रांची : कोयला ट्रांसपोर्टरों की डायरी से बढ़ सकती है कई की मुश्किलें

रांची : प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को आर्थिक मदद देने के मामले में पिछले दिनों नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने कोयला ट्रांसपोर्टरों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान काफी मात्रा में उनके ठिकानों से डायरी की बरामदगी हुई थी. इसमें उग्रवादी संगठनों तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी (टीएसपीसी), पीएलएफआइ अौर भाकपा माओवादियों को कई बार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2018 9:11 AM
रांची : प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को आर्थिक मदद देने के मामले में पिछले दिनों नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने कोयला ट्रांसपोर्टरों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान काफी मात्रा में उनके ठिकानों से डायरी की बरामदगी हुई थी. इसमें उग्रवादी संगठनों तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी (टीएसपीसी), पीएलएफआइ अौर भाकपा माओवादियों को कई बार आर्थिक मदद दिये जाने का ब्योरा जांच एजेंसी को मिला है.
संगठनों के अलावा कई नेता, पुलिस अफसर, सीसीएल के कर्मियों और कोल परियोजनाओं में बनी कमेटियों के साथ ही पत्रकारों को भी पैसा दिये जाने का ब्योरा दिया गया है. इस संबंध में जांच एजेंसी फिलहाल कोई खुलासा नहीं कर रही है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि डायरी के आधार पर ही कुछ और लाेगों के ठिकानों पर एनआइए ने दबिश दी थी. इसमें कई दस्तावेज एजेंसी के हाथ लगे हैं.
वहीं मामले में एक कंपनी के प्रतिनिधि जिन्हें एनआइए ने कांके रोड से उठाया था, उसने कई ऐसी जानकारियों एजेंसी से साझा की है, जो पर्दे के पीछे छिपे सफेदपोश लोगों की कलई आनेवाले समय में खोल सकती है. एक व्यवसायी ने भी एजेंसी को प्रतिबंधित संगठनों को मदद किये जाने संबंधी ब्योरा मुहैया कराया है. इसके आधार पर पड़ताल चल रही है. अब तक कई कोयला कोराबारियों से एजेंसी के अधिकारी पूछताछ कर चुके हैं.
कंपनी की जगह मंडी में बेचा कोयला : जांच के दौरान यह बात भी सामने आ रही है कि कुछ कोयला ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से सब्सिडी पर लिये काेयले को संबंधित कंपनी के यहां पहुंचाने की जगह उसे वाराणसी सहित अन्य मंडियों में बेचने का काम किया है.
मंडी में कोयले बेचने से कई गुणा ज्यादा मुनाफा कमाया गया है. इसमें सीसीएल के कतिपय प्रतिनिधियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आया है. इन सब बातों की पड़ताल की जा रही है.

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