फ्लैग पोस्ट को हटाया जाये, अपने मूल रूप में ही विकसित हो पहाड़ी
मनोज खन्ना, संस्थापक सदस्य, पहाड़ी मंदिर विकास समिति रांची पहाड़ी को आधुनिक बनाने के चक्कर में बर्बाद कर दिया गया. यहां भू-स्खलन का खतरा मंडरा रहा है. विश्व के सबसे प्राचीनतम पत्थरों से बनी इस पहाड़ी के पत्थर दरकने लगे हैं. इस कारण इसके ऊपर स्थित शिव मंदिर सहित अन्य मंदिर खतरे में आ गये […]
मनोज खन्ना, संस्थापक सदस्य, पहाड़ी मंदिर विकास समिति
रांची पहाड़ी को आधुनिक बनाने के चक्कर में बर्बाद कर दिया गया. यहां भू-स्खलन का खतरा मंडरा रहा है. विश्व के सबसे प्राचीनतम पत्थरों से बनी इस पहाड़ी के पत्थर दरकने लगे हैं. इस कारण इसके ऊपर स्थित शिव मंदिर सहित अन्य मंदिर खतरे में आ गये हैं.
90 के दशक के पहले पहाड़ी मंदिर में असामाजिक तत्वों का अड्डा बना रहता था. लेकिन, 90 के दशक की शुरुआत में पूर्व मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद, जो रांची के तात्कालीन उपायुक्त थे, उन्होंने पहाड़ी मंदिर विकास समिति का गठन किया. इस दौरान मजिस्ट्रेट ओम प्रकाश वर्मा की देखरेख में पहाड़ी मंदिर को उसके मूल रूप में ही विकसित करने की मुहिम शुरू हुई थी. मजिस्ट्रेट की कड़ाई का असर यह हुआ कि पहाड़ी से असामाजिक तत्वों का जमावड़ा खत्म होने लगा. इस दौरान मैं भी पहाड़ी मंदिर विकास समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक रहा. परंतु जैसे-जैसे अफसर बदलते गये, तरह-तरह के प्रयोग शुरू हो गये, जिसकी वजह से आज यह एतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ता दिख रहा है.
आज पहाड़ी को बचाने के लिए इस परिसर में अधिक से अधिक पौधरोपरण और अनावश्यक भार को कम करने की शीघ्र जरूरत है. जैसे पहाड़ी के चोटी पर लगा फ्लैग पोल किसी काम का नहीं रहा, वह अब सिर्फ पहाड़ी को भार दे रहा है. इसके अलावा पहाड़ी के चोटी पर लगे टावर को भी अविलंब हटाने की जरूरत है.