अजेय योद्धा थे झारखंड आंदोलन के महानायक बिनोद बिहारी महतो, पढ़ो और लड़ो का दिया था मूल मंत्र

देवेंद्र नाथ महतो झारखंड आंदोलन के महानायक व जननायक बिनोद बिहारी महतो एक अजेय योद्धा थे. बिनोद बाबू ने छत्रपति शिवाजी महाराज को आदर्श मान कर सन 1967 ई. में शिवाजी समाज का गठन करके महाजनों सूदखोरों, सामंतवादों, जमींदार शोषण, मुखिया गिरी, तिलक दहेज, बाल विवाह, बहुविवाह, शराबखोरी के खिलाफ सीधी लड़ाई की बुनियाद रखी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2018 6:15 AM
देवेंद्र नाथ महतो
झारखंड आंदोलन के महानायक व जननायक बिनोद बिहारी महतो एक अजेय योद्धा थे. बिनोद बाबू ने छत्रपति शिवाजी महाराज को आदर्श मान कर सन 1967 ई. में शिवाजी समाज का गठन करके महाजनों सूदखोरों, सामंतवादों, जमींदार शोषण, मुखिया गिरी, तिलक दहेज, बाल विवाह, बहुविवाह, शराबखोरी के खिलाफ सीधी लड़ाई की बुनियाद रखी. कुछ दिन बाद झारखंड आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए नये सिरे से लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाने में जुट गये.
उन्होंने आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए एक अलग पार्टी बनाने का निर्णय लिया और झारखंड के एक और क्रांतिकारी नेता शिबू सोरेन को अपने साथ मिला कर सन 1972 को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गठन किया. जिसका बिनोद बिहारी महतो संस्थापक अध्यक्ष चुने गये.
उन्होंने आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए सामाजिक राजनीतिक आयाम को विस्तृत किया. झारखंड के तमाम राजनीतिक सामाजिक संगठन को एक साथ लाकर झारखंड समन्वय समिति का गठन किया जिसमें कुल 52 संगठनों को साथ लेकर अलग राज्य के आंदोलन का शंखनाद किया.
झारखंड अलग राज्य के आंदोलन को तेज करने के उद्देश्य से बिनोद बाबू ने छात्र तथा युवा शक्ति को सलाम करते हुए पहली बार 22 जून 1986 को एक स्वतंत्र छात्र संगठन आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) को दस्तक दी. जननायक बिनोद बाबू झारखंड आंदोलन का नेतृत्व करते हुए जगह-जगह सभा जुलूस करने लगे.
इस कारण 1973 में मीसा अंतर्गत गिरफ्तार कर गिरिडीह जेल भेजे गये, परंतु जन दबाव के कारण कुछ ही दिनों में रिहा कर दिये गये. संघर्ष के दौर में नये तेवर के साथ 15 नवंबर 1988 को तत्कालीन बिहार सरकार के प्रतिरोध के बावजूद रांची के मोराबादी मैदान में बिनोद बाबू ने अलग राज्य का बिगुल फूंक दिया. लाखों की तादाद में इकट्ठे हुए जनसैलाब के आगे सरकार झुक गयी.
परिणाम यह हुआ कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कमेटी ऑफ झारखंड मैटर गठित करके बिनोद बाबू सहित सभी आंदोलनकारियों को वार्ता के लिए दिल्ली आमंत्रित किया. बिनोद बाबू के सही तथ्य के आगे समिति ने अलग राज्य की मांग को सही माना एवं अप्रत्यक्ष रूप से अलग राज्य की मांग पर सहमति दे दी.
(लेखक बिनोद सेना के अध्यक्ष हैं)

Next Article

Exit mobile version