रांची : डॉ मुंडा अपनी संस्कृति से विमुख नहीं हुए, उसे और समृद्ध किया : डॉ लुईस

जनजातीय शोध संस्थान में पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर समारोह रांची : समाज कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि आम तौर पर लोग शिक्षित होने पर अपनी संस्कृति से दूर होते जाते हैं, पर डॉ रामदयाल मुंडा शिक्षित होने के बाद भी अपनी संस्कृति से विमुख नहीं हुए. उन्होंने उसे और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 24, 2018 6:27 AM
जनजातीय शोध संस्थान में पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर समारोह
रांची : समाज कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि आम तौर पर लोग शिक्षित होने पर अपनी संस्कृति से दूर होते जाते हैं, पर डॉ रामदयाल मुंडा शिक्षित होने के बाद भी अपनी संस्कृति से विमुख नहीं हुए. उन्होंने उसे और समृद्ध किया. हमें अपनी संस्कृति पर शर्मिंदगी नहीं होनी चाहिए. कल्याण मंत्री गुरुवार को मोरहाबादी स्थित डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में डॉ रामदयाल मुंडा के जयंती समारोह को संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि डॉ मुंडा ने देश के अलावा विदेशों में भी अपनी विद्वता का परिचय दिया. कलाकार और संस्कृतिकर्मी के रूप में उनका अहम योगदान रहा.
मंत्री ने झारखंडी कलाकारों के विकास के लिए परिसर बनाने पर कहा कि वे इस मुद्दे को संबंधित विभाग के समक्ष रखेंगी. जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक रणेंद्र ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा ने आदि धर्म पर जो काम किया उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है. मुझे उनसे लंबे समय तक मिलने अौर सीखने का मौका मिला. मेरे उपन्यास ‘गायब होता देश’ में एक किरदार उनसे प्रेरित है.
रणेंद्र ने संस्कृत और मुंडारी शब्दों में हुए समावेशों की भी जानकारी दी. स्व डॉ रामदयाल मुंडा के पुत्र गुंजल इकिर मुंडा ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा को बहुमुखी प्रतिभा का व्यक्तित्व कहा जाता है. इन शब्दों का भार तब महसूस होता है, जब उनके कार्यों को आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं. झारखंड में आदिवासी समुदाय को आइकॉन की जरूरत है और निश्चित रूप से बिरसा मुंडा व जयपाल सिंह मुंडा के बाद डॉ रामदयाल मुंडा आइकॉन के रूप में हैं.
नये तरह से रिसर्च करने की जरूरत : डॉ सत्यनारायण
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा का व्यक्तित्व अनोखा था. वे बांसुरी बजाना भी जानते थे और बनाना भी.
वे नृत्य करते भी थे और सिखाते भी थे. उनके बारे में नये तरह से रिसर्च करने की जरूरत है. रांची विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा ने पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल की. वे अपनी माटी की सोंधी सुगंध के साथ बने रहे. कल्याण विभाग की सचिव हिमानी पांडे ने कहा कि डॉ रामदयाल मुंडा के कार्यों को आगे बढ़ाने की जरूरत है.
जनजातीय शोध संस्थान को आदिवासियों की आवाज बनना होगा. कार्यक्रम को मोनिका टूटी, टीएसी सदस्य रतन तिर्की सहित अन्य ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में डॉ रामदयाल मुंडा की पत्नी अमिता मुंडा, कुंवर पाहन, गिरिधारी राम गोंझू, लक्ष्मीनारायण मुंडा आदि मौजूद थे.

Next Article

Exit mobile version