सिकिदिरी : गिद्ध लाये नहीं गये, केज हो चुके जर्जर

मुटा में 2011 से चल रही है गिद्ध संरक्षण केंद्र शुरू करने की प्रक्रिया सिकिदिरी : वन विभाग के उदासीन रवैये के कारण जिस तरह मुटा मगर प्रजनन केंद्र से मगर विलुप्त हो गये, वहीं शुरू होने से पहले ही गिद्ध संरक्षण केंद्र पर ग्रहण लगता दिखायी दे रहा है. वन विभाग द्वारा अोरमांझी प्रखंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2018 8:37 AM
मुटा में 2011 से चल रही है गिद्ध संरक्षण केंद्र शुरू करने की प्रक्रिया
सिकिदिरी : वन विभाग के उदासीन रवैये के कारण जिस तरह मुटा मगर प्रजनन केंद्र से मगर विलुप्त हो गये, वहीं शुरू होने से पहले ही गिद्ध संरक्षण केंद्र पर ग्रहण लगता दिखायी दे रहा है. वन विभाग द्वारा अोरमांझी प्रखंड स्थित मुटा मगर प्रजनन केंद्र में 2011 में केंद्रीय योजना के तहत गिद्धों के संरक्षण हेतु गिद्ध संरक्षण केंद्र बनाने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी.
इसके लिए आधारभूत संसाधन उपलब्ध कराये गये थे. लेकिन यहां अबतक एक भी गिद्ध नहीं लाये जा सके. गिद्धों के इंतजार में केज जर्जर होने लगे हैं. मगर प्रजनन केंद्र सह गिद्ध संरक्षण केंद्र की की देखरेख के लिए एक रेंजर, एक फॉरेस्टर, तीन गार्ड व आठ दैनिक मजदूर रखे गये हैं. जिनके वेतन आदि पर सरकार प्रतिमाह लगभग 2.40 लाख रुपये खर्च कर रही है.
पिंजोर से तीन जोड़ा गिद्ध लाने की प्रक्रिया चल रही है : रेंजर
रेंजर संजय कुमार ने बताया कि हरियाणा के पिंजोर से गिद्ध लाने की प्रक्रिया चल रही है. कम से कम तीन जोड़ा गिद्ध लाया जाना है. उन्होंने बताया कि गिद्धों के नहीं होने के कारण केंद्र का मेंटेनेंस भी नहीं हो पा रहा है. गिद्धों की देखरेख के लिए चार लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, जो दैनिक मजदूर के तौर पर कार्यरत हैं.
खाली पड़ा है मुटा मगर प्रजनन केंद्र
झारखंड के एकमात्र मगर प्रजनन केंद्र मुटा में अब एक भी मगरमच्छ नहीं हैं. केज खाली है. यह बचे एक मगरमच्छ को लगभग छह माह पूर्व अोरमांझी जैविक उद्यान भेज दिया गया. अब केंद्र खाली पड़ा है. वर्तमान में केंद्र में केवल 12 हिरण हैं. इस केंद्र की स्थापना 1981 में की गयी थी.

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