ढाई साल पहले ली गयी थी जमीन, पर रैयतों को अब तक नहीं मिला मुआवजा, बढ़ रहा है आक्रोश
रांची : राजधानी में 359 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का काम चल रहा है. इसी योजना के तहत रांची नगर निगम द्वारा बड़गाईं के लेम में 7.5 एकड़ क्षेत्रफल में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) का निर्माण कराया जा रहा है. इसमें 4.09 एकड़ जमीन रैयती है. ढाई साल पहले यह जमीन यहां के […]
रांची : राजधानी में 359 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का काम चल रहा है. इसी योजना के तहत रांची नगर निगम द्वारा बड़गाईं के लेम में 7.5 एकड़ क्षेत्रफल में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) का निर्माण कराया जा रहा है. इसमें 4.09 एकड़ जमीन रैयती है. ढाई साल पहले यह जमीन यहां के रैयतों से ली गयी है. लेकिन, अब तक एक भी रैयत को एक रुपये का मुआवजा नहीं मिला है.
यहां के रैयत रोजाना जिला भू-अर्जन कार्यालय और रांची नगर निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन, यहां उन्हें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है कि उन्हें मुआवजे की राशि कब मिलेगी? इससे नाराज रैयतों ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य एक माह से बंद करा रखा है. रैयतों का यह कहना है कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिल जाता है, निर्माण कार्य शुरू नहीं करने देंगे.
जमीन खाली रहती, तो कम से कम खेती तो करते
रैयत लालदेव मिस्त्री, भुमन लोहरा, अर्जुन कुमार, पुसवा लोहार, बरतू लोहार, मंगल उरांव, दिबिया उरांव, सुकरा उरांव, मोटो उरांव, झरी उरांव, गुमन उरांव, मंटू उरांव व एतवा उरांव का कहना है कि अगर सरकार हमारी जमीन अधिग्रहित नहीं करती, तो हम इस जगह खेती तो कर लेते. लेकिन सरकार ने जमीन भी ले ली है और मुआवजा भी नहीं दिया.
पूर्व में यह प्लांट किशुनपुर में बनने वाला था. बाद में यह लेम बस्ती में बनाने का निर्णय हुआ. इसलिए कुछ तकनीकी परेशानी आयी. अब सभी कागजात दुरुस्त कर लिये गये हैं. विभाग को भी पत्र लिखा गया है. एक सप्ताह में रैयतों का पैसा उनके खाता में चला जायेगा.
संजय कुमार, उप नगर आयुक्त