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#JharkhandFoundation Day पर विशेष : युवाओं को ब्रेकअप के बाद भी जीने की कला सिखाती किताब

झारखंड स्थापना के 18 साल पूरे हो गये. इन 18 सालों में युवा झारखंड कितना आगे बढ़ा. किन क्षेत्रों में बढ़ा और यहां के युवाओं की दिशा क्या है. हम युवा झारखंड की कुछ कहानियां लेकर आपके सामने आये हैं. इनके सफर से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे झारखंड के युवा अलग- अलग […]

झारखंड स्थापना के 18 साल पूरे हो गये. इन 18 सालों में युवा झारखंड कितना आगे बढ़ा. किन क्षेत्रों में बढ़ा और यहां के युवाओं की दिशा क्या है. हम युवा झारखंड की कुछ कहानियां लेकर आपके सामने आये हैं. इनके सफर से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे झारखंड के युवा अलग- अलग क्षेत्रों में अपने लिए स्थान बना रहे हैं. हम आपके लिए 18 कहानियों की सीरीज लेकर आयेंगे. इस सीरीज के खत्म होते ही हमारी कोशिश होगी आपसे सीधे मुलाकात की, आपसे यह जानने की इन 18 सालों में झारखंड को आप किस तरह देखते हैं…

पहली कड़ी में पढ़िए रांची के संजीव कुमार के सफर की कहानी जिन्होंने एक किताब के जरिये युवाओं को दिशा दिखाने की कोशिश की. उनकी किताब "My 15 girlfriends who made me a millionaire" को युवाओं ने खूब पसंद किया. संजीव से हमारे साथी अमिताभ कुमार ने बातचीत की पढ़ें पूरा इंटरव्यू…

"My 15 girlfriends who made me a millionaire" पुस्तक रांची के संजीव कुमार ने लिखी है. यह बुक 15 भागों में है जिसमें 15 अलग-अलग कहानियों के माध्‍यम से युवा पीढ़ी को जीवन के महत्व के संबंध में बताया गया है. यह उपन्यास भले ही अंग्रेजी में है लेकिन इसकी भाषा को संजीव ने सरल रखा है ताकि युवा उनकी बातों को आसानी से समझ लें.
इस उपन्यास के संबंध में संजीव ने कहा कि आजकल कई युवा प्यार करते हैं और कइयों का ब्रेकअप हो जाता है. वे इस ब्रेकअप के बाद टूट जाते हैं और अपनी जिंदगी की कीमत नहीं समझते और गलत रास्ता चुन लेते हैं. ऐसे ही युवाओं को प्रेरित करती मेरी किताब है जिसके माध्‍यम से मैं उन्हें, उनके जीवन की कीमत बता रहा हूं.
उपन्यास लिखने की प्रेरणा के संबंध में संजीव ने बताया कि मेरे एक फ्रेंड ने ब्रेकअप होने के बाद अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. इससे मैं बहुत शॉक्ड था. मेरे जीवन में भी ऐसा वाकया हुआ जब मेरी गर्लफ्रेंड ने मेरा साथ छोड़ दिया. उस वक्त मेरे भी मन में कई गलत ख्‍याल आये लेकिन मैंने खुद को संभाला और उसके बाद मैंने कुछ कहानियों को शब्दों में पिरोने का निर्णय लिया और यह उपन्यास लिख डाली.
चार महीने में लिखा उपन्यास
संजीव कहते हैं कि उन्होंने यह उपन्यास चार महीने में लिखकर खत्म किया. संजीव ने क्लास 6 तक की पढ़ाई रांची से की इसके बाद वे हाई स्कूल की पढ़ाई करने देहरादून चले गये. देहरादून से क्लास 12 तक की पढ़ाई खत्म करने के बाद वे ओडिशा से आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर रहे हैं. इस पढ़़ाई के दौरान ही उन्हें बहुत कुछ जीवन में देखने को मिला जिसे उन्होंने शब्दों में पिरोने का निर्णय लिया. अपने जीवन में नजर आए कुछ पलों को उन्होंने 15 अध्‍याय में समेटा है.
आगे भी लिखूंगा बुक
संजीव ने कहा कि युवाओं को प्रेरणा देता उपन्यास मैं आगे भी लिखूंगा. यह मेरा पहला उपन्यास है जो युवाओं को काफी पसंद आ रहा है. रांची में लगे दीपावली मेले में इस उपन्यास को बेस्ट सेलर बुक से नवाजा जा चुका है. वह कहते हैं कि लोग दूसरों में अपनी खुशी ढ़ूंढते हैं लेकिन हमें यह समझना होगा कि खुशी हमारे अंदर ही है जिसे हमें खुद ढ़ूंढने की जरूरत है. जीवन में बहुत से ऐसे पल आते हैं जब आपके हाथ असफलता आती है. ऐसे में हमें उसे कबूल करना चाहिए और उससे भी हमें कुछ सीख लेनी चाहिए.
पेंटिंग का भी है शौक
संजीव वर्तमान में ओडिशा में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें पेंटिंग का भी शौक है. उनकी पेंटिग ओडिशा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक को भी भेंट की जा चुकी है. ओडिशा टूरिज्म की बुक में संजीव की पेंटिंग को भी जगह दी गयी है. संजीव एक आर्ट गैलरी भी चलाते हैं जिसका नाम उन्होंने ‘एसके आर्ट गैलरी’ रखा है. यहां वे अपनी पेंटिंग बेचते हैं. संजीव इसके अलावा गाना गाने, स्वीम करने और जिम जाना भी पसंद करते हैं. वे कहते हैं कि खुद से नकारात्मकता को हटाने के लिए व्यस्त रहना बहुत जरूरी है.
अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है यह उपन्यास
यह उपन्यास अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे सभी ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर उपलब्ध है. उपन्यास का प्रकाशन नोटियनप्रेस ने किया है.

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