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रांची : करंट से मौत होने पर बिजली कंपनी को देना होगा चार लाख मुआवजा

विद्युत नियामक आयोग ने की तीन रेगुलेशन पर जनसुनवाई रांची : करंट से किसी व्यक्ति की मौत होने पर उसके आश्रित को चार लाख व अपंग होने की स्थिति में पीड़ित को 60 हजार से दो लाख रुपये तक का मुआवजा मिलेगा. वहीं मवेशी की मौत होने पर 30 हजार रुपये तक मुआवजा का प्रावधान […]

विद्युत नियामक आयोग ने की तीन रेगुलेशन पर जनसुनवाई
रांची : करंट से किसी व्यक्ति की मौत होने पर उसके आश्रित को चार लाख व अपंग होने की स्थिति में पीड़ित को 60 हजार से दो लाख रुपये तक का मुआवजा मिलेगा. वहीं मवेशी की मौत होने पर 30 हजार रुपये तक मुआवजा का प्रावधान किया गया है. यह प्रावधान जेएसइआरसी कंपनशेसन टू विक्टम अॉफ इलेक्ट्रिकल एक्सीडेंट्स रेगुलेशन 2018 में किया गया है.
इसके प्रस्तावों पर सोमवार को झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा आइएमए भवन में जनसुनवाई की गयी. साथ ही जेएसइआरसी अॉपरेशन अॉफ पैरलल लाइसेंसी रेगुलेशन 2018 व इलेक्ट्रिक सप्लाइ कोड रेगुलेशन 2018 पर भी जनसुनवाई की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने की. उनके साथ सदस्य तकनीक आरएन सिंह व आयोग के सचिव एके मेहता भी थे.
आयोग की ओर से रेगुलेशन के बाबत बताया गया कि बिजली कंपनियों को क्वालिटी पावर देना है. यदि खराब बिजली के कारण उपभोक्ता के उपकरण आदि खराब होते हैं, तब भी वे मुआवजा के हकदार होंगे.
बिजली कंपनी को सुरक्षा के सभी मानक को अपनाना है. करंट से घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने पर पांच हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक मुआवजा मिल सकता है. जनसुनवाई के दौरान टाटा पावर के संजीव कुमार और जुस्को के एएन चौधरी ने सुझाव दिये. एक सुझाव में कहा गया कि कई बार जुलूस आदि में झंडा तार से सट जाने की वजह से दुर्घटना हो जाती है, पर इसे बिजली कंपनी अपनी गलती नहीं मानती. इसके लिए भी मुआवजा का प्रावधान होना चाहिए.
आयोग के अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर आपत्तियों के लिए जनता को 15 दिनों का समय दिया है. बिजली वितरण निगम के मुख्य अभियंता (सीएंडआर) सुनील ठाकुर ने आपत्ति जतायी कि बोर्ड की पुरानी संरचना है. कई बार लोग तार के नीचे मकान बना लेते हैं और बाद में दुर्घटना होने पर मुआवजा की मांग करते हैं.
अपनी पसंद की कंपनी से बिजली लेने का हो सकता है विकल्प
बिजली कंपनी दुर्घटना की नहीं देती जानकारी
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हर 15 दिनों पर बिजली वितरण कंपनी को बिजली से होने वाली दुर्घटना की जानकारी आयोग को देनी है, पर पिछले आठ माह से आयोग के पास कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.
झुग्गी-झोपड़ी के लोग भी ले सकेंगे कनेक्शन
इलेक्ट्रिक सप्लाई कोड रेगुलेशन 2018 के बाबत कहा गया कि झुग्गी-झोपड़ी या वैसे मकान जिनका वैध कागजात नहीं है, वहां रहने वाले लोग दो किलोवाट तक बिजली कनेक्शन ले सकते हैं. पर उनके बिल को भविष्य में किसी कानूनी दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इस पर भी 15 दिनों का समय दिया गया है.
समानांतर लाइसेंसी व्यवस्था पर भी विचार
जेएसइआरसी अॉपरेशन अॉफ पैरलल लाइसेंसी रेगुलेशन 2018 के बाबत आयोग की ओर से कहा गया कि मोबाइल की तर्ज पर बिजली में भी समानांतर लाइसेंसी व्यवस्था का प्रावधान किया जा रहा है. तब उपभोक्ता को जिन कंपनियों से बिजली लेनी होगी, वे ले सकेंगे. इसके लिए भी 15 दिनों का समय दिया गया है.
नहीं आयी जनता
बिजली उपभोक्ताओं के मुद्दे पर जनसुनवाई थी, पर इसमें जनता ही नहीं थी. केवल बिजली कंपनियों के लोग ही थे. आयोग ने कहा कि अखबारों में कई बार विज्ञापन देकर जनता को आने का आग्रह किया गया था.
रांची : झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड ने झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के पास टैरिफ के ट्रू अप का प्रस्ताव दिया है. निगम अभी वितरण कंपनी से 25 पैसे प्रति यूनिट की दर से भुगतान लेती है. संचरण निगम के इस मुद्दे पर सोमवार को आइएमए भवन में नियामक आयोग ने जनसुनवाई की.
मौके पर आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद, सदस्य तकनीक आरएन सिंह व सचिव एके मेहता भी थे. जबकि संचरण निगम के एमडी निरंजन कुमार, अमित बनर्जी व अन्य उपस्थित थे. निगम का तर्क था कि संचरण के संरचना निर्माण पर काफी खर्च होता है. इसके लिए झारखंड सरकार से 13 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन लेना पड़ता है. इसकी किस्त भरना वर्तमान दर से संभव नहीं है.
आयोग टैरिफ बढ़ाये. इस पर आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आपलोग इतनी महंगी दर पर लोन कैसे लेते हैं. जबकि वर्ल्ड बैंक या अन्य एजेंसी एक से तीन प्रतिशत पर लोन देती है. अधिक ब्याज दर पर लोन लेने पर इसका भार जनता पर पड़ता है. उन्होंने संचरण निगम की टैरिफ पर 15 दिनों बाद फैसला लेने की बात कही.

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