मोमेंटम झारखंड: झारखंड हाइकोर्ट ने जनहित याचिका निष्पादित की, कहा, एसीबी में दर्ज करायें प्राथमिकी
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2017 (जीआइएस) के नाम हुए 100 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च की सीबीआइ जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस डीएन पटेल की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका निष्पादित कर दी. […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2017 (जीआइएस) के नाम हुए 100 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च की सीबीआइ जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस डीएन पटेल की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका निष्पादित कर दी. खंडपीठ ने प्रार्थी को छूट दी कि वह सभी दस्तावेजों के साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में प्राथमिकी दर्ज कराये.
प्रार्थी ने खंडपीठ को बताया खूब पैसे उड़ाये गये
इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने खंडपीठ को बताया कि जीआइएस के नाम पर राज्य सरकार ने खूब पैसा उड़ाया. 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये गये. समिट के दाैरान जो एमअोयू किये गये, वह धरातल पर नहीं उतर पाये. विदेशों में और घरेलू रोड शो किये गये.
जीआइएस में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, कनाडा आदि देशों में रोड शो के नाम पर 16.50 करोड़ रुपये खर्च किये गये, जबकि देश के अंदर रोड शो में 4.50 करोड़ रुपये खर्च किये गये. खाने-पीने के नाम पर 7.50 करोड़ रुपये खर्च किये गये. जीआइएस के दाैरान किये गये एमअोयू से 1,59,252 करोड़ रुपये के निवेश की बात कही गयी, लेकिन वह अभी साकार नहीं हो पाया है.
पहले के एमओयू भी धरातल पर नहीं उतरे
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के समय 29 एमअोयू किये गये, जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के कार्यकाल के लिए 68 एमअोयू किये गये. उसकी भी स्थिति दूसरी नहीं है.
प्रार्थी की अोर से सार्वजनिक पैसे की बर्बादी के इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने का अनुरोध किया गया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी दीवान इंद्रनील सिन्हा ने जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने जीआइएस के नाम पर हुए वित्तीय अनियमितताअों की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी.