मोरहाबादी जेसोवा दिवाली मेला: सीएम ने कहा, आर्थिक विकास के बनें वाहक, जानें आज और कल के कार्यक्रम बारे में
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि आधुनिकता की इस दौड़ में हम पारंपरिकता को पीछे छोड़ते जा रहे हैं. प्लास्टिक की प्रतिमाएं और साज-सज्जा की वस्तुओं की खरीदारी करते हैं. जबकि सदियों से परंपरा मिट्टी के दीयों और प्रतिमाओं की रही है. आधुनिकता भी जरूरी है, लेकिन परंपरा को साथ लेकर चलना […]
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि आधुनिकता की इस दौड़ में हम पारंपरिकता को पीछे छोड़ते जा रहे हैं. प्लास्टिक की प्रतिमाएं और साज-सज्जा की वस्तुओं की खरीदारी करते हैं. जबकि सदियों से परंपरा मिट्टी के दीयों और प्रतिमाओं की रही है. आधुनिकता भी जरूरी है, लेकिन परंपरा को साथ लेकर चलना उससे भी जरूरी.
उन्होंने कहा कि दिवाली एक ऐसा त्योहार है जिसका इंतजार कुम्हार भाई और बहन पूरे साल करते हैं. दीया, मिट्टी के खिलौने और भगवान की प्रतिमाएं बनाते हैं. उनकी कला को सम्मान देना और उनके आर्थिक उन्न्यन में सहायक बनाना हमारा फर्ज है. सदियों से चली आ रही परंपरा भी यही संदेश देती है. मुख्यमंत्री गुरुवार को मोरहाबादी में झारखंड आइएएस ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन (जेसोवा)की ओर से आयोजित दिवाली मेला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने शहीदों के आश्रितों को दिया सम्मान
मुख्यमंत्री ने दो शहीदों की पत्नी सुचिता तिर्की व गुरीति कुजूर को 50-50 हजार का चेक सौंपा. साथ ही पंख स्कूल हटिया व जगन्नाथपुर के बच्चों को गर्म कपड़े दिये. अजय मिश्रा के आंखों की गंभीर बीमारी के इलाज के लिए 15 हजार रुपये का चेक सौंपा. मुख्यमंत्री की पत्नी रुक्मिणी देवी ने मधुकम और अरगोड़ा के आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को गर्म कपड़े दिये.
संस्कृति और दर्शन का सामूहिकता पर बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपना देश त्योहारों का देश है. भारतीय संस्कृति और दर्शन सदैव सामूहिकता पर बल देता रहा है. और इसे हमारे संस्कारों में भी पिरोया गया है, क्योंकि सर्व और सामूहिकता के उत्सव में आनंद ही कुछ और होता है. इसमें परमानंद की अनुभूति होती है. परमानंद की अनुभूति की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए जेसोवा ने दिवाली मेला का आयोजन किया है. जो प्रशंसनीय है.
जेसोवा की पहल काफी सराहनीय है
श्री दास ने कहा कि जेसोवा सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कर रहा है. देश की सुरक्षा में शहीद होनेवाले वीरों के आश्रितों, शिक्षा से वंचितों को शिक्षा, गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करना एक नेक कार्य है. जेसोवा ने जिस प्रकार आज देश की सुरक्षा में शहीद दो जवानों के आश्रितों को आर्थिक सहायता प्रदान की है वह सराहनीय है. हम किसी की जान लौटा नहीं सकते, लेकिन उनके पीछे रह गये उनके परिजनों के काम तो आ सकते हैं. यही कार्य जेसोवा कर रहा है.
वर्ष 2005 में मेले की हुई थी शुरुआत
उदघाटन कार्यक्रम के दौरान जेसोवा की सचिव ऋचा संचिता ने कहा कि जेसोवा द्वारा मेले की शुरुआत वर्ष 2005 में की गयी थी. इस वर्ष 240 स्टाॅल लगाये गये हैं.
यहां देशभर के उत्पाद उपलब्ध हैं. जेसोवा ने 40 दिव्यांग छात्रों को स्किल्ड कर रोजगार से जोड़ा है. आज वे एक आम आदमी की तरह कार्य कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जेसोवा ने आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेकर मॉडल स्कूल में तब्दील किया है. तीन ट्राइबल लाइब्रेरी के स्थापना की योजना है. कांके में एक लाइब्रेरी की स्थापना की गयी है. खूंटी में दो ट्राइबल लाइब्रेरी का शुभारंभ जल्द होगा. ऋचा संचिता ने कहा कि इस वर्ष भी शहीदों के आश्रितों को आर्थिक सहायता दी जा रही है.
