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लोकमंथन 2018 : ग्रामसभा की गलत व्याख्या कर हुए पत्थलगड़ी के प्रयोग, बोले अशोक भगत

रांची : झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित ‘लोकमंथन 2018’ में विकास भारती के संस्थापक सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि लोगों ने ग्रामसभा की गलत व्याख्या की. ग्रामसभा के नाम पर पत्थलगड़ी कर लोगों को बरगलाने की कोशिश की. खेलगांव में आयोजित कार्यक्रम के तीसरे दिन व्यवस्थावलोकन विषय के प्रथम सत्र में वह […]

रांची : झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित ‘लोकमंथन 2018’ में विकास भारती के संस्थापक सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि लोगों ने ग्रामसभा की गलत व्याख्या की. ग्रामसभा के नाम पर पत्थलगड़ी कर लोगों को बरगलाने की कोशिश की. खेलगांव में आयोजित कार्यक्रम के तीसरे दिन व्यवस्थावलोकन विषय के प्रथम सत्र में वह अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे.

श्री भगत ने कहा कि यहां लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है. कहा, ‘मैं झारखंड में काम करने आया,तो गांवों में जाता था. लोगों को समझाता था. लोग मेरा स्वागत भी करते थे. इससे पादरी डरगये.घबराकर उन्होंने लोगों से कहा कि वे मुझसे न मिलें. मेरी बात न सुनें.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने कारण पूछा, तोबतायागया किमुझेलोग नहीं जानते. मैं बाहरी हूं. एक बार 6 महीने की हड़ताल थी. 6 महीने तक कोई सरकारी विद्यालय, कोई सरकारी दफ्तर, कोई अस्पताल नहीं खुला. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मैंने गांवों में हड़ताल के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि उन्हें हड़ताल के बारे में कुछ पता ही नहीं है. सरकारी कर्मचारियों से हमारा कोई मतलब नहीं है.’

अशोक भगत ने कहा कि तब उन्होंने नारा दिया, ‘कोर्ट-कचहरी, थाना-पुलिस का बहिष्कार करो, गांव का शासन गांव में करो.’उन्होंनेकहा कि उस वक्त यह कहना बहुत कठिन था. अगर वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक नहोते,तो उन्हें उग्रवादी कहकर जेल मेंडालदिया जाता.

उन्होंने कहा, ‘अगर हम यह सोचते हैं कि सब कुछ सरकार कर देगी, तो यह संभव नहीं है. एक नारा है: लोकसभा ना विधानसभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा. कुछ लोगों ने इसका दुरुपयोग करके पत्थलगड़ी जैसे प्रयोग किये.’

अधिकारियों की कार्यशैली पर जयंत ने उठाये सवाल

समारोह को नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने भी संबोधित किया. उन्होंने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाये. कहा, ‘मुझे हैरानी होती है. हमारे प्रशासनिक पदाधिकारियों को यह समझ ही नहीं हैकिकिसी उद्योगपति का एक-एक सेकेंड कितना कीमती होता है. आप निर्णय लेने में जितना विलंब करेंगे, उतना ज्यादा उनका नुकसान होगा.’

समय पर निर्णय नहीं लेंगे अफसर, तो दिवालिया हो जायेंगे उद्योगपति

श्री सिन्हा ने कहा कि हर उद्योगपति को बहुत पैसे निवेश करने होते हैं. ब्याज की एक दर है. अगर आपने बहुत बड़ा उद्योग खड़ा किया है, उसके लिए हजार करोड़ का कर्ज लिया है, तो बैंक उसके लिए हर दिन ब्याज लेता है. जैसे-जैसे दिन बीतता है, ब्याज बढ़ता चला जाता है. अधिकारियों की निर्णय लेने में देरी से उद्योग घाटे में चला जाता है. इसलिए अफसर समय की कीमत को समझें.’

अफसरों की जवाबदेही तय करना जरूरी

उन्होंने कहा कि अगर आप किसी को उसका वेतन समय पर नहीं देंगे, तो काम कैसे होगा. लोगों का व्यापार कैसे चलेगा. ज्यादा देरी होने पर कंपनी दिवालिया हो जायेगी और सैकड़ों-हजारों लोगों का रोजगार छिन जायेगा. उन्होंने कहा कि यदि व्यवस्था में जवाबदेही नहीं होगी, तो कोई उपलब्धि आप हासिल नहीं कर पायेंगे.

जयंत सिन्हा ने कहा कि रामगढ़ और हजारीबाग में स्कोर कार्ड की परंपरा शुरू कीगयीहै. यह जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक लागू है. इसके माध्यम से प्रशासनिक कार्यों का मूल्यांकन और उसकेबाद सुधार की संभावनाओं को तलाशने का प्रयास किया जाता है.इससे प्रशासनिक कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है.

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