एनएच-75 के फोरलेन कार्य से उड़ रहा धूल का गुबार, सांस लेना भी मुश्किल, लोग बीमारियों के हो रहे शिकार
मांडर : एनएच-75 के फोरलेन कार्य को लेकर उड़ रहे धूल व गर्द से मांडर में सड़क किनारे रह रहे लोगों का जीना मुहाल हो गया है. सड़क पर अत्यधिक ट्रैफिक के कारण दिन-रात धूल व गर्द से धुंध सी छायी रहती है. जिसमें चलना-फिरना तो मुश्किल है ही, अगल-बगल में रहने वाले लोगों का […]
मांडर : एनएच-75 के फोरलेन कार्य को लेकर उड़ रहे धूल व गर्द से मांडर में सड़क किनारे रह रहे लोगों का जीना मुहाल हो गया है. सड़क पर अत्यधिक ट्रैफिक के कारण दिन-रात धूल व गर्द से धुंध सी छायी रहती है. जिसमें चलना-फिरना तो मुश्किल है ही, अगल-बगल में रहने वाले लोगों का घर में खाना, पीना, सोना यहां तक कि सांस लेना भी दूभर हो गया है.
स्थिति यह है कि सड़क किनारे के मकान, दुकान, पेड़-पौधे व खेत में भी धूल की मोटी परत जम गयी है. यहां वर्तमान में धूल व गर्द से सबसे अधिक परेशानी मांडर के चीलटोली से टेढ़ी पुल के बीच है. जहां सिर्फ सरफेस की ढलाई का काम कर छोड़ दिया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क किनारे 24 घंटे उड़ रही इस धूल से लोग एलर्जी, सर्दी-खांसी व सिर दर्द सहित कई अन्य बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. वहीं इससे सड़क किनारे की दुकानों का व्यवसाय भी काफी प्रभावित हुआ है. चीलटोली से टेढ़ी पुल तक सड़क से सटकर ही कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय सहित छोटे बच्चों की आधा दर्जन से अधिक स्कूल हैं.
बच्चों को इस धूल व गर्द से कितनी परेशानी होती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसा नहीं है कि सड़क पर एनएच का चौड़ीकरण कार्य करा रहे संवेदक के लोगों द्वारा पानी का छिड़काव नहीं कराया जाता है. बल्कि सड़क पर ट्रैफिक के भारी लोड के हिसाब से वह अपर्याप्त होता है. पानी के छिड़काव के कुछ ही देर बाद यहां फिर से धूल व गर्द का गुबार उड़ने लगता है.