रांची: इबादत की रात शब-ए-बरात शुक्रवार को है. इसका अपना खास महत्व है,लेकिन इस बार शुक्रवार पड़ने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है. इमारते शरिया झारखंड के मुफ्ती मौलाना अनवर कासमी ने कहा कि रात गुजारने के वक्त किसी को कोई तकलीफ न पहुंचे इसका ख्याल रखना चाहिए.
इस रात शोर शराबा नहीं करना चाहिए और न ही आतिशबाजी और न रंग बिरंगी लाइट जलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह इबादत लोग अपनी इच्छा के अनुसार घर अथवा मसजिदों में कर सकते है. इसके अगले दिन रोजा का कोई महत्व नहीं है. रोजा का महत्व सिर्फ रमजान महीनें में होता है. कहा कि इस दिन से लोग रमजान की तैयारी भी शुरू कर देते है. एदारे शरिया के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि इस दिन पूरे दिन गुजारने के बाद वाली रात शब-ए-बरात है. सभी की तकदीरें लिखी जाती है. आमाल (अपने कर्म व व्यवहार का लेखा जोखा) का हिसाब किताब होता है. 12 रेकात नमाज पढ़ी जाती है.
कब्रिस्तानों में की गयी है विशेष व्यवस्था: रांची के विभिन्न कब्रिस्तानों में स्थानीय कमेटियों की ओर से प्रकाश की विशेष व्यवस्था की गयी है, ताकि फातिहा करने कब्रिस्तान आने वाले को किसी तरह की परेशानी न हो.
महिलाओं ने की घरों में तैयारी: शब-ए-बरात को लेकर महिलाओं ने घरों में विशेष तैयारी की हैं. वे अपने घरों में कई तरह के मीठे व्यंजन विशेष कर हलवा जिसमें करांची का हलवा, नारियल का हलवा, चना दाल, सूजी मेवा का हलवा, जरदा (मीठा पुलाव), फिरनी, शक्कर पाल सहित अन्य सामाग्री आदि बनाने की तैयारी की हैं. करेंगी.
इन बातों का रखें ध्यान
अतिशबाजी नहीं करें.
रंग बिरंगी लाइट और किसी प्रकार का चिराग नहीं जलायें.
शोर गुल नहीं करें .
अधिक से अधिक कुरान शरीफ की तिलावत करें.
कब्रिस्तान जाने के वक्त भी रास्ते में किसी तरह की कोई शोर शराबा अथवा आतिशबाजी नहीं करें.
इबादत के समय मोबाइल बंद रखें.
किसी भी तरह की फिजूलखर्ची नहीं करें.