झारखंड की जांच एजेंसी से लोगों का विश्वास डिगा सीबीआइ करे बकोरिया कांड की जांच : हाइकोर्ट
पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 की रात में हुई थी कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ रांची : पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 को हुए कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले की जांच अब सीबीआइ करेगी. राज्य की पुलिस और सीआइडी जैसी जांच एजेंसियों पर से लोगों का […]
पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 की रात में हुई थी कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़
रांची : पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 को हुए कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले की जांच अब सीबीआइ करेगी. राज्य की पुलिस और सीआइडी जैसी जांच एजेंसियों पर से लोगों का विश्वास डिग रहा है.
उस विश्वास को कायम करने, उसे वापस लाने के लिए मामले की स्वतंत्र जांच जरूरी है. इस मामले की जांच सीबीआइ को साैंपी जाती है. उक्त फैसला सोमवार को झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने सुनाया. प्रार्थी जवाहर यादव की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए श्री मुखोपाध्याय ने यह आदेश दिया. अपने आदेश में उन्होंने कहा कि सीबीआइ शीघ्र जांच पूरी कर हाइकोर्ट को रिपोर्ट सौंपे.
अदालत ने एक दर्जन से अधिक पृष्ठों में दिये गये अपने आदेश में कहा है कि पलामू सदर थाना के तत्कालीन प्रभारी हरीश पाठक के बयानों से जांच पर गंभीर सवाल उठ खड़ा होता है. ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस पर से जनता का विश्वास उठ जायेगा. एक घटना जिसमें 12 लोगों की माैत हो जाती है, न्याय के हित में जांच की जिम्मेवारी सीबीआइ को साैंपी जाती है. पूर्व में 22 मार्च 2018 को सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. पूरी तरह से फर्जी था मुठभेड़ : मजूमदार
पूर्व में सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की अोर से वरीय अधिवक्ता आरएस मजूमदार व अधिवक्ता प्रेम पुजारी राय ने पक्ष रखा था. श्री मजूमदार ने अदालत को बताया था कि पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की पुलिसिया जांच निष्पक्ष नहीं है.
पुलिस मिली हुई है. जो पुलिस-नक्सली मुठभेड़ दिखाया गया है, वह पूरी तरह से फर्जी मुठभेड़ है. यदि मुठभेड़ होगा, तो घटनास्थल पर खून के धब्बे मिलेंगे, लेकिन घटनास्थल पर नहीं पाये गये. मुठभेड़ में मारे गये 12 लोगों के शव एक लाइन में जमीन पर पड़े थे. इनमें पांच नाबालिग थे. नक्सली बताये गये लोग जिस वाहन में जा रहे थे, उस वाहन पर गोली के निशान दिखाये गये, लेकिन एक भी खोखा व खून के धब्बे नहीं मिले.
पुलिस ने 117 खोखा बरामद करने की बात की, लेकिन सीजर लिस्ट में एक भी खोखा नहीं दिखाया गया. पलामू के तत्कालीन एसपी कन्हैया मयूर पटेल के आदेश पर पलामू सदर थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी हरीश पाठक रात दो बजे मुठभेड़स्थल पर गये. उजाला हुआ, तो देखा कि सभी लाश एक लाइन से जमीन पर पड़ी हुई है. सभी के बगल में पीठू और हथियार लाइन से रखा हुआ है.
एक रायफल में वोल्ट और मैगजीन नहीं था. आसपास गोली का कोई खोखा भी नहीं था. इस मामले में हरीश पाठक का बयान भी दर्ज नहीं किया गया. बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर उनका बयान दर्ज किया गया था. बैलेस्टिक रिपोर्ट में बताया गया कि मारे गये लोगों के पास से जो हथियार बरामद हुए थे, वह चलने योग्य नहीं थे.
जो हथियार सीज किये गये थे, उसे बिना सील किये ही फोरेंसिक लेबोरेटरी भेज दिया गया था. श्री मजूमदार ने कहा कि सारे सबूत मुठभेड़ को फर्जी साबित करने के लिए काफी हैं. राज्य सरकार का गृह विभाग प्रार्थी द्वारा उठाये गये सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी जवाहर यादव ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि बकोरिया मुठभेड़ की पुलिस व सीआइडी जांच पर उसे भरोसा नहीं रह गया है. जांच निष्पक्ष नहीं हो रही है. पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी (सीबीआइ) को जिम्मेवारी साैंपने की मांग की थी.
