे रोजाना सड़कों पर मौत के साथ रेस लगाते हैं. रविवार को ही रामगढ़-पतरातू फोरलेन पर हुए एक दर्दनाक हादसे में कार सवार पांच स्कूली विद्यार्थियों की मौत इसी की एक कड़ी है.
यह घटना तो बानगी भर है. इससे पहले भी राजधानी रांची और राज्य के अन्य जिलों में कई नाबालिग बच्चे तेज रफ्तार वाहन चलाते हुए मौत के मुंह में जा चुके हैं. इसके बावजूद न तो बच्चों में जागरूकता आ रही है और न ही अभिभावक इस मामले को लेकर गंभीर हो रहे हैं. इस संजीदा मुद्दे पर प्रस्तुत है प्रभात खबर टोली की रिपोर्ट. हमारा मकसद किसी को परेशान कराना नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति अभिभावकों को जागरूक करना है.
रांची : यातायात नियमों की अवलेहना ही अधिकतर हादसों की मुख्य वजह होती है. 18 वर्ष से कम उम्र बच्चों का दोपहिया और चारपहिया वाहन चलाना, ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होना, हेलमेट नहीं पहनना और ट्रिपल राइडिंग करना आम हो चुका है. फर्राटा भरती बाइक और स्कूटी से सड़कों पर दायें-बांये गुजरते नाबालिगों को रोज देखा जा सकता है. इनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे ही शामिल होते हैं.
इधर, स्कूलों में बच्चों के वाहन लेकर अाने पर पाबंदी है. इसके बावजूद स्कूली बच्चे बाइक और स्कूटी से रोज स्कूल आते-जाते जाते हैं. अधिकांश दोपहिया पर ट्रीपल लोड आम बात है. इस पर शुरुआत में स्कूलों ने सख्ती की थी. प्रशासन भी चौकस था, इसलिए कुछ असर भी दिखा था. लेकिन, स्कूल प्रबंधन व प्रशासन के सुस्त होते ही छात्रों की मनमानी दोबारा बढ़ गयी है. वहीं, उनके अभिभावक भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे.
जागरूकता अभियान से भी सीख नहीं ले रहे लोग
राजधानी रांची समेत राज्य के सभी जिलों में ट्रैफिक नियमों के अनुपालन को लेकर पुलिस और परिवहन विभाग की ओर से कई स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है. पिछले दिनों यमराज व नारद के माध्यम से रांची में जागरूकता को लेकर विशेष अभियान चलाया गया था.
स्कूलों में भी बच्चों को भी जानकारी दी गयी थी. समय-समय पर दूसरे माध्यमों से भी उनको जागरूक करने की कवायद की जाती है. लेकिन, नाबालिगों द्वारा अभियान व यातायात नियमों की धज्जियां उड़ायी जाती है. परिणाम नाबालिगों की मौत के तौर पर सामने आता है. छात्र अपनी लापरवाही का खामियाजा भुगतते हैं, लेकिन उनके जाने का गम उनके परिजनों को वर्षों तक सालता है. वहीं, होनहार के जाने की क्षति कहीं न कहीं सबको होता है.
नाबालिग वाहन चलाते पकड़े गये, तो जब्ती और जुर्माने का है प्रावधान : ट्रैफिक एसपी
नाबालिगों के मामले में ट्रैफिक पुलिस सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन के तहत कार्रवाई करती है. ट्रैफिक एसपी संजय रंजन सिंह ने बताया कि नाबालिग द्वारा वाहन चलाने के दौरान पकड़े जाने पर उनका वाहन जब्त किया जाता है. इसके बाद उनके अभिभावकों को काउंसेलिंग के लिया बुलाया जाता है. काउंसेलिंग के दौरान नाबालिगों के वाहन चलाने से होने वाले नुकसान की उन्हें जानकारी दी जाती है. साथ ही उनसे यह बांड भी भरवाया जाता है कि वे अपने बच्चे को फिर से वाहन तब तक नहीं चलाने देंगे जब तक कि वह बालिग नहीं हो जाता. इसके अलावा ट्रैफिक नियम तोड़ने को लेकर अभिभावकों से जुर्माने की राशि भी वसूल की जाती है. जैसे : अगर कोई नाबालिग खुद के नाम का वाहन चला रहा हो, तो 500 रुपये व अगर किसी दूसरे के नाम के वाहन को चला रहा हो, तो दंड एक हजार रुपये लिया जाता है.
इसी तरह ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होना, हेलमेट नहीं पहनना, ट्रीपल राइडिंग करना आदि में सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क भी लिये जाते हैं. इसके बाद दो घंटे का जागरूकता मूवी भी बच्चों को दिखायी जाती है. कुछ वजहों से फिलवक्त मूवी नहीं दिखायी जा रही है. इसे जल्द शुरू किया जायेगा.
चिंताजनक हैं ये आंकड़े
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के 2016 के आंकड़ों का हवाला देते कहा कि 2016 में झारखंड में 5500 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 2893 लोगों की जान चली गयी. वहीं, घायलों की संख्या लगभग 4500 थी. वर्ष 2017 के शुरुआती छह महीने में राजधानी रांची में 382 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 240 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
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