रांची : हरमू मैदान में जुटे 13 राज्य के आदिवासी, कहा, आदिवासियों को आदिवासी के रूप में ही पहचान मिलनी चाहिए
रांची : आदिवासी समन्वय मंच ने गुरुवार को हरमू मैदान में आदिवासी अधिकार घोषणा दिवस का आयोजन किया. इसमें 13 राज्यों से विभिन्न आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हुए. कार्यक्रम में नेपाल से भी आदिवासी समुदाय के लोग पहुंचे. इस अवसर पर आपसी एकता को मजबूत करने पर चर्चा हुई. कहा गया कि भारत सरकार […]
रांची : आदिवासी समन्वय मंच ने गुरुवार को हरमू मैदान में आदिवासी अधिकार घोषणा दिवस का आयोजन किया. इसमें 13 राज्यों से विभिन्न आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हुए. कार्यक्रम में नेपाल से भी आदिवासी समुदाय के लोग पहुंचे. इस अवसर पर आपसी एकता को मजबूत करने पर चर्चा हुई. कहा गया कि भारत सरकार आदिवासी को संविधान में शेड्यूल ट्राइब (एसटी) के रूप में मान्यता देती है, पर आदिवासियों को आदिवासी के रूप में ही पहचान दी जानी चाहिए
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महाराष्ट्र से आये कालूराम काकडेया धोधड़े ने कहा कि आदिवासी समुदाय पूरे देश में अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. हम चाहते हैं कि वे एकजुट हों. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ग्रामीण क्षेत्रों से पानी ले जाकर मुंबई में सप्लाई हो रही है. हमें पानी नहीं मिल रहा है, लेकिन उद्योगपतियों के लिए सरकार के पास पानी है. हमें पता है कि सरकार अौर कानून हमारा साथ नहीं देगा पर हम लड़ाई जारी रखेंगे.
वर्षों से हो रही आदिवासी एकता की कोशिश
झारखंड के कुमार चंद्र मार्डी ने कहा कि वर्षों से आदिवासी एकता की कोशिश हो रही है. इस आयोजन से हमें निकट आने में सफलता मिली है. यूनाइटेड नेशन ने 2007 में आदिवासियों के लिए जो घोषणा की थी, वह पूरे विश्व के आदिवासियों के लिए है. झारखंड में आदिवासियों के अधिकारों का उल्लंघन सबसे ज्यादा हो रहा है.
नेपाल में भी उठायेंगे आरक्षण की मांग
नेपाल से आये पूर्व सांसद शिव नारायण उरांव ने कहा कि नेपाल में ढाई से तीन लाख उरांव समुदाय के लोग है. पर हमें वहां किसी किस्म का आरक्षण नहीं मिला है. वहां के आदिवासियों को भी शिक्षा, नौकरी में आरक्षण मिलना चाहिए ताकि वे भी विकास कर सके.
इस आयोजन के तीन लक्ष्य
अशोक चौधरी ने कहा कि इस आयोजन के जरिये हमारा तीन लक्ष्य है. पहला आदिवासियों को संविधान प्रदत्त अधिकार मिले. दूसरा आदिवासी अधिकार से जुड़े आंदोलनों में देश भर के आदिवासी एकजुट हों अौर तीसरा हम आदिवासियों की समस्याअों को यूनाइटेड नेशंस में भी उठायेंगे.
पांचवीं अनुसूची को किया जा रहा है कमजोर
महाराष्ट्र के तुकाराम ने कहा कि बिरसा के आंदोलन को छोटानागपुर से बड़ा नागपुर (महाराष्ट्र) पहुंचने में लगभग 150 वर्ष का समय लग गया है. पर अब अगर आप विदर्भ के किसी भी गांव में जायेंगे, तो वहां भगवान बिरसा की प्रतिमा जरूर मिलेगी. उन्होंने कहा कि देश की विकास नीति पूंजीपति वर्ग को ध्यान में रखकर बनायी गयी है. पांचवीं अनुसूची को कमजोर किया जा रहा है
सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये
राजकुमार पाहन, विश्वनाथ तिर्की, सीमा वासले, ममता कुजूर, साधना मीणा, प्रभु टोकिया, निकोलस बारला सहित अन्य वक्ताअों ने भी संबोधित किया. सुबह के सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों की टीम ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी.