रांची : सरकारी और निजी स्कूलों में पोक्सो, जेजे एक्ट और आरटीइ लागू हो : आरती कुजूर

देश भर में यह मैन्युअल जारी करनेवाला झारखंड पहला राज्य रांची : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से विकसित सेफ्टी एंड सिक्यूरिटी ऑफ चिल्ड्रेन इन स्कूल्स पर आधारित मैन्युअल गुरुवार से देश भर में लागू किया गया. देश में पहली बार राजधानी रांची में मैन्युअल को जारी किया गया. बच्चों की सुरक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2018 7:10 AM
देश भर में यह मैन्युअल जारी करनेवाला झारखंड पहला राज्य
रांची : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से विकसित सेफ्टी एंड सिक्यूरिटी ऑफ चिल्ड्रेन इन स्कूल्स पर आधारित मैन्युअल गुरुवार से देश भर में लागू किया गया. देश में पहली बार राजधानी रांची में मैन्युअल को जारी किया गया.
बच्चों की सुरक्षा और उन्हें संरक्षित करने पर आयोजित राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में सभी सरकारी और निजी स्कूलों में इस मैन्युअल के आधार पर कार्य करने के निर्देश दिये गये. यह कहा गया कि बच्चे हमारे धरोहर हैं, उनकी सुरक्षा और संरक्षा स्कूलों तथा अभिभावकों की महती जवाबदेही है.
इसे सुनिश्चित करने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला दिया है. रांची में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि हमारे नौनिहालों की सुरक्षा जरूरी है.
अब समय बदल गया है. सरकारी और निजी स्कूलों को जस्टिस जुवेनाइल केयर एंड प्रोटेक्शन एक्ट, पोक्सो एक्ट और शिक्षा का अधिकार कानून सख्ती से लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है. इन्हीं को लेकर एनसीपीसीआर ने एक कॉमन मैन्युअल तैयार किया है. इसमें बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है.
उन्होंने कहा कि सिर्फ बालिकाएं ही नहीं बालक भी अनैतिक यौनाचार के शिकार हो रहे हैं. यह पोक्सो एक्ट का उल्लंघन है. मैन्युअल की सारी बातों को सख्ती से लागू करने के लिए स्कूल प्रबंधन, अभिभावक, समाज और अन्य लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है. सभी स्कूलों में कोमल फिल्म दिखाने की आवश्यकता है.
एनसीपीसीआर के मैन्युअल सभी स्कूल अपने पास रखें
प्राथमिक शिक्षा निदेशक आकांक्षा रंजन ने कहा कि बच्चे अपने जीवन के 10 से 12 वर्ष (फारमेटिव ईयर) स्कूलों में व्यतीत करते हैं. यहां पर उनके संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है. बच्चों का भविष्य ठिठुर कर न रह जाये, यह स्कूल प्रबंधन और सरकार को तय करना जरूरी है.

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