सम्मान समारोह में बोले राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश : साहित्य ही देश बनाता है, समाज गढ़ता है, संस्कार और मूल्य सिखाता है
रांची : राज्यसभा के उप सभापति और प्रभात खबर के पूर्व प्रधान संपादक हरिवंश ने प्रभात खबर की ओर से आयोजित नागरिक सम्मान समारोह में कहा : आज अपने घर में, अपने लोगों के बीच आया हू़ं यह परिवार के लोगों से मिलने का अवसर है़ यह अभिनंदन या कहें सम्मान समारोह है़, लेकिन अभिवादन […]
रांची : राज्यसभा के उप सभापति और प्रभात खबर के पूर्व प्रधान संपादक हरिवंश ने प्रभात खबर की ओर से आयोजित नागरिक सम्मान समारोह में कहा : आज अपने घर में, अपने लोगों के बीच आया हू़ं यह परिवार के लोगों से मिलने का अवसर है़ यह अभिनंदन या कहें सम्मान समारोह है़, लेकिन अभिवादन या सम्मान उन साथियों का है, जिनके साथ मैंने काम किया़ समाज के लिए कुछ किया़ अभिनंदन उनका है, जिससे मैंने जीवन में सीखा़ मैंने साहित्य से सीखा़ साहित्य ने ही समझ दी़ साहित्य ने ही मुझे वह बनाया,
जो मैं हू़ं मिट्टी के मानस को स्वरूप दिया़ दरअसल साहित्य ही देश बनाता है़ समाज गढ़ता है़ संस्कार और मूल्य सिखाता है़ हरिवंश ने फ्रांस के चिंतक आडल्स हक्सले के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा : देश को मूर्त रूप उसके कवि, लेखक, उपन्यासकार ही देते है़ं रूस की क्रांति हो या फ्रांस की क्रांति या फिर भारत का स्वतंत्रता संग्राम, साहित्य ने ही उसे दिशा दी है़ उन्होंने बताया कि बचपन में जिन कहानियों को पढ़ा, उसका असर जीवन दर्शन पर पड़ा़ कहानीकार सुदर्शन की कहानी हार की जीत का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि इस कहानी से जीवन को दृष्टि मिलती है़ उन्होंने डाकू खड़ग सिंह और बाबा भारती के प्रसंग के साथ जीवन के मूल्य और दर्शन बताये़ .
उस कहानी का मर्म बताया कि मुनष्य के अंदर संवेदनाएं होनी चाहिए़ उन्होंने कहा : मामला हार-जीत का नहीं है, संवेदनाओं का है़ ऐसी कहानियों में प्रेम का उदात्त स्वरूप देखने को मिलता है़ हरिवंश ने विमल मित्र की कहानियों का जिक्र करते हुए सामाजिक मूल्यों की अवधारणा को मजबूत करने की बात कही़ उनकी कहानी (खरीदा कौड़ियों के मोल) का जिक्र किया़ बताया कि जिस समय देश आजाद हुआ़ एक नये आदर्श बोध के साथ देश बन रहा था़ उसके पात्र और प्रसंग के माध्यम से उन्होंने सामाजिक दायित्वों का बोध कराया़.
