झारखंड में व्हाट्सएप से आरोप गठन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह कैसा मजाक, जानें पूरा मामला
रांची : झारखंड में ट्रायल कोर्ट द्वारा पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व उनकी विधायक पत्नी निर्मला देवी के खिलाफ व्हाट्सएप कॉल के सहारे आरोप गठन को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. सात सितंबर को सुप्रीम काेर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबदे और न्यायमूर्ति न्यायाधीश नागेश्वर राव की पीठ इसे न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध […]
रांची : झारखंड में ट्रायल कोर्ट द्वारा पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व उनकी विधायक पत्नी निर्मला देवी के खिलाफ व्हाट्सएप कॉल के सहारे आरोप गठन को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है.
सात सितंबर को सुप्रीम काेर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबदे और न्यायमूर्ति न्यायाधीश नागेश्वर राव की पीठ इसे न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध मानते हुए सरकारी वकील से पूछा : झारखंड में यह क्या हो रहा है ? यह कैसा मजाक है. यह किस तरह का ट्रायल है ? कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है.
काेर्ट ने भाेपाल में ही रहने का दिया था निर्देश : 14 अगस्त 2015 को हजारीबाग के तत्कालीन एसडीओ ने ढेंगा गोली कांड में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव उनकी पत्नी सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें पति-पत्नी पर गंभीर आरोप लगाये गये थे. योगेंद्र साव सुप्रीम कोर्ट गये.
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जमानत देने के साथ ही भोपाल में रहने का आदेश दिया था. दोनों को सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए झारखंड आने की छूट दी गयी थी. हजारीबाग के एडीजे अमित शेखर की अदालत ने 2018 में ढेंगा गोलीकांड में पूर्व मंत्री व उनकी पत्नी के खिलाफ आरोप गठन के लिए दोनों अभियुक्तों को भोपाल में ही जिला जज की अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के सहारे हाजिर होने का निर्देश दिया.
इसके आलोक में दोनों भोपाल जिला जज की अदालत में हाजिर हुए. हालांकि हजारीबाग और भोपाल कोर्ट के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के सहारे संपर्क नहीं हो सका. इसके बाद हजाराबीग से भोपाल कोर्ट के वीडियो कांफ्रेंसिंग करानेवाले कर्मचारी को माेबाइल नंबर पर व्हाट्सएप कॉल के सहारे दोनों अभियुक्तों के खिलाफ आरोप गठन की कार्यवाही पूरी की गयी.
केस दिल्ली ट्रांसफर करने का आग्रह
दोनों अभियुक्तों ने व्हाट्सएप कॉल के सहारे आरोप गठन की कार्रवाई पर भोपाल और हजारीबाग कोर्ट में लिखित तौर पर अपना विरोध दर्ज कराया. इसके बाद पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की.
इसमें झारखंड में अपने ऊपर दर्ज सभी मामलों को दिल्ली स्थित कोर्ट में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया. साथ ही अपने विरुद्ध चल रहे मामले में व्हाट्सएप के सहारे आरोप गठन करने को बतौर उदाहरण पेश करते हुए झारखंड में अपने साथ न्याय नहीं होने की आशंका जतायी थी. इस मामले की सुनवाई सात सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई.
क्या है मामला
एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोल खनन परियोजना के विस्थापितों के लिए ढेंगा के आरएन कोलियरी में आवास बनाया जा रहा था. इसके लिए ढेंगा गांव के लोगों की भूमि अधिग्रहित की जा रही थी. इसका पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी विरोध कर रहे थे. 14 अगस्त 2015 को विस्थापितों के साथ योगेंद्र साव ने बैठक की. इसके बाद वे निर्माण कार्य का विरोध करने ढेंगा जा रहे थे. इसी दौरान पुलिस से झड़प हुई. पथराव में कई पुलिस अफसर भी घायल हुए. पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इसमें कई विस्थापित घायल हुए.