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रांची : यूनिवर्सिटी कॉलोनी के फ्लैटों को खाली करायें व पैनल रेंट वसूलें : सुप्रीम कोर्ट

रांची विश्वविद्यालय को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को किया निरस्त रांची : बरियातू स्थित यूनिवर्सिटी कॉलोनी के मामले में रांची विश्वविद्यालय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि फ्लैटों को खाली कराया जाये. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2018 6:45 AM
रांची विश्वविद्यालय को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को किया निरस्त
रांची : बरियातू स्थित यूनिवर्सिटी कॉलोनी के मामले में रांची विश्वविद्यालय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि फ्लैटों को खाली कराया जाये.
फ्लैटों में रह रहे लोगों से पैनल रेंट वसूला जाये. प्रार्थी (रांची विश्वविद्यालय) को यह छूट दी कि वह चाहे, तो कानून के तहत फ्लैटों को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है. कोर्ट ने आवास बोर्ड द्वारा पांच जुलाई 1976 को रांची विश्वविद्यालय को किये गये 192 फ्लैटों के एलॉटमेंट को सही करार दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि 162 फ्लैटधारी अपनी जमा की गयी राशि की मांग करते हैं, तो झारखंड राज्य आवास बोर्ड तीन माह के अंदर ब्याज सहित उनकी राशि वापस करे.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ द्वारा 21 नवंबर 2006 को पारित आदेश को निरस्त करते हुए एकल पीठ के आदेश को बहाल कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय मनोहर सप्रे व जस्टिस इंदु मल्होत्रा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता गोपाल प्रसाद ने पक्ष रखा. बाद में श्री प्रसाद ने फैसले की जानकारी दी.
उल्लेखनीय है कि रांची विश्वविद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर झारखंड हाइकोर्ट के 21 नवंबर 2006 के आदेश को चुनाैती दी थी. खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को खारिज करते हुए आवास बोर्ड को फ्लैट में रहनेवालों के नाम रजिस्ट्री करने का आदेश दिया था. एकल पीठ ने प्रार्थियों की याचिका को खारिज करते हुए रांची विश्वविद्यालय के पक्ष में फैसला सुनाया था.
1976 में आवास बोर्ड से 192 फ्लैट रांची विश्वविद्यालय को मिले थे
पांच जुलाई 1976 को विश्वविद्यालय को झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने 42.24 लाख रुपये में 192 फ्लैट एलॉट किये थे. एलॉटमेंट के समय विश्वविद्यालय ने 10 प्रतिशत राशि का भुगतान किया था.
शेष राशि 31,195.30 रुपये किस्तवार 180 माह में भुगतान करना था, लेकिन कुछ समय के बाद राशि का भुगतान रुक गया. बाद में आवास बोर्ड ने डिफॉल्टर होने पर रांची विवि से 2,62,44,149 रुपये का डिमांड किया. राशि भुगतान नहीं किये जाने पर बोर्ड ने 29 नवंबर 1992 को एलॉटमेंट को रद्द कर दिया तथा निर्णय लिया कि जो लोग (विवि के कर्मचारी) प्लैट में रह रहे हैं, उनके नाम फ्लैट को आवंटित कर दिया जाये.

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