हरिवंश ने कहा कि उनके जीवन में गांधी जी, लोहिया, जेपी, चंद्रशेखर जैसे राजनेताओं के आदर्श का बोध रहा, तो रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद, योगानंद जी जैसे आध्यात्मिक गुरुओं का विशेष प्रभाव रहा़ उन्होंने कहा : टेक्नोलॉजी और कंज्यूमरिज्म के इस दौर में इनके विचार संस्कार गढ़ने का काम कर सकते है़ं योगानंद जी की पुस्तक वेयर देयर टू लाइफ का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसी अमूल्य पुस्तकें बच्चों को पढ़ायी जानी चाहिए़ जीवन क्या है, सीखने को मिलेगी़ आज मैनेजमेंट गुरु तरह-तरह की बातें सिखाते है़ं उपसभापति ने कहा : धर्मवीर भारती, उदयन शर्मा, एसपी सिंह जैसे पत्रकारों के साथ काम करते हुए बहुत कुछ सीखा़
महानगरों को छोड़, रांची ही क्यों चुना : उपसभापति ने कहा कि परिवार के साथ कम समय गुजारा़ जीवन के रोमांच और कहें तो रोमांसवाले दिन काम करते हुए गुजरे़ जीवन के 28 वर्ष यहां गुजारे़ उन्होंने बताया कि महानगरों की नौकरी छोड़ रांची ही क्यों चुना़ प्रकृति, नैतिक जीवन ने ही मुझे आकर्षित किया़ यहां के सरल और नैतिक आदर्श रखने वाले आदिवासियों का जीवन यह सब कुछ कारण रहा़.
उन्होंने टाना भगतों की प्रार्थना काे स्वर देते हुए प्रकृति के प्रति उनका प्रेम और अपनों के प्रति सानिध्य बताया. टाना भगतों के आराध्य से उनका आग्रह बताया़ बताया कि वह प्रकृति से पीढ़ियों के लिए छांव, बारिश की बूंदे और स्वजनों के आतिथ्य के लिए अनाज मांगते है़ं हरिवंश ने कहा, टाना भगतों की यह प्रार्थना दुनिया की सबसे बेहतरीन प्रार्थना है़ कार्ल मार्क्स भी कहा करते थे कि विकास के टॉप पर पहुंच कर मनुष्य अकेला हो जाता है़ विकास लाेगों को अपने से अलग कर देता है़ जीवन का आनंद समुदाय में है़
बच्चों को नैतिकता सिखायें, निडर बनायें : उपसभापति ने अब्राहम लिंकन के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि बच्चों को नैतिकता सिखाने की जरूरत है़ लिंकन ने अपने बेटे को पढ़ानेवाले शिक्षक को लिखे पत्र की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों को प्रकृति, पहाड़, नदी, तारे दिखाये़ं बच्चे केवल जीत का आनंद लेना ना जानें, हार को भी समझे़ं
देश के सामने अहम सवाल हैं, उन पर विचार करने की जरूरत : उपसभापति हरिवंश ने कहा कि देश के सामने अहम सवाल है़ं उन पर विचार करने की जरूरत है़ 10 वर्षों के अंदर भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्यावाला देश हो जायेगा़ अभी जनसंख्या दबाववाले देशों में सबसे ऊपर है़ गांव से शहर की ओर माइग्रेशन हो रहा है़ ऐसे में लोगों को रोजगार, भोजन, स्वास्थ्य और पर्यावरण उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती होगी़ देश के सामने शिक्षा भी बड़ी चुनौती है़ .
दस वर्ष पहले शिक्षा का बजट 91 हजार करोड़ रुपये था, आज चार लाख करोड़ हो गया है़ इसके बाद भी नौवीं कक्षा के छात्र, तीसरी कक्षा के गणित का हल नहीं खोज पाते है़ं इसका जिक्र असर की रिपोर्ट में भी है़ दुनिया को शिक्षा के साथ तकनीक की जरूरत है़ देश को इस पर भी विचार करना चाहिए़ देश में नैतिक मूल्य नीचे से उपर तक ले जाना होगा़
