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रांची : यहां पानी, बिजली व शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं

हाल कल्याण विभाग के छात्रावासों का रांची : राज्य के 23 जिलों (कोडरमा में आवासीय विद्यालय नहीं है) में एससी, एसटी व ओबीसी लड़के-लड़कियों के लिए कुल 132 आवासीय विद्यालय हैं. वहीं राज्य गठन के बाद कल्याण विभाग ने कुल 509 छात्रावासों का निर्माण शुरू कराया. इनमें से सौ से अधिक छात्रावास तीन से लेकर […]

हाल कल्याण विभाग के छात्रावासों का
रांची : राज्य के 23 जिलों (कोडरमा में आवासीय विद्यालय नहीं है) में एससी, एसटी व ओबीसी लड़के-लड़कियों के लिए कुल 132 आवासीय विद्यालय हैं.
वहीं राज्य गठन के बाद कल्याण विभाग ने कुल 509 छात्रावासों का निर्माण शुरू कराया. इनमें से सौ से अधिक छात्रावास तीन से लेकर 10 वर्षों तक से लंबित हैं. वहीं 75 बन कर बेकार हैं.
आवासीय विद्यालयों व शिक्षण संस्थानों सहित अन्यत्र बने ज्यादातर छात्रावासों की स्थिति बदतर है. यहां पानी, बिजली, भोजन व शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी सहित पठन-पाठन का अनुकूल माहौल नहीं होने के साथ इनके भवन भी जर्जर हैं.
प्रभात खबर ने विभिन्न जिलों के छात्रावासों की पड़ताल की है। इससे इनके खस्ता हाल का पता चलता है. खुद विभागीय रिपोर्ट में पहले भी यह बात सामने आ चुकी है कि वहां बच्चे विपरीत परिस्थितियों में पढ़ रहे हैं. स्कूल व छात्रावास के अलग-अलग सर्वे क्रमश: वर्ष 2009 व 2011 में ढ़ाई लाख रु खर्च कर कराये गये थे. कुल 108 स्कूलों के अध्ययन (2009) पर 1.98 लाख तथा छात्रावास के अध्ययन (2011) पर 52 हजार रु. वर्ष 2011 में 60 जनजातीय छात्रावासों (लड़कों के 38 व लड़कियों के 22) का अध्ययन हुआ था.
रिपोर्ट से पता चला कि छात्रावासों में पानी, बिजली व शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं
कई छात्रावासों में न तो रसोइया-वार्डन हैं अौर न ही बालिका व महिला छात्रावासों में सुरक्षा प्रहरी. विभाग ने अपनी ही रिपोर्ट पर कभी ध्यान नहीं दिया व हालात अब भी वही हैं. अभी दिल्ली की संस्था सेंटर फॉर आदिवासी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (कार्ड) ने दिसंबर 2017 से जुलाई 2018 तक झारखंड के कुल 32 छात्रावासों की सर्वे रिपोर्ट जारी की है. इससे यह बात फिर से पुख्ता होती है.

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