विधानसभा सीटों को लेकर चल रही कसरत, दुर्गा पूजा के बाद बैठेंगे यूपीए नेता, हेमंत के सीएम पद पर अड़ा झामुमो

रांची : यूपीए में फिलहाल गठबंधन की गाड़ी अटक गयी है. यूपीए ने झारखंड में लोकसभा सीटों को एक खाका तैयार किया था़ इस फॉर्मूला के तहत कांग्रेस को सात, झामुमो को चार और झाविमो को दो सीट देने पर सहमति बनाने की कोशिश की गयी थी. इस फॉर्मूले पर झामुमो तैयार है, लेकिन इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2018 7:30 AM

रांची : यूपीए में फिलहाल गठबंधन की गाड़ी अटक गयी है. यूपीए ने झारखंड में लोकसभा सीटों को एक खाका तैयार किया था़ इस फॉर्मूला के तहत कांग्रेस को सात, झामुमो को चार और झाविमो को दो सीट देने पर सहमति बनाने की कोशिश की गयी थी.

इस फॉर्मूले पर झामुमो तैयार है, लेकिन इसके साथ ही उसने विधानसभा सीटों के बंटवारे और हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का कार्ड चल दिया है. इससे यूपीए के अंदर मुश्किलें बढ़ गयी हैं. दुर्गा पूजा के बाद यूपीए नेता बैठेंगे. झामुमो नेता हेमंत सोरेन की शर्त पर गठबंधन के अंदर विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर एक्सरसाइज शुरू भी कर दी गयी है.

इसमें सीटिंग और दूसरे स्थान पर रही सीटों को पहले चरण में चिह्नित कर बांटने का फॉर्मूला तैयार करने की कोशिश हो रही है़ विधानसभा में झामुमो को 30 से 32 सीटें, कांग्रेस को 25 से 27 सीटें और झाविमो को 13 से 15 सीटें देने के लिए सहमति बनाने की कोशिश होगी. इसके साथ ही इस गठबंधन में राजद, मासस और दूसरे छोटे दलों के लिए भी रास्ता निकाला जायेगा़ जिस क्षेत्र में निर्दलीय या छोटे दलों की मजबूत स्थिति है, वहां उनके साथ सीटों का तालमेल करना होगा.

झामुमो 40 प्लस सीटों के लिए बना रहा दबाव

झामुमो 40 प्लस सीटों के लिए गठबंधन के अंदर दबाव बना रहा है. झामुमो की सीटिंग सीट और पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही सीटों को मिला कर 37 सीटों की दावेदारी होगी. इसके बाद दो-चार नयी सीटों पर उसकी नजर है़ उधर, झाविमो का भी दावा है कि उसे 20 से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. यूपीए के अंदर अभी कई सीटों पर पेच फंस रहा है़ विधानसभा में सबकुछ सुलझा लेना आसान नहीं होगा़

नेतृत्व घोषित करने से पहले नफा-नुकसान देख लिया जाये : झाविमो

झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और उनकी पार्टी कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बना रही है कि लोकसभा चुनाव तक विधानसभा के लिए नेतृत्व घोषित न किया जाये. इसका नुकसान हो सकता है़ एकजुट हो चुनाव लड़ें. विधानसभा के समय नेतृत्व पर फैसला हो़ नेतृत्व घोषित करने से पहले नफा-नुकसान देख लिया जाये़

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