उम्मीद है कि संसद में भी संवाद की स्थिति बनेगी, सारे दल कन्सर्न हैं : राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने आरा में आयोजित एक कार्यक्रम में एक युवक द्वारा पूछे गये सवाल को यक्ष प्रश्न बताया़ उन्होंने कहा कि हमने पश्चिम का मॉडल अपनाया, लेकिन वहां की संसद की मर्यादा को नहीं अपनाया़ हरिवंश ने कहा कि हमारे पुराने इतिहास में भी संवाद के कई उदाहरण है़ं बौद्ध धर्म से लेकर जनक के दरबार के संवाद की बातें की़ं उन्होंने कहा कि हमारे संसद के भी हालात सुधरेंगे़ सारे दलों के कन्सर्न में देश है़ सभी चाहते हैं कि संवाद की स्थिति बने़ देश सबके लिए एक मुद्दा है़ इसका रास्ता लोकसंवाद से निकलेगा़ लोकदबाव से भी हालात बदलेंगे़
संसद की कार्यवाही पर बोले
हमने पश्चिमी देशों का मॉडल अपनाया, लेकिन संवाद की मर्यादा नहीं अपनायी
देश में संवाद की पुरानी परंपरा रही है, उसे भी हमने छोड़ दिया
सारे दलों के कन्सर्न में देश है, लोक दबाव में संसद के हालात सुधरेंगे
…पता नहीं था अमित शाह का इन्हें गौर से सुनने का परिणाम यह होगा
रांची : राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि जब राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर का पद खाली हुआ, तो लोग अलग-अलग कयास लगा रहे थे. कौन बनेगा, यह सोचा जा रहा था. यह तय था आंकड़ों के हिसाब से रूलिंग पार्टी का होगा. उस वक्त हरिवंश जी के बारे में कुछ और सोचा जा रहा था. इच्छा थी कि वह उप सभापति बन जायें. वह इस पद के लिए चुने गये. भगवान ने मेरी सुन ली. चुनाव काफी साफ-सुथरा हुआ. दूसरी पार्टी के लोग भी इनके विरोध में नहीं बोलते थे. दूसरी पार्टी के मित्रों की भी एक फाइंडिंग थी, कि ही इज ए गुड मैन. सदन में उनको सुनना अच्छा लगता था.
मैं इनको अपने आप से कनेक्ट करता हूं. आज तक इनके बारे में किसी को आड़ा-तिरछा बोलते हुए नहीं सुना. पार्टी इनको बोलने का मौका देती है. एक बार मैंने उनको कहा भी था कि आपका भाषण अमित शाह भी काफी गौर से सुनते हैं. वह अभी नये-नये आये हैं. उस वक्त हमें पता नहीं था कि अमित शाह का इनको गौर से सुनना यहां तक ले जायेगा. 28 साल से पाठकों की तौर पर हम लोग उनसे जुड़े हैं. कई बार उनसे अखबार के बारे में बोला भी, इसको उन्होंने गंभीरता सुना भी. उसी समय से हम लोग इसके पाठक हैं. राज्यसभा में मैं इनसे दो साल छोटा हूं. इनसे काफी कुछ सीखा. इनका दी हुई कई किताबें पढ़ता भी हूं. राज्यसभा में यह मेरे अभिभावक के रूप में रहे. वहां आने के बाद उन्होंने कहा कि मैं हर तरह का सहयोग करूंगा. इसी का परिणाम है कि उनके आदेश पर ही आज एक ही बिल्डिंग में हम रहते हैं.
हर वक्त कुछ सीखने का मौका मिला है इनसे
प्रभात खबर के पूर्व महाप्रबंधक पीके सेन ने कहा कि प्रभात खबर को हरिवंश जी से अलग नहीं किया जा सकता है. उनके कारण ही छोटे से पैमाने पर शुरू होने वाला यह अखबार आज तीन राज्यों की आवाज और ताकत है. यह बिहार, प बंगाल और झारखंड से प्रकाशित हो रहा है. उम्र में मैं इनसे बड़ा जरूर हूं, लेकिन इनसे बहुत कुछ सीखा है. इनकी इंटीग्रिटी, ह्यूमिनिटी से कई बार सीखने का मौका मिला है. जब उनसे बात किया कुछ न कुछ सीखने का मौका मिला. हम लोग अखबार में किसी समस्या को लेकर बैठते थे, तो उनको निर्णय की सभी सराहना करते थे. कई समस्या उनके सुझाव से सुलझाये जाते थे. मैं जब रांची आया, तो हिंदी नहीं जानता था. उन्होंने हिंदी पढ़ने की सलाह दी. उनके राज्यसभा में जाने से हमलोग गौरावांवित महसूस कर रहे हैं. इनके राज्यसभा में डिप्टी स्पीकर बनाये जाने से उनके अनुभव का लाभ सदन को मिलेगा.
इन संगठनों व लोगों ने किया सम्मानित
-रांची विवि प्रतिकुलपति-डॉ कामिनी कुमार, रजिस्ट्रार-डॉ अमर चौधरी, सीसीडीसी-डॉ लाल गिरिजाशंकर नाथ शाहदेव और डीएसडब्ल्यू-डॉ पीके वर्मा
-झारखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष महुआ माजी
-झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष-रंजीत गाड़ाेदिया, कुणाल अजमानी, अश्विनी राजगढ़िया, दीपक मारू व राहुल मारू
-झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज अध्यक्ष-एसके अग्रवाल, अंजय पचेरीवाला,
-एसोसिएशन विनोद नेमानी
-रासमा अध्यक्ष ललित केडिया, ओमप्रकाश सराफ, अनूप अग्रवाल, अंजय सरावगी व आदित्य शर्मा
-टाटा पावर राकेश रंजन
-मारवाड़ी सहायक समिति
-मारवाड़ी महिला मंच
-मारवाड़ी युवा मंच अध्यक्ष तुषार विजयवर्गीय, दीपक गोयनका
-आइएमए
-प्रेमसंस मोटर्स व दवाई दोस्त
-एचइसी
-निफ्ट
-न्यूज-11
-झारखंड राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ कुमार सत्यम भारद्वाज, दुर्गेश मुंडा और संतोष उरांव
-झारखंड सचिवालय सेवा संघ पिकेश कुमार सिंह, सीमा कुमारी और अनुज कुमार
-रांची प्रेस क्लब राजेश सिंह, प्रदीप कुमार, सत्यप्रकाश पाठक, जयशंकर व संजय रंजन
-जूनियर चेंबर ऑफ कॉमर्स दीपक अग्रवाल, सिद्धार्थ जायसवाल, प्रतीक जैन, निखिल मोदी, रंजनी ढांढनियां व दीपक बंका
-शिक्षक समिति
-कॉलेज कर्मचारी यूनियन
-लालपुर व्यवसायी समिति
-अखिल भारतीय कायस्थ महासभा बरखा सिन्हा, रतन सिन्हा, श्वेतिमा सहाय व राकेश रंजन
-ब्लूमिंग बर्ड्स सोसाइटी
-झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन
-झारखंड पुलिस एसोसिएशन
-अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा
-पंजाबी हिंदू बिरादरी
-जेसीआइ महिला विंग
-यूनियन क्लब
-झारखंड जियो साइंटिस्ट एसोसिएशन
-अंजुमन इस्लामिया महासचिव मोख्तार अहमद
-झारखंड सिविल सोसाइटी राजेश दास, विकास सिंह व संतोष अग्रवाल
-ऑल झारखंड आर्ट एंड रंजीत बिहारी,राजेश साहु व सिम्मी
-कल्चर एसोसिएशन गोस्वामी
-जेपी विचार मंच शैलेश कुमार सिन्हा, प्रेम मित्तल व प्रो रामचंद्र सोय
-रांची नागरिक समिति संदीप नागपाल
-झारखंड मैथिली मंच अध्यक्ष अरुण झा, उपाध्यक्ष-जयंत झा, ब्रजकिशोर झा व संतोष मिश्रा
-झारखंड मिथिला मंच महासचिव संतोष झा
-लायंस क्लब ऑफ रांची फेमिना
-झारखंड मोटर फेडरेशन सुनील सिंह व श्याम बिहारी सिन्हा एवं अन्य
-कोकर व्यापार संघ तुषार विजयवर्गीय, संतोष अग्रवाल
-झारखंड मोटर पार्ट्स डीलर्स एसोसिएशन
-लायंस क्लब ऑफ रांची क्विंस
-एनआइबीएम
-अखिल भारतीय महिला परिषद
-बहावलपुरी पंजाबी समाज
-बहावलपुरी पंजाबी समाज महिला समिति
-रांची चैंबर
-रौनियार वैश्य सभा
-रांची बुक लवर्स क्लब डॉ मयंक मुरारी, संजीव शेखर, राकेश रंजन व अतुल अग्रवाल
-अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ
-रौनियार वैश्य समाज रांची सुबोध गुप्ता, शंभु प्रकाश गुप्ता, रामजन्म गुप्ता व रामकिशोर साहु
-जनशक्ति मजदूर संघ ललित ओझा
-झारखंड समाचार पत्र विक्रेता संघ गोरखनाथ, निलेश, अनिल, मदन सिंह
-रांची नगर निगम
-बीआइटी सिंदरी एलुमिनी एसोसिएशन
-अटल सेना
-मारवाड़ी युवा मंच कोकर
-अखबार विक्रेता परिवार
-झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ
-लिटिल विंग्स स्कूल बूटी मोड़
हरिवंश जी के योगदान को मैं भुला नहीं सकता : कृष्णा नारनोलिया
नारनोलिया सिक्यूरिटीज के सीइओ कृष्णा नारनोलिया ने कहा कि मेरे जीवन में हरिवंश जी का योगदान काफी मायने रखता है. यूं मानें, तो मेरे जीवन में होनेवाले महाभारत के युद्ध में उन्होंने कृष्ण की भूमिका निभायी है. उन्होंने हरिवंश जी से जुड़े कई बातें बतायीं. कहा कि कई वर्षों पहले किसी कारणवश में किसी मीडिया हाउस से अनबन हो गयी थी. मीडिया हाउस की ओर से मुझे धमकियां भी मिल रही थीं. हमने तमाम लोगों से मिलना शुरू किया. उसी दौरान मेरी मुलाकात हरिवंश जी से हो गयी.
हमने सारी बातें उन्हें बतायीं. सारी बातों को सुनने के बाद जो दूसरे दिन पेज नंबर तीन पर जो खबरें प्रकाशित हुईं, वह मेरे लिये सबसे अहम दिन था. उस खबर के प्रकाशित होने के बाद मेरा समय भी बदल गया. उन्होंने दूसरे वाकये के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि कोलकाता जाते वक्त मेरी सीट के बगल में हरिवंश जी की भी सीट थी. कोलकाता जाते वक्त बातों-बातों में उनसे पूछा कि आपको राष्ट्रीय स्तर के अखबार घराने से अवसर मिल रहा है, तो आप क्यों नहीं जा रहे हैं? तो उन्होंने जो मुझे जवाब दिया वह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया. उनका एक टूक में कहना था कि मेरे भरोसे जो लोग हैं, उन्हें मैं छोड़कर कैसे जा सकता हूं. मैं नहीं जाऊंगा. श्री नारनोलिया ने कहा कि ईमानदारी के साथ लगे रहने से शायद हमारी नियती बदल सकती है और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हरिवंश जी हैं.
व्यक्तिगत तौर पर भी कई लाेगों ने सम्मानित किया
-सत्यनारायण शर्मा
-जयकांत राय
-कांग्रेस-शशिभूषण राय
-ममता मिश्रा
-अनूप अग्रवाल
-डॉ जंग बहादुर पांडेय-हिंदी विभागाध्यक्ष रांची
-दुर्गा उरांव-सामाजिक कार्यकर्ता
-प्रीतम कुमार साहु- सदस्य-20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति खलारी
-विनय कुमार महतो- प्रदेश मंत्री,भाजपा पिछड़ा जाति मोर्चा, झारखंड प्रदेश सिल्ली विधानसभा
-रामकुमार दुबे-20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति रांची जिला
-झारखंड प्रदेश डीजल ऑटो चालक महासंघ
-प्रयाग दुबे, नेतरहाट ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन