रांची : अब दुनिया की खूबसूरती देखेंगे वाजिब और सैफ

राजीव पांडेय …और इधर, अपने काम से रिम्स की छवि सुधारने में जुटे सीनियर डॉक्टर रांची : एक ओर जूनियर डॉक्टर मरीज के परिजन से मारपीट कर रिम्स की खराब करने पर तुले हैं, जबकि यहीं के सीनियर डॉक्टर मरीजों को नयी जिंदगी देने में जुटे हैं. यहां नेत्र विभाग के डॉ राहुल प्रसाद ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2018 8:07 AM
राजीव पांडेय
…और इधर, अपने काम से रिम्स की छवि सुधारने में जुटे सीनियर डॉक्टर
रांची : एक ओर जूनियर डॉक्टर मरीज के परिजन से मारपीट कर रिम्स की खराब करने पर तुले हैं, जबकि यहीं के सीनियर डॉक्टर मरीजों को नयी जिंदगी देने में जुटे हैं. यहां नेत्र विभाग के डॉ राहुल प्रसाद ने रांची के दो मासूमों की आंखों का ऑपरेशन कर उनकी रोशनी लौटायी है.
इन दाेनों बच्चाें काे जन्मजात मोतियाबिंद था, जिससे उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता था. शनिवार दोनों बच्चों का सफल ऑपरेशन किया गया और सोमवार को उनको छुट्टी दी गयी. निजी अस्पताल में एक बच्चे के ऑपरेशन में 40,000 से 50,000 रुपये तक खर्च आता, जबकि रिम्स में यह मुफ्त में किया गया.
चुनौतीपुर्ण था दो साल के बच्चे की आंखों का ऑपरेशन : लापुंग निवासी दो साल के वाजिब अंसारी को जन्मजात मोतियाबिंद था. एक साल पहले परिजन आंख में सफेद स्पॉट देखने के बाद डॉक्टर से परामर्श ले रहे थे. पहले बच्चे को नजदीक के डॉक्टर से परामर्श लिया, लेकिन उसका आंखें ठीक नहीं हो पायी. इसके बाद परिजन उसे रिम्स के शिशु रोग विभाग में ले आये, जहां से उसे नेत्र विभाग में रेफर कर दिया गया.
यहां डॉ राहुल प्रसाद ने बच्चे के आंख की कुछ आवश्यक जांच करायी. कम उम्र होने व दाेनों आंखों मोतियाबिंद होने के कारण उसका आॅपरेशन कराना अासान नहीं था, लेकिन डॉक्टर राहुल ने इसे चुनौती के रूप में लिया. इसके बाद उसका सफल ऑपरेशन संभव हो पाया. अब यह बच्चा अपने मां-बाप को आसानी से पहचान पायेगा.
ब्लैक बोर्ड पर कुछ दिखता नहीं था, इसलिए बंद हो गयी थी सैफ की पढ़ाई : इधर, वहीं दीपाटोली निवासी नौ वर्षीय सैफ इकबाल भी मोतियाबिंद से पीड़ित था. परिजन ने उसका नामांकन स्कूल में करा ताे दिया, लेकिन उसे कुछ दिखायी नहीं देता था. इससे उसकी पढ़ाई बंद हो गयी थी. परिजन उसे डॉ राहुल प्रसाद के पास परामर्श के लिए ले आये. उसकी आवश्यक जांच की गयी, जिसमें माेतियाबिंद पाया गया. इसके बाद शनिवार को उसका भी ऑपरेशन किया गया. इसको भी ऑपरेशन के बाद छुट्टी दे दी गयी है.
दाे साल के बच्चे का ऑपरेशन करना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था. बच्चे के दोनाें आंख में मोतियाबिंद था, जिसका ऑपरेशन किया गया. अब बच्चा एक सामान्य बच्चे की तरह देख पायेगा. निजी अस्पताल में इसके लिए 40 से 50 हजार रुपये खर्च करने पड़ते, लेकिन रिम्स में मुफ्त में किया गया है.
डॉ राहुल प्रसाद, नेत्ररोग विशेषज्ञ, रिम्स

Next Article

Exit mobile version