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एनटीपीसी-डीवीसी के पावर प्लांट में कोयले का संकट, क्षमता से कम हो रहा है उत्पादन

झारखंड में चार दिनों से 200 मेगावाट की हो रही है लोड शेडिंग सुनील चौधरी रांची : झारखंड, बिहार और प. बंगाल के पावर प्लांटों में कोयले का संकट गहरा गया है. इसकी वजह से एनटीपीसी और डीवीसी के पावर प्लांट क्षमता से कम उत्पादन कर रहे हैं. जहां एनटीपीसी के पावर प्लांट से 80 […]

झारखंड में चार दिनों से 200 मेगावाट की हो रही है लोड शेडिंग
सुनील चौधरी
रांची : झारखंड, बिहार और प. बंगाल के पावर प्लांटों में कोयले का संकट गहरा गया है. इसकी वजह से एनटीपीसी और डीवीसी के पावर प्लांट क्षमता से कम उत्पादन कर रहे हैं. जहां एनटीपीसी के पावर प्लांट से 80 से 90 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है. वहीं, डीवीसी के पावर प्लांट से 50 से 60 फीसदी तक ही उत्पादन हो रहा है. इसका सीधा असर झारखंड की बिजली आपूर्ति पर पड़ रहा है. डीवीसी झारखंड को 750 मेगावाट बिजली देता है. पर इस समय 350 से 400 मेगावाट तक ही बिजली मिल रही है.
इस कारण डीवीसी कमांड एरिया में छह से सात घंटे तक लोड शेडिंग हो रही है. इसका सीधा प्रभाव हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, चतरा, गिरिडीह, बोकारो और धनबाद में पड़ रहा है. आंशिक रूप से जमशेदपुर और जामताड़ा में भी असर पड़ रहा है. इधर, एनटीपीसी के फरक्का, कहलगांव और बाढ़ पावर प्लांट से भी उत्पादन कम हो गया है.
इस कारण झारखंड में डीवीसी कमांड एरिया छोड़ अन्य इलाकों में लगभग 200 मेगावाट की लोड शेडिंग की जा रही है. इसका असर दुमका, देवघर, साहेबगंज, पाकुड़, गोड्डा, रांची, चाईबासा, सरायकेला-खरसावां, जमशेदपुर, पलामू, गढ़वा, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा और खूंटी जिले में पड़ रहा है. इन जिलों में शाम के समय पीक आवर के दौरान हर घंटे पर बिजली काटी जा रही है.
742.95 मेगावाट की जगह मात्र 409 मेगावाट बिजली
झारखंड एनटीपीसी से 516 मेगावाट बिजली प्रतिदिन खरीदता है. झारखंड को फरक्का से 139.06 मेगावाट, फरक्का-3 से 84.74 मेगावाट, कहलगांव-1 से 27.6 मेगावाट, तालचर से 89.38 मेगावाट, कहलगांव टू से 45.72 मेगावाट, बाढ़ से 80 मेगावाट व कोरबा से 50 मेगावाट कुल 516.56 मेगावाट बिजली लेने का करार है. लेकिन, इन चार दिनों से झारखंड को 200 से 300 मेगावाट बिजली ही एनटीपीसी से मिल रहा है.
इस कारण लोड शेडिंग करनी पड़ रही है. सेंट्रल पूल से झारखंड को कुल 742.95 मेगावाट बिजली लेने का करार है. इसमें एनएचपीसी से 70.83 मेगावाट और पीटीसी से 155 मेगावाट का करार है. पर झारखंड को पांच अक्तूबर को शाम छह बजे केवल 409 मेगावाट बिजली मिल रही थी. झारखंड का पीक आवर डिमांड 1250 मेगावाट के करीब है. जबकि, झारखंड को तेनुघाट, आधुनिक पावर व इनलैंड पावर आदि मिलाकर कुल 1052 मेगावाट बिजली मिल रही थी. लगभग 200 मेगावाट की शेडिंग चल रही थी.
तेनुघाट की एक यूनिट बंद, डीवीसी का संकट जारी है
झारखंड व बिहार के पावर प्लांट इन दिनों कोयले की भारी कमी से जूझ रहे हैं. डीवीसी और एनटीपीसी के पावर बिहार, झारखंड और बंगाल स्थित पावर प्लांट में झारखंड और बंगाल से कोयले की आपूर्ति होती है.
कोयले की कमी के कारण ही झारखंड सरकार की कंपनी टीवीएनएल की तेनुघाट थर्मल पावर प्लांट से की एक यूनिट 15 अप्रैल से ही बंद है. डीवीसी का कोडरमा थर्मल पावर प्लांट(केटीपीएस) झारखंड का सबसे बड़ा पावर प्लांट है. इसकी क्षमता 1000 मेगावाट की है. जहां 500 मेगावाट की दो यूनिट है. लेकिन, यहां एक ही यूनिट से 493 मेगावाट उत्पादन हो रहा है. दूसरी यूनिट बंद है.
डीवीसी के बोकारो थर्मल पावर प्लांट(बीटीपीएस) में एक यूनिट 500 मेगावाट की और दूसरी यूनिट 210 मेगावाट की है. यहां से 629 मेगावाट उत्पादन हो रहा है. डीवीसी के चंद्रपुरा पावर प्लांट से भी क्षमता से कम उत्पादन हो रहा है. यहां 473 मेगावाट उत्पादन हो रहा है.
एनटीपीसी के बाढ़, कहलगांव और फरक्का में एक-एक यूनिट बंद
एनटीपीसी के सूत्रों ने बताया कि कोयले की आपूर्ति जरूरत के अनुरूप नहीं हो पा रही है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है. हालांकि, जल्द ही यह संकट दूर हो जायेगा. अभी 2100 मेगावाट की क्षमता वाले फरक्का में 500 मेगावाट की एक यूनिट बंद है. वहीं, 1320 मेगावाट क्षमता वाले बाढ़ पावर प्लांट में भी 660 मेगावाट की एक यूनिट बंद है.
यहां से केवल 660 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है. 2340 मेगावाट क्षमता की कहलगांव पावर प्लांट में भी 500 मेगावाट की एक यूनिट बंद है. एनटीपीसी के एक अधिकारी ने बताया कि यही वजह है कि झारखंड को कम बिजली दी जा रही है. पर एक से दो दिनों में स्थिति सुधरने की उम्मीद है.

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