झारखंड विधानसभा : 150 से अधिक सहायकों की हुई थी नियुक्ति, नियम बदला, प्रमोशन में भी मनमानी

सहायकों को बिना वरीयता का ध्यान रखते हुए महज एक लिखित परीक्षा के आधार पर प्रशाखा पदाधिकारी बना दिया गया था रांची : विधानसभा में प्रोन्नति को लेकर भी तरह-तरह के हथकंडे अपनाये गये. मनमाने तरीके से लोगों को प्रोन्नति दी गयी. विधानसभा की नियुक्ति-प्रोन्नति नियमावली बदली गयी. राजनेताओं के करीबी और पैरवी पुत्रों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2018 6:55 AM
सहायकों को बिना वरीयता का ध्यान रखते हुए महज एक लिखित परीक्षा के आधार पर प्रशाखा पदाधिकारी बना दिया गया था
रांची : विधानसभा में प्रोन्नति को लेकर भी तरह-तरह के हथकंडे अपनाये गये. मनमाने तरीके से लोगों को प्रोन्नति दी गयी. विधानसभा की नियुक्ति-प्रोन्नति नियमावली बदली गयी.
राजनेताओं के करीबी और पैरवी पुत्रों को पीक एंड चूज के आधार पर प्रोन्नति दी गयी. आधे से अधिक पैरवी पुत्र सहायकों को प्रोन्नत कर प्रशाखा पदाधिकारी बना दिया गया.
विधानसभा में 150 से अधिक सहायकों की नियुक्ति हुई थी. इनमें से 75 से अधिक सहायकों को बिना वरीयता का ध्यान रखते हुए महज एक लिखित परीक्षा के आधार पर प्रशाखा पदाधिकारी बना दिया गया़ इनकी कॉपियों में मनमाने तरीके से नंबर दिये गये. उल्लेखनीय है कि उस परीक्षा में झामुमो नेता शिबू सोरेन के पीए रहे विवेक राउत ने टॉप किया था. इसी तरह कई ऐसे नाम थे, जिनकी राजनेताआें के साथ रिश्ते रहे. वर्षों से लंबित आरक्षण कोटे के तहत प्रोन्नति का लाभ देने के लिए पद सृजित किये गये. पदवर्ग समिति की अनुशंसा पर ये पद सृजित किये गये. पद सृजन को लेकर राज्यपाल से कोई सहमति नहीं ली गयी़
सहायकों की प्रोन्नति में क्या हुआ था
विधानसभा की नियमावली के तहत सहायकों को वरीयता और लिखित परीक्षा के आधार पर प्रोन्नति देना था़ लेकिन स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता के कार्यकाल में इसे बदला गया़ सहायकों के 50 प्रतिशत पद को वरीयता के आधार पर भरने की बात कहते हुए बाकी 50 प्रतिशत के लिए लिखित परीक्षा ली गयी़
इसमें ही खेल हुआ़ वहीं वरीयता में ऊपर रहनेवाले लोग लिखित परीक्षा का प्रावधान किये जाने से चूक भी गये. वहीं आरक्षण के तहत प्रोन्नति देने के लिए संयुक्त, सहायक, अवर सचिव के पदों की संख्या बढ़ायी गयी. इसमें आरक्षण के तहत कर्मियों को प्रोन्नति दी गयी़
आयोग ने डिमोट करने की अनुशंसा की है
जांच आयोग ने गलत तरीके से प्रोन्नति का लाभ लेनेवालों को डिमोट करने की अनुशंसा की है. आयोग का कहना है कि ऐसे कर्मियों को डिमोट किया जाये. इसमें वरीयता और नियम का ख्याल नहीं रखा गया है. वहीं तत्कालीन स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता से भी इस मामले में पक्ष रखने को कहा था. प्रोन्नति घोटाले को लेकर श्री भोक्ता के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुशंसा की गयी है़
क्या है आयोग की आपत्ति
विक्रमादित्य की अध्यक्षता में बनी जांच आयोग ने इस पर आपत्ति जतायी. आयोग का कहना था कि पीक एंड चूज के आधार पर प्रोन्नति देने के लिए लिखित परीक्षा का प्रावधान किया गया. यह गलत था.
इसके साथ ही पदों की संख्या बढ़ाने और आरक्षण का लाभ देने के लिए कोर्ट के निर्देश की गलत व्याख्या की गयी. आयोग ने आरक्षण का लाभ देने को लेकर आपत्ति नहीं जतायी है, लेकिन प्रोन्नति के तरीके पर सवाल खड़ा किया है़

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