शांति भंग करना चाहते हैं असामाजिक तत्व, पर उनका मंसूबा नहीं होगा पूरा

रांची : इरगु टोली मामले में महिलाओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि हमलोग घटना के बाद अपने घर के गेट पर खड़े थे. उस दौरान महिला व पुरुष पुलिसकर्मी अाये. हमलोगों से कहा कि नेता बनती हो. इसके बाद घर से खींच कर पुलिस हम महिलाओं को ले गयी. हम जैसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2018 1:39 AM
रांची : इरगु टोली मामले में महिलाओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि हमलोग घटना के बाद अपने घर के गेट पर खड़े थे. उस दौरान महिला व पुरुष पुलिसकर्मी अाये. हमलोगों से कहा कि नेता बनती हो. इसके बाद घर से खींच कर पुलिस हम महिलाओं को ले गयी. हम जैसी निर्दोष पर बल प्रयोग कर पुलिस क्या साबित करना चाह रही है.
यदि पुलिस में इतनी हिम्मत है, तो आरोपियों को गिरफ्तार करे. महिलाओं ने कहा कि दूसरे गुट के कुछ युवकों के कारण एक गुट की महिला और युवतियों का रास्ता चलना मुश्किल हो गया है़ इधर, हिरासत में लिये गये दूसरे गुट के लोगों ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पुलिस दबाव में आकर काम कर रही है़
हमलोग शांति पसंद लोग है़ं हमें तो याद ही नहीं है कि इतने सालों में इससे पहले कभी इस तरह की घटना हुई हो़ दोनों ओर के कुछ असामाजिक तत्व शांति भंग करना चाहते हैं, ताकि वे लोग अपनी मकसद में कामयाब हो सके़ं पर हमारा आपसी सौहार्द्र बरकरार रहेगा़
पहली बार इरगु टोली में हुई इस तरह की घटना : एक गुट के लोगों ने कहा कि हमारे धार्मिक स्थल काे अपवित्र करने का प्रयास किया गया था़ हमलोगों ने इसका विराेध किया. तीन आरोपियाें के खिलाफ थाने में शिकायत की गयी. मंगलवार को आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने के विरोध में हमलोगों ने प्रदर्शन किया.
पुलिस ने हमें 24 घंटे की मोहलत दी थी, लेकिन समय गुजरने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई. इसके बाद महिला-पुरुष और बच्चे शांतिपूर्वक पैदल मार्च करते हुए गाड़ी खाना चौक पर विरोध-प्रदर्शन करने जा रहे थे. हमारे साथ पुलिस भी थी, लेकिन दूसरे गुट के धार्मिक स्थल के पास पहुंचते ही उनलोगों ने पथराव शुरू कर दिया़ हमलोग के पास लाठी-डंडा कुछ भी नहीं था़ पथराव के बाद बचाव में हमारे ओर से भी कुछ लोगों ने पथराव किया़ 25-30 साल में इस प्रकार की घटना पहली बार इरगु रोड में हुई है़
इधर, दूसरे गुट के लोगों ने कहा कि हमारे धार्मिक स्थल के पास भड़काऊ नारा लगाने से कुछ नौजवान उग्र हुए थे, लेकिन बुद्धिजीवियों ने उन्हें समझा कर शांत करा लिया था़ पहले उधर से ही पथराव किया गया. तलवार व डंडा से लैस होने की बात निराधार है़

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