रांची : सीएमडी पद से हटाने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा

रांची : हाइकोर्ट के जस्टिस प्रमथ पटनायक की अदालत में बुधवार को बीसीसीएल के सीएमडी पद से हटाये जाने संबंधी केंद्र सरकार के आदेश को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब शपथ पत्र के माध्यम से दायर करने को कहा. साथ ही बीसीसीएल के वर्तमान सीएमडी को प्रतिवादी बनाते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2018 9:24 AM
रांची : हाइकोर्ट के जस्टिस प्रमथ पटनायक की अदालत में बुधवार को बीसीसीएल के सीएमडी पद से हटाये जाने संबंधी केंद्र सरकार के आदेश को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब शपथ पत्र के माध्यम से दायर करने को कहा. साथ ही बीसीसीएल के वर्तमान सीएमडी को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया.अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी़ इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से केंद्र सरकार के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया गया.
अदालत को बताया गया कि बीसीसीएल के सीएमडी पर प्रार्थी की नियुक्ति की गयी. एक साल के बाद भी सीएमडी पद पर उनकी सेवा कन्फर्म नहीं की गयी. इसके उलट सीएमडी पद से हटाते हुए मूल पद महाप्रबंधक के पद पर भेज दिया गया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पूर्व सीएमडी अजय सिंह ने सीएमडी के पद से हटाये जाने व महाप्रबंधक के पद पर भेजने संबंधी आदेश को चुनाैती दी है. इसमें कहा गया कि भारत सरकार ने जो आदेश दिया है, वह उचित नहीं है. उनके पक्ष को सुने बिना ही उन्हें सीएमडी पद से हटा दिया गया.
नियमों के तहत चाैकीदार नियुक्त किये जायें : हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को राज्य के सभी जिलों में चाैकीदारों को नियुक्त करने का आदेश दिया है.
अदालत ने कहा कि चाैकीदारों की नियुक्ति वंशवाद के आधार पर नहीं, बल्कि वर्ष 2015 में बनायी गयी नियमावली के आधार पर होगी. नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह के अंदर शुरू की जाये. विज्ञापन निकाला जाये. पूर्व में कार्यरत चाैकीदारों को नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाये. अदालत के फैसले की जानकारी प्रार्थी सालन चंपिया व अन्य की अोर से अधिवक्ता एमएम शर्मा ने दी.
उन्होंने बताया कि 23 जुलाई को अदालत ने आदेश पारित किया था, जिसकी प्रति बाद में प्राप्त हुई. उन्होंने कहा कि राज्य के 32000 गांवों में चाैकीदारों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है. पूर्व में वंशवाद के आधार पर चाैकीदार नियुक्त होते थे. उन्हें कोई वेतन नहीं मिलता था. अब नये सिरे से नियमावली के तहत नियुक्ति होने से चाैकीदारों को वेतन भी मिलेगा.

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