शहीद एसपी बलिहार की हत्या के आरोपियों को कोर्ट ने सुनायी सजा, पत्नी ने कहा, नक्सलियों को उनके किये की सजा मिली
अजय दयाल रांची : शहीद एसपी अमरजीत बलिहार तथा अन्य पांच पुलिसकर्मियों के हत्यारे दो नक्सली प्रवीर दा उर्फ सुखलाल मुर्मू और सनातन बास्की उर्फ ताला को अदालत ने फांसी की सजा सुनायी है. कोर्ट द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद रांची के पत्थलकुदुवा के बेक रोड स्थित रिचर्ड इनक्लेव में रहनेवाले शहीद अमरजीत बलिहार […]
अजय दयाल
रांची : शहीद एसपी अमरजीत बलिहार तथा अन्य पांच पुलिसकर्मियों के हत्यारे दो नक्सली प्रवीर दा उर्फ सुखलाल मुर्मू और सनातन बास्की उर्फ ताला को अदालत ने फांसी की सजा सुनायी है.
कोर्ट द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद रांची के पत्थलकुदुवा के बेक रोड स्थित रिचर्ड इनक्लेव में रहनेवाले शहीद अमरजीत बलिहार का परिवार काफी खुश है. शहीद अमरजीत बलिहार की पत्नी सुमन बलिहार ने कहा कि अदालत ने दोनों नक्सलियों काे उनके किये की सजा दी. अदालत ने वीभत्स हत्या के लिए उन लोगों को फांसी की सजा दी है. हालांकि यह भी कहा कि यह अदालत का निर्णय है, अदालत के निर्णय पर हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. अदालत ने उन्हें दोषी पाया, तो उन्हें सजा मिलनी ही थी. उन्होंने कहा कि मेरे पति ने देश के लिए बलिदान दिया है.
हमें पता था कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा. सुमन बलिहार वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत है. उन्होंने कहा कि इस हत्या मामले में जो लोग रिहा हो गये, उस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. यह अदालत का निर्णय है़
पुलिस अधिकारी बनना चाहता है पुत्र अविनाश
सुमन बलिहार ने बताया कि उनकी दो बेटियां अपराजिता व शालिनी तथा एक पुत्र अविनाश है. दोनाें बेटियां लालपुर बीआइटी एक्सटेंशन से मैनेजमेंट कर रही हैं. जबकि पुत्र अविनाश संत जेवियर्स कॉलेज में पार्ट टू में पढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि अविनाश में देश प्रेम कूट-कूट कर भरा है़
पिता के देश पर कुर्बान होने के बाद उसमें भी देश सेवा का जज्बा है. वह भी पुलिस अधिकारी बन कर देश और राज्य की सेवा करना चाहता है. सुमन बलिहार ने कहा कि हालांकि झारखंड सरकार की अोर से अनुकंपा पर नौकरी देने का प्रावधान है, लेकिन हमारे बच्चे तृतीय व चतुर्थवर्गीय पद पर नौकरी नहीं करना चाहते, इसलिए हमलोगों ने झारखंड सरकार की नौकरी के लिए ट्राइ नहीं किया़
दो जुलाई 2013 को नक्सलियों ने किया था एसपी पर हमला
गौरतलब है कि दो जुलाई 2013 को दुमका में डीआइजी कार्यालय में बैठक के बाद तत्कालीन पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार वाहन से पाकुड़ लौट रहे थे.
उसी समय काठीकुंड के आमतल्ला के पास दिन के 2:30 बजे घात लगाये नक्सलियों ने एके 47, इंसास रायफल और एसएलआर से ताबड़तोड़ उनके वाहन पर गोलीबारी शुरू कर दी. इसमें एसपी अमरजीत बलिहार के अलावा पांच पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी.
जहानाबाद में बलिहार की हुई थी पहली पोस्टिंग
14 अक्टूबर 1960 को जन्मे अमरजीत ने वर्ष 1983 में अपनी एमए की शिक्षा पूरी की. साल 1986 में उन्होंने बीपीएससी परीक्षा पास की. इसके बाद बतौर डीएसपी उनकी पहली पोस्टिंग जहानाबाद में हुई. इसके बाद वे मुंगेर, खूंटी, जहानाबाद, पटना, राजगीर, हवेली खड़गपुर, लातेहार, चक्रधरपुर और रांची में भी रहे.
2003 में उनको आइपीएस में प्रोन्नति दी गयी और जैप वन में वे डिप्टी कमांडेंट बने. मई 2013 में उन्हें पाकुड़ का एसपी बनाया गया था. उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ कड़े कदम उठाये थे. इसी वजह से पाकुड़ में पोस्टिंग के समय से ही वे नक्सलियों के निशाने पर थे.
राष्ट्रपति से सराहनीय सेवा मेडल व सीएम से हो चुके थे सम्मानित
वर्ष 2010 में उन्हें राष्ट्रपति ने सराहनीय सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था. 26 जनवरी 2010 को लालकिला में उन्हें राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने सराहनीय सेवा मेडल प्रदान किया था.
तीन फरवरी 2008 को उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने गुजरात राज्य में हुए चुनाव कार्य में निष्ठापूर्वक कर्तव्य का पालन करने के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया था़ उस समय अमरजीत बलिहार एएसपी मुख्यमंत्री सुरक्षा के रूप में कार्यरत थे़
24 अक्टूबर 2012 को बलिहार ने मनायी थी अंतिम जन्मदिन पार्टी
पुत्री अपराजिता व शालिनी ने बताया कि पापा ने जैप-10 में 24 अक्तूबर 2012 को अंतिम जन्मदिन पार्टी मनाया था. उस समय शहीद अमरजीत बलिहार जैप-10 व जैप-टू के कमांडेंट के प्रभार में थे. उस समय जैप-10 के जवानों ने उनके जन्मदिन पर भव्य पार्टी आयोजित की थी.
बच्चों के लिए चिंतित रहते थे अमरजीत बलिहार
सुमन बलिहार ने बताया कि अमरजीत बलिहार के साथ 1990 में उनकी शादी हुई थी. वह बच्चों के लिए हमेशा चिंतित रहते थे. घटना के पूर्व भी उन्होंने बच्चों के संबंध में पूछा था़ वे अक्सर पूछते रहते थे कि बच्चे स्कूल-कॉलेज से आये हैं या नही़ं बच्चों से भी पढ़ाई के संबंध में जानकारी लेते रहते थे़