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रांची : पहले खुद बनीं आत्मनिर्भर, अब सखी मंडल की दीदियों को बना रही स्वावलंबी

महिलाओं को जागरूक करने का काम कर रहीं अलका रांची : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के बिश्रामपुर गांव की रहनेवाली हैं अलका अवधिया. अलका आज पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं. साथ ही गांव की अन्य सखी मंडल की दीदियों को भी स्वावलंबी बना रही हैं. कलस्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में जेएसएलपीएस से जुड़ने से अलका […]

महिलाओं को जागरूक करने का काम कर रहीं अलका

रांची : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के बिश्रामपुर गांव की रहनेवाली हैं अलका अवधिया. अलका आज पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं. साथ ही गांव की अन्य सखी मंडल की दीदियों को भी स्वावलंबी बना रही हैं. कलस्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में जेएसएलपीएस से जुड़ने से अलका की जिंदगी बदल गयी. अब अलका सखी मंडल की दीदियों को जागरूक कर उनकी जिंदगी में खुशियां भी भर रही हैं.

गांव की महिलाओं को किया गया जागरूक

अलका अगस्त 2017 में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) से बतौर कलस्टर कोऑर्डिनेटर जुड़ीं. उस वक्त कलस्टर में सिर्फ 23 महिला आजीविका सखी मंडल काम रही थी. उन्होंने सबसे पहले महिलाओं को जागरूक करने का काम किया. इससे महिलाएं धीरे-धीरे सखी मंडल से जुड़ने लगीं.

207 स्वयं सहायता समूह का कर चुकी 8गठन

अलका करीब 207 स्वयं सहायता समूह का गठन कर चुकी हैं. समूह की महिलाओं का खाता खुलवाया. छह महिला समूह को कृषि यंत्र के रूप में पावर टीलर, मोटर पंप, स्प्रे मशीन दिलवा चुकी हैं. दो समूह को नर्सरी पॉली हाउस और मिर्च का बीज उपलब्ध कराया गया है. अलका के अथक प्रयास से कई महिला समूह आत्मनिर्भर बने.

कोई महिला समूह सिलाई-कढ़ाई और कपड़ा की दुकान चला रहा है, तो कोई राशन व जूता दुकान से रोजी चला रहा है. दो दीदियां ब्यूटी पार्लर चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं. स्नातक पास अलका अवधिया के तीन बच्चे हैं. उनके पति लवेश कुमार अवधिया हैं. वह कहती हैं कि उनके प्रयास से अब तक 20 सखी मंडल की दीदियां स्वावलंबी बन गयी हैं.

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