UNICEF और झारखंड सरकार ने बाल विवाह को रोकने के लिए लिया संकल्प, सरकार नये साल में लायेगी नयी योजना

रांची : "नारी अबला नहीं सबला है, समय आने पर अबला समझने वालों को सबक भी सिखा सकती है". "बेटे पिता की जमीन का बंटवारा करते हैं और बेटियां दुखों का बंटवारा करती हैं". उपरोक्त बातें यूनीसेफ और झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘बाल विवाह उन्मूलन हेतु राज्य कार्य योजना का विमोचन’ कार्यक्रम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2018 3:58 PM

रांची : "नारी अबला नहीं सबला है, समय आने पर अबला समझने वालों को सबक भी सिखा सकती है". "बेटे पिता की जमीन का बंटवारा करते हैं और बेटियां दुखों का बंटवारा करती हैं". उपरोक्त बातें यूनीसेफ और झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘बाल विवाह उन्मूलन हेतु राज्य कार्य योजना का विमोचन’ कार्यक्रम में बच्चों का प्रतिनिधित्व कर रही स्वेता टुडू और गोरांग नायक ने कही.

कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में मुख्यमंत्री रघुवर दास, मंत्री डॉ लुईस मरांडी, मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, विकास आयुक्त डॉ डी. के तिवारी, इंडिया कंट्री रिप्रेजेंटेटिव डॉ यासमीन अली हक, सचिव महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा डॉ अमिताभ कौशल उपस्थित थे. कार्यक्रम में यूनीसेफ झारखंड की हेड मधुलिका जोनाथन भी मौजूद थीं. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा, हमारी कोशिश है कि बाल विवाह पर लगाम लगे. सरकार अपनी योजनाओं के माध्यम से इससे लड़ने की कोशिश कर रही है.हम नये साल में, नयी नीति और नयी योजनाओं के साथ काम करेंगे . राज्य सरकार ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’ और ‘लाडली योजना’ को खत्म करके ‘मुख्यमंत्री सुकन्या’ योजना लेकर आयेगी. सरकार सिर्फ नारे और वादे से नहीं चलती. तार्किक सोच, कानून के सरलीकरण से चलती है. हम नयी योजना के तहत इन बातों का ध्यान रख रहे हैं.

सरकार बेटियों को डीबीटी के तहत सीधे उनके खाते में लाभ देगी. पहली क्लास , छठी क्लास, नौवीं क्लास और 11वीं में बच्चियों को पैसा मिलेगा और 18 साल की उम्र में सरकार उनकी शादी के लिए कुछ धनराशि देगी.रघुवर दास ने इस कार्यक्रम में बाल विवाह से लड़ने के लिए कार्य योजनाओं का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, झारखंड में पांच जिले ऐसे हैं जहां सबसे ज्यादा बाल विवाह होता है. इन जगहों में सरकार बड़ा कार्यक्रम करेगी दस लाख लोगों का जनसमूह इस कार्यक्रम में शामिल होगा. एक बार जनता जाग गयी तो ऐसी कुप्रथाएं नहीं बचेगी. गरीबों को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है.

उनतक योजनाओं का लाभ पहुंचाना लोगों की जिम्मेदारी है. मैंने संताल में देखा की हमारी बहनें कुपोषण का शिकार हैं, उनके बच्चे भी पतले हैं. मैंने उसी वक्त ठान लिया कि इस पर काम करूंगा. काम में लग गया और यूनीसेफ झारखंड से भी मदद ली. बाल विवाह, शिक्षा के प्रसार के जरिये रूकेगी. आज भी सुदूर इलाकों में शिक्षा नहीं है.मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा, मैं अपनी मां की वजह से यहां तक पहुंच पाया. मां हमेशा पढ़ने पर जोर देती थी. बड़ी बहन शिक्षक बनी अब कुछ दिनों में रिटायरमेंट है उनकी. पिता पुरानी सोच के थे लेकिन मां को शिक्षा का महत्व पता था. वह अशिक्षित थी लेकिन हमें शिक्षित किया. आप देखिए महिलाएं खेल में, पढ़ाई में सबमें आगे हैं.

डॉ लुइस मरांडी

इस समारोह में डॉ लुईस मरांडी ( महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा) ने कहा, बाल विवाह का छोटा सा फैसला आपके पूरे जीवन को प्रभावित करता है. सबसे ज्यादा महत्व शिक्षा का है इसलिए हमने विवि खोले ताकि लोगों को शिक्षा आसानी से मिल सके. हमें यह समझना होगा कि सारा काम सरकार और मंत्री नहीं कर सकते. आपको भी जिम्मेदारी लेनी होगी.

इंडिया कंट्री रिप्रेजेंटेटिव डॉ यासमीन अली हक

इस कार्यक्रम में यूनीसेफ की इंडिया कंट्री रिप्रेजेंटेटिव डॉ यासमीन अली हक ने आंकड़ों के साथ झारखंड के सुधार का जिक्र किया. उन्होंने कहा कई मामलों में झारखंड पहले से काफी सुधार कर रहा है लेकिन कई मामलों में अभी भी चिंताएं जस की तस हैं. डॉ यासमीन ने कहा, मैंने बाल विवाह से जुड़े कई लोगों के संघर्ष की कहानियां सुनी हैं.कैसे उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ा यह प्रेरणादायक है. हम सभी को मिलकर यह ध्यान रखना होगा की बेटी बोझ की तरह ना समझी जाये बल्कि उसे संपत्ति की तरह माना जाये. समाज की भी अपनी जिम्मेदारियां है. योजनाएं काम कर रही हैं लेकिन उसका फैलाव बढ़ाने की जरूरत है. यूनीसेफ आगे भी सरकार के साथ मिलकर काम करता रहेगा. मैं विश्वास दिलाती हूं कि इस मुहिम में हम हमेशा उनके साथ हैं.

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