रांची : झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन का सम्मेलन शुरू, बोले वक्ता, वनाधिकार कानून को किया गया दरकिनार

रांची : झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन (जेजेबीए) का दो दिवसीय वार्षिक सेमिनार शनिवार को गोस्सनर थियोलॉजिकल कॉलेज सभागार में शुरू हुआ़ इस अवसर पर जेेजेबीए के संस्थापक प्रो संजय बसु मल्लिक ने कहा कि क्षतिपूरक वन रोपण कोष अधिनियम (कैंपा)- 2016 पहले एक योजना के रूप में था़ वर्ष 2016 तक इस फंड में 55,000 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2018 6:28 AM
रांची : झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन (जेजेबीए) का दो दिवसीय वार्षिक सेमिनार शनिवार को गोस्सनर थियोलॉजिकल कॉलेज सभागार में शुरू हुआ़ इस अवसर पर जेेजेबीए के संस्थापक प्रो संजय बसु मल्लिक ने कहा कि क्षतिपूरक वन रोपण कोष अधिनियम (कैंपा)- 2016 पहले एक योजना के रूप में था़ वर्ष 2016 तक इस फंड में 55,000 करोड़ रुपये जमा हुए़ इसके बाद सवाल उठा कि इसके इस्तेमाल की व्यवस्था बननी चाहिए़ सिविल सोसाइटी के दबाव पर सरकार ने एक ड्राफ्ट बनाया, पर इसमें वनाधिकार कानून के प्रावधान गायब थे़
इस मुद्दे पर सीपीएम, कांग्रेस व अन्य पार्टियों के दबाव पर सरकार ने कहा कि जब नियमावली बनेगी, तब उसमें अपेक्षित सुधार कर दिया जायेगा़ पर अगस्त 2018 में जब अधिसूचना आयी है, तब भी विसंगतियां मौजूद हैं.
जंगलों का महत्व बेहतर समझते हैं आदिवासी : एक्सआइएसएस के निदेशक डॉ एलेक्स एक्का ने कहा कि विकास के नाम पर जिस तरह विनाश हो रहा है, इसमें जंगल बचाने के लिए आंदोलन की जरूरत है़ आदिवासी जंगलों का महत्व बेहतर समझते हैं. अभिजीत चटर्जी ने कहा कि पेसा कानून 1996 ने स्वशासन का अधिकार दिया़
आजीविका के लिए प्राकृतिक संसाधनों के नियंत्रण व प्रबंधन का अधिकार दिया, जो कैंपा से समाप्त हो रहा है़ वीएस रॉय डेविड ने कहा कि आजीविका के लिए स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के नियंत्रण व प्रबंधन का अधिकार समुदाय के पास होना जरूरी है़ मौके पर जेजेबीए के संयोजक जेवियर कुजूर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वनाधिकार कानून लागू करने में झारखंड सभी राज्यों से पीछे है़ झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन और झारखंड वनाधिकार मंच जैसे संगठन इसे जन सहयोग से लागू करायेंगे़

Next Article

Exit mobile version