महाधिवक्ता ने नहीं रखा पक्ष
झारखंड हाइकोर्ट में बकोरिया में हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष नहीं रखा. राज्य सरकार के गृह विभाग ने पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता के बदले विशेष अधिवक्ता के रूप में वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन को नियुक्त की थी. विशेष अधिवक्ता को बकोरिया मुठभेड़ के अलावा फर्जी नक्सली सरेंडर सहित कई मामले आवंटित किये गये हैं. गृह विभाग की ओर से हाइकोर्ट में विशेष अधिवक्ता ही पक्ष रखते हैं.
प्रार्थी जवाहर ने दायर की थी याचिका : प्रार्थी जवाहर यादव ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि बकोरिया मुठभेड़ की पुलिस व सीआइडी जांच पर उसे भरोसा नहीं रह गया है. जांच निष्पक्ष नहीं हो रही है. पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी (सीबीआइ) को जिम्मेवारी साैंपने की मांग की थी.
प्रार्थी जवाहर का पुत्र भी मारा गया था : क्रिमिनल रिट याचिका दायर करनेवाले प्रार्थी जवाहर यादव का पुत्र उदय यादव भी मुठभेड़ में मारा गया था. पुत्र की माैत से दुखी व जांच के नाम पर खानापूर्ति से आक्रोशित जवाहर यादव ने झारखंड हाइकोर्ट की शरण ली थी.
मृतकों की सूची
1. उदय यादव
2. योगेश कुमार यादव
3. चालक एजाज अहमद
4. अमलेश यादव
5. देवराज यादव उर्फ अनुराग उर्फ डॉक्टर
6. संतोष यादव
7. नीरज यादव
8. बुधराम उरांव
9. महेंद्र खरवार
10.सत्येंद्र पहड़िया
11.चरकू उरांव
12. उमेश खैरवार
तत्कालीन थानेदार हरीश पाठक आदेश सुन रो पड़े
पलामू सदर थाना के तत्कालीन प्रभारी हरीश पाठक व मामले के गवाह सोमवार को झारखंड हाइकोर्ट पहुंचे. बकोरिया मामले की सीबीआइ से जांच कराने संबंधी हाइकोर्ट का आदेश सुन उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. हाइकोर्ट परिसर में मीडिया को देख कर वह चुपके से निकल गये.
राव ने लिखा था – जांच धीमी करने का दबाव दे रहे डीजीपी
तत्कालीन एडीजीपी एमवी राव ने एक जनवरी 2018 को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया है कि डीजीपी डीके पांडेय धीमी गति से जांच करने के लिए दवाब डाल रहे हैं. इसके बाद उनका तबादला कर दिल्ली कर दिया गया. इसके अलावा एडीजी रेजी डुंगडुंग, डीआइजी हेमंत टोप्पो, आइजी सुमन गुप्ता समेत आठ अफसरों का तबादला कर दिया गया.
पलामू सदर थाना के तत्कालीन प्रभारी हरीश पाठक के बयानों से जांच पर गंभीर सवाल उठ खड़े होते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस पर से जनता का विश्वास डिग गया है. -जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय
प्रार्थी के अधिवक्ता आरएस मजूमदार ने कहा
पूरी तरह से फर्जी थी मुठभेड़
इन बिंदुओं पर उठाये सवाल
मुठभेड़ में मारे गये 12 लोगों के शव एक लाइन में जमीन पर पड़े थे, इनमें पांच नाबालिग थे
नक्सली बताये गये लोग जिस वाहन में जा रहे थे, उस वाहन पर गोली के निशान दिखाये गये, लेकिन एक भी खोखा व खून का धब्बा नहीं मिला
पुलिस ने 117 खोखे मिलने की बात की थी, लेकिन सीजर लिस्ट में खोखा नहीं दिखाया
सतबरवा के थानेदार मो रुस्तम को मामले का वादी बनाया गया
पलामू सदर थाना के तत्कालीन थानेदार हरीश पाठक एसपी के आदेश पर एडीएम को लेकर मुठभेड़स्थल पर गये. उनका बयान भी दर्ज नहीं किया गया. बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर उनका बयान दर्ज किया गया था
बैलेस्टिक रिपोर्ट के अनुसार, मारे गये लोगों के पास से जो हथियार मिले थे, वह चलने योग्य नहीं थे. जो हथियार सीज किये गये थे, उसे बिना सील किये ही फोरेंसिक लेबोरेटरी भेज दिया गया था
12 लोग मारे गये थे, पांच नाबालिग थे
पलामू के सतबरबा थाना के बकोरिया गांव के पास आठ जून 2015 की रात 10 बजे कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी. इसमें 12 लोग मारे गये थे. नाै जून को शाम चार बजे कांड संख्या 349/2015 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पहले मामले की जांच पुलिस द्वारा की जा रही थी. जांच संतोषजनक नहीं होने पर राज्य सरकार ने इसे सीआइडी को साैंप दिया था.