1916 से 1920 तक रांची में थे मौलाना अबुल कलाम, आइआइटी और यूजीसी जैसे संस्थान है इनकी देन, जयंती आज
25 साल पहले ही देख लिया था पाक का विभाजन विलक्षण प्रतिभा के धनी मौलाना अबुल कलाम की आज है जयंती नफरत की नींव पर तैयार हो रहा यह नया देश तब तक जिंदा रहेगा जब तक यह नफरत जिंदा रहेगी. जब बंटवारे की यह आग ठंडी पड़ने लगेगी तो यह नया देश भी अलग-अलग […]
25 साल पहले ही देख लिया था पाक का विभाजन
विलक्षण प्रतिभा के धनी मौलाना अबुल कलाम की आज है जयंती
नफरत की नींव पर तैयार हो रहा यह नया देश तब तक जिंदा रहेगा जब तक यह नफरत जिंदा रहेगी. जब बंटवारे की यह आग ठंडी पड़ने लगेगी तो यह नया देश भी अलग-अलग टुकड़ों में बंटने लगेगा. मौलाना अबुल कलाम की पाकिस्तान के लिए 1946 में ही की गयी भविष्यवाणी 1971 में सच साबित हुई. सिर्फ इतना ही नहीं, मौलाना आजाद ने पाकिस्तान के संबंध में कई और भविष्यवाणियां भी पहले ही कर दी थीं.
उन्होंने पाकिस्तान बनने से पहले ही कह दिया था कि यह देश एकजुट होकर नहीं रह पायेगा. यहां राजनीतिक नेतृत्व की जगह सेना का शासन चलेगा. यह देश भारी कर्ज के बोझ तले दबा रहेगा, पड़ोसी देशों के साथ युद्ध के हालातों का सामना करेगा, यहां अमीर-व्यवसायी वर्ग राष्ट्रीय संपदा का दोहन करेंगे और अंतरराष्ट्रीय ताकतें इस पर अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिशें करती रहेंगी. इसी तरह मौलाना ने भारत में रहने वाले मुसलमानों को भी यह सलाह दी कि वे पाकिस्तान की तरफ पलायन न करें.
उन्होंने मुसलमानों को समझाया कि उनके सरहद पार चले जाने से पाकिस्तान मजबूत नहीं होगा, बल्कि भारत के मुसलमान कमजोर हो जायेंगे. मौलाना ने मुसलमानों से कहा था कि भले ही धर्म के आधार पर हिंदू तुमसे अलग हों, लेकिन राष्ट्र और देशभक्ति के आधार पर वे अलग नहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में तुम्हें किसी दूसरे राष्ट्र से आये नागरिक की तरह ही देखा जायेगा.
अबुल कलाम की ही देन हैं आइआइटी और यूजीसी जैसे संस्थान
1916 से 1920 तक रांची में थे मौलाना अबुल कलाम
अबुल कलाम आजाद 1916 से 1920 के बीच लगभग पौने चार साल रांची में रहे. अधिकांश समय वे ब्रिटिश शासन के नजरबंद थे. इस अवधि में उन्होंने रांची में अंजुमन इस्लामिया और मदरसा इस्लामिया की स्थापना की. मदरसा इस्लामिया मौलाना द्वारा बनायी गयी इकलौती इमारत है. इसके निर्माण में हिंदू भाइयों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
तेरह साल में ही शुरू किया संपादन का कार्य : मौलाना कलाम को उर्दू, हिंदी, फारसी, बंगाली, अरबी और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में महारत हासिल थी. कोलकाता में उन्होंने ‘लिसान-उल-सिद’ नामक पत्रिका प्रारंभ की. तेरह से अठारह साल की उम्र के बीच उन्होंने बहुत सी पत्रिकाओं का संपादन किया. 1912 में उन्होंने ‘अल हिलाल’ नामक एक उर्दू अखबार का प्रकाशन प्रारंभ किया.
ग्यारह वर्षों तक किया राष्ट्रनीति का मार्गदर्शन
अबुल कलाम ने ग्यारह वर्षों तक उन्होंने राष्ट्रनीति का मार्गदर्शन किया. शिक्षामंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की. आइआइटी और यूजीसी की स्थापना का श्रेय उन्हीं को जाता है.
संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी और ललित कला अकादमी की स्थापना उन्हीं के कार्यकाल में की गयी. उनके द्वारा स्थापित भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् कला, संस्कृति और साहित्य के विकास और संवर्धन के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान है.