रांची : सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें युवा : आर्चबिशप

रांची : आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि युवा प्रभु के साथ आत्मिक संबंध में बढ़े़ं सांसारिक आकर्षणों से बचने का प्रयास करे़ं खुद को पहचानें, परिपक्व बनें और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े़ं वे शुक्रवार को एसडीसी सभागार में रांची महाधर्मप्रांतीय युवा सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे़ इस अवसर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2018 9:02 AM
रांची : आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि युवा प्रभु के साथ आत्मिक संबंध में बढ़े़ं सांसारिक आकर्षणों से बचने का प्रयास करे़ं खुद को पहचानें, परिपक्व बनें और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े़ं वे शुक्रवार को एसडीसी सभागार में रांची महाधर्मप्रांतीय युवा सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे़
इस अवसर पर कैथोलिक सभा के अध्यक्ष अलबिनुस तिग्गा ने कहा कि मसीही समाज के सामने आज कई चुनौतियां हैं, जिनका सामना करने के लिए कैथोलिक सभा, महिला संघ व युवा संघ को एक सोच के साथ काम करने की आवश्यकता है़ पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य में विषम परिस्थितियां हैं. युवा ही बदलाव ला सकते हैं और उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि वर्तमान में लोकतंत्र के नाम पर राजनीतिक दल, सरकार व पूंजीपतियों का मजबूत गठजोड़ बन चुका है, जिससे सबसे ज्यादा खतरा आदिवासी समाज को है़ आर्चडायसिस के यूथ डायरेक्टर फादर रोशन तिड़ू, युवा संघ के अध्यक्ष कुलदीप तिर्की व यूथ एनिमेटर अविनाश बाड़ा ने भी विचार रखे़ आयोजन में आकाश मिंज, बिन्नी एक्का, नेहा कुजूर, नवल तिग्गा, अभिषेक बाड़ा, अनामिका लिंडा, सुमित तिग्गा, शीतल रूंडा व अन्य युवाओं ने अहम योगदान दिया़.
1980 से 2017 तक ‘जनहित और विकास’ के नाम पर 1200570 हेक्टेयर वनभूमि पूंजीपतियों के हवाले कर दी गयी है, जिसमें झारखंड की 33,057़ 1 हेक्टेयर वनभूमि शामिल है़
झारखंड में 21 लाख एकड़ सामुदायिक व वनभूमि को लैंड बैंक में डाला गया है़ कोडरमा से रांची होते हुए बहरागोड़ा तक फोर लेन सड़क के दोनों तरफ 4,21,799.7 एकड़ जमीन पर औद्योगिक गलियारा बनाने का प्रस्ताव है़ वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर परियोजना के तहत तीन कॉरिडोर और तीन सब-कॉरिडोर का निर्माण होगा, जिसमें झारखंड के 870 गांव उजड़ जायेंगे़
इसमें 10 लाख आदिवासी विस्थापित होंगे़ प्रस्तावित राष्ट्रीय वन नीति 2018 के तहत केंद्र सरकार अब कानून बनाकर कॉरपोरेट घरानों को जंगल सौपने की तैयारी में है़ इससे न सिर्फ आदिवासी समाज प्रभावित होगा, बल्कि देश में जलवायु संकट गहरायेगा़ हमें एकजुट होकर इस खतरा से निबटना होगा़

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