ये थे मौजूद
इस मौके पर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार बर्णवाल, जेसोवा प्रेसिडेंट दिव्या त्रिपाठी, मिली सरकार, अनिता शर्मा, सरिता पांडे, मिनी सिंह, अमिता खंडेलवाल, प्रभा रहाटे, अनिता सिन्हा, निकी टोप्पो, मनु झा, ज्योति भजंत्री आदि मौजूद थे.
जगमगा रहा है मेला, लुभा रहे देशभर के कलेक्शन
रांची : बंगाल की साड़ी, गुजराती हैंडीक्राफ्ट, जनजातीय भोजन सहित तमाम कलात्मक चीजों से मोरहाबादी मैदान गुलजार हो गया है. 29 अक्तूबर तक चलने वाले इस मेले में सपरिवार आनंद उठाया जा सकता है. यहां विभिन्न राज्यों की स्थानीय पेंटिंग्स से सजायी गयी साड़ियां, लोक कलाकृतियों वाले सजावटी सामान, कपड़े, टेराकोटा की मूर्तियों सहित दो हजार से अधिक प्रकार से सजावटी सामग्री की खरीदारी कर सकते हैं.
साथ ही यदि आप मेला देखते हुए थक जायें, तो विभिन्न राज्यों के खाद्य पदार्थों का स्वाद लेते हुए मनोरंजक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं. मेले में झारखंड समेत दिल्ली, कोलकाता, गुजरात ,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, नागालैंड के उद्यमियों ने हिस्सा लिया है.
स्पेशल बच्चों का हैंडीक्राफ्ट्स
मेले में विशेष बच्चों द्वारा बनाये गये हैंडीक्राफ्ट भी हैं. दीपशिखा और कोशिश स्पेशल स्कूल के स्टॉल पर स्पेशल बच्चों के हाथ के बने दीये, कैंडल व होम डेकोर आइटम मिल रहे हैं. इन बच्चों के अपने अंदाज में इसे बनाया है. अनुराग सिंह ट्रस्ट स्टॉल पर गरीब एवं जरूरत मंद बच्चों के हाथ के बने खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट भी उपलब्ध हैं. गुजराती हैंडीक्राफ्टस के स्टॉल पर चनिया चोली, घाघरा, साड़ियां, दूपट्टे, चादर, बेड कवर व सोफा कवर खरीद सकते हैं. इन्हें ललिता बेन, संजना बेन, पूनम बेन एवं अन्य गुजराती समुदाय की महिला उद्यमियों ने तैयार किया है. यहां 50 रुपये से लेकर पांच हजार तक के कलेक्शन हैं.
आज और कल का कार्यक्रम
26 अक्तूबर : मृणालिनी अखौरी द्वारा गजल की प्रस्तुति, दुमका के कलाकारों का लोक नृत्य चदर बरद
27 अक्तूबर : प्रभात कुमार महतो और दल की छऊ नृत्य की प्रस्तुति
मेले में बुटिक कलेक्शन में डिजाइन की भरमार
मेले में महिला उद्यमियों के बुटिक कलेक्शन स्टाॅल्स डिजाइनर ड्रेस से भरे हुए हैं. डिजाइनरों ने लेटेस्ट कलेक्शन उतारा है़ स्टॉल नीरहट पर रांची कॉन्वेंट के डिजाइनर पीस हैं. ग्राम विकास परिषद मधुबनी में मधुबनी पेटिंग की साड़ियां , दुपट्टे और पेंटिंग्स उपलब्ध है़ झारखंड लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाइटी जमशेदपुर के स्टॉल पर क्रोशिश वर्क, बाटिक ब्लॉक प्रिंट एवं साेहराई पेंटिंग के बुटिक कलेक्शन उपलब्ध हैं.
झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर का लें नजारा
मेले में झारखंड टूरिज्म का स्टॉल लगाया गया है. यहां झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर का नजारा लिया जा सकता है. यहां सांस्कृतिक संपदाओं का लाइव वीडियो दिखाया जा रहा है. साथ ही यहां सेल्फी बूथ भी बनाया गया है. महाप्रभु आर्ट में कलाकार सिद्धार्थ दास के एमफील आर्ट की टेराकोटा की मूर्तियां अनोखी पेशकश है.