प्रभात खबर के भागलपुर संपादक की मां का निधन

रांची : प्रभात खबर भागलपुर के संपादक जीवेश रंजन सिंह की माता सावित्री सिंह (लगभग 80 वर्ष) का बुधवार को आकस्मिक निधन हो गया. वे इलाज के लिए रांची-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थीं. इसी क्रम में बोकारो स्टेशन पर रात लगभग आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. हृदय गति रुक जाने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2018 3:45 AM

रांची : प्रभात खबर भागलपुर के संपादक जीवेश रंजन सिंह की माता सावित्री सिंह (लगभग 80 वर्ष) का बुधवार को आकस्मिक निधन हो गया. वे इलाज के लिए रांची-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थीं. इसी क्रम में बोकारो स्टेशन पर रात लगभग आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. हृदय गति रुक जाने के कारण उनका निधन हो गया. पुत्र मुकेश रंजन सिंह उनके साथ दिल्ली जा रहे थे. इनके पति स्व चंद्रभूषण सिंह आकाशवाणी रांची के समाचार वाचक व रांची विवि जन संचार व पत्रकारिता विभाग के व्याख्याता रह चुके हैं.

वे अपने पीछे बड़े पुत्र राकेश रंजन सिंह, मुकेश रंजन सिंह, जीवेश रंजन सिंह व मनोरंजन सिंह सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गयी हैं. 13 सितंबर को लगभग एक बजे हरमू मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया जायेगा. पैतृक घर सारण जिले के सेंगरटोला गांव में है.

जाम में फंसी महिला ने सड़क पर जना बच्चा
लोगों ने ठेले से पहुंचाया अस्पताल, रेलवे पुल के नीचे लग गया था जाम
गया-कामाख्या एक्स. में एलएचबी कोच
नये कोच लगने से यात्रियों को होगी सहूलियत, हादसों पर होगा कंट्रोल
ये कोच दुर्घटना में भी नहीं टूटते और डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते
क्या है इसकी खासियत
पहली खासियत : एलएचबी कोच पुराने कंवेशनल कोच से काफी अलग होते हैं. ये उच्च स्तरीय तकनीक से लैस हैं. इन कोचों में बेहतरशॉक एब्जॉर्बर का उपयोग किया गया है. इससे आवाज कम होती है. यानी कि पटरियों पर दौड़ते वक्‍त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन के चलने की आवाज बहुत धीमी आती है.
दूसरी खासियत : ये कोच स्‍टेनलेस स्‍टील से बने होते हैं. जबकि इंटीरियर डिजाइन एल्‍यूमीनियम से की जाती है. इससे ये दूसरे कोच की तुलना में थोड़े हल्‍के होते हैं.
तीसरी खासियत : इन कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से ब्रेक लगा देते हैं. कोचों में लगे शॉक एब्जॉर्बर की वजह से झटकों का अनुभव कम होगा.
चौथी खासियत :-
सीबीसी कपलिंग से डिब्‍बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते,एलएचबी डिब्‍बों में सीबीसी कपलिंग लगाये जाते हैं.
पांचवाी खासियत :-
सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर ट्रेन डिरेल भी होती है तो कपलिंग के टूटने की आशंका नहीं होती है, जबकि स्क्रू कपलिंग वाले कोचों के डिरेल होने से उसके टूटने का डर बना रहता है.
छठी खासियत :-
कोच की खास चीज कोचों में लगे कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टायलेट सिस्टम की वजह से गाड़ी के स्टेशन पर रुकने पर यह ट्रेन के शौचालय के दरवाजों को बंद कर देगा है और खड़ी ट्रेन में यात्री शौचालयों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. ट्रेन के स्टेशन से चलने के बाद 30 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेने पर शौचालयों के दरवाजे दुबारा खुल जाते हैं. इससे स्टेशनों में सफाई व्यवस्था भी ठीक रहती है.

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