गांधी जयंती पर ‘स्वराज स्वाभिमान यात्रा’ पर निकलेंगे आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो

रांची : ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो महात्मा गांधी की जयंती पर ‘स्वराज स्वाभिमान यात्रा’ की शुरुआत करेंगे. यात्रा के दौरान पूरे राज्य के 300 ब्लॉक और नगर पंचायतों के पांच हजार गांवों से गुजरते हुए दो हजार किलोमीटर की पदयात्रा और ढाई लाख लोगों से सीधा संवाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2018 5:27 PM

रांची : ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो महात्मा गांधी की जयंती पर ‘स्वराज स्वाभिमान यात्रा’ की शुरुआत करेंगे. यात्रा के दौरान पूरे राज्य के 300 ब्लॉक और नगर पंचायतों के पांच हजार गांवों से गुजरते हुए दो हजार किलोमीटर की पदयात्रा और ढाई लाख लोगों से सीधा संवाद करेंगे.

पहले चरण में दो अक्तूबर को मांडू के हेसालौंग में झारखंड आंदोलनकारी जयंत गांगुली की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वह यात्रा की शुरुआत करेंगे. मांडू से निकलने वाली यात्रा गोमिया, बेरमो, डुमरी, सिंदरी होते हुए 11 अक्तूबर को टुंडी पहुंचेगी. पहले चरण की यात्रा के 11 दिन में 11 प्रखंड, 55 पंचायतों के 200 गांवोंसे होते हुए 150 किमी की पद यात्राकरेंगे. इस दौरान वह करीब लाख लोगों से सीधा संवाद करेंगे.

कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पंचायत से केंद्रीय स्तरतकके पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं की जिम्मेवारी तय कर दी गयी है.

इस यात्रा के जरिये लोगों से विमर्श कर केंद्रीय अध्यक्ष यह जानने-समझने की कोशिश करेंगे कि महात्मा गांधी ने स्वराज की जो अवधारणा तय की थी, उसके मायने कितने साकार हो रहे हैं.

साथ ही केंद्रीय अध्यक्ष आम अवाम की परेशानी से अवगत होने के साथ सामाजिक-राजनीतिक रिश्ता मजबूत करने के उपायों पर लोगों से बातचीत करेंगे.

श्री महतो का मानना है कि गांधी के स्वराज की अवधारणा में कहा गया था कि लोकतंत्र की बुनियाद नीचे से मजबूत होते हुए ऊपर तक जाये और शक्ति का केंद्र बिंदु आम आदमी तथा उसका समूह हो, जो आपसमेंजुड़ा रहे. तब शीर्ष पर जो परोक्ष व्यवस्थाएं होंगी, उनका नियंत्रण नीचे से होगा.

उन्होंने कहा कि गांधी जी की परिकल्पना थी कि तरक्की की कसौटी समाज का वह अंतिम आदमी होगा, जो तमाम सुविधाओं से वंचित है. इस कसौटी पर झारखंड कहां खड़ा है, इसका जवाब इस यात्रा में तलाशा जायेगा.

किससे होगा संवाद

स्वराज स्वाभिमान यात्रा के दौरान पार्टी के अध्यक्ष पंचायत, छात्र, मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों, ग्राम प्रधान, महिला समूहों के साथ समाज के उन बुद्धिजीवियों के साथ रायशुमारी करेंगे, जो स्थानीय लोगोंका नेतृत्व करते हैं और राय बनाते हैं. साथ ही ग्रामसभा, पारंपरिक व्यवस्था के मायने क्या हैं, झारखंड में इसे शासन-प्रशासन कितना प्रभावी समझता है और बनाया है, इस मामले में भी आम लोगों के साथ चर्चा करेंगे.

श्री महतो ने कहा कि सत्ता विकेंद्रीकरण के पैमाने पर झारखंड कहां खड़ा है, इस विषय पर भी वह जनमत तैयार करेंगे. भौगोलिक प्रशासनिक, भाषाई और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अलग राज्य बनने के 18 साल बाद झारखंड में ग्राम सभा की ताकत और पारंपरिक व्यवस्था किस भूमिका में है, इस पहलू पर भी वह लोगों से बात करेंगे.

गांवों में गुजारेंगे रात

स्वराज यात्रा के दौरानसुदेश महतो झारखंड आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी एवं समाज के वैसे प्रबुद्ध व्यक्ति के यहां रात्रि विश्राम करेंगे, जिन्होंने जनमानस के अनुरूप झारखंड के निर्माण और उसे सशक्त बनाने में अपना योगदान दिया. इससे पहले शाम में गांवों के अखड़ा या चैपाल में स्थानीय कलाकारों का सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा. इसमें गांव-गिरांव के लोग शामिल होंगे. यहां झारखंड की मूल विरासत तथा परंपरा की अहमियत को सामने लाने की कोशिशें की जायेंगी.

स्वाभिमान से जुड़े विषय

‘स्वराज स्वाभिमान यात्रा’ के जरिये झारखंड से जुड़े उन मुद्दों/विषयों का मूल्यांकन होगा, जिन्हें इस राज्य में मौके और वक्त के हिसाब से मोड़दियाजाता है. छोड़दियाजाता है या फिर थोपदियाजाता है. इसी यात्रा में आजसू पार्टी पूरी ईमानदारी और हिम्मत से लोगों को बतायेगी कि राजनीति का मकसद सिर्फ चुनाव जीतना नहीं हो सकता. केंद्रीय अध्यक्ष की इस मुहिम में उन सवालों का जवाब भी तलाशा जाना है कि किन परिस्थितियों में शासन, प्रशासन और सियासत झारखंडी विचारधारा से दूरियां बनाता रहा और हमारे पैरों के नीचे से जमीन खिसकती रही.

श्री महतो ने कहा है कि झारखंड जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें यहां के किसान, मजदूर और छात्र की आवाज की अहमयित क्या है, उनके विचार क्या हैं, इसे जानने की जरूरत है. इस वर्ग के पास भी सोच है. उनमें भी बदलाव की इच्छा है. उन्हें स्थानीय मुद्दों की जानकारी है. वह इन सब विषयों पर लोगों से अपने विचार साझा करेंगे और उनके विचार जानेंगे.

कब कहां से गुजरेगी यात्रा

दो और तीन अक्तूबरको मांडू

चार और पांच अक्तूबर : गोमिया

छह अक्तूबर : बेरमो

सात-आठ अक्तूबर : डुमरी

नौ-दस अक्तूबर : सिंदरी

11 अक्तूबर : टुंडी

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