रांची : अब मुख्यमंत्री कन्यादान के बदले सुकन्या योजना का मिलेगा लाभ

रांची : एक जनवरी 2019 से राज्य में मुख्यमंत्री सुकन्या योजना लागू होगी, जो पहले से चल रही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना तथा मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना के बदले होगी. बाल विवाह रोकने के लिए राज्य सरकार की कार्य योजना संबंधी पुस्तिका के विमोचन समारोह में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसकी घोषणा की. प्रोजेक्ट भवन सभागार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2018 7:35 AM
रांची : एक जनवरी 2019 से राज्य में मुख्यमंत्री सुकन्या योजना लागू होगी, जो पहले से चल रही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना तथा मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना के बदले होगी. बाल विवाह रोकने के लिए राज्य सरकार की कार्य योजना संबंधी पुस्तिका के विमोचन समारोह में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसकी घोषणा की. प्रोजेक्ट भवन सभागार में उन्होंने कहा कि अब एपीएल-बीपीएल कार्ड का चक्कर खत्म हो जायेगा.
सामाजिक, आर्थिक जातीय जनगणना के आधार पर सालाना 72 हजार रुपये तक कमानेवाले परिवार में जन्म लेनेवाली बच्ची को सरकार डीबीटी के माध्यम से 18 वर्ष की उम्र तक छह बार वित्तीय सहायता देगी. पहली बार जन्म के समय, दूसरी बार पहली कक्षा में नामांकन लेने पर, तीसरी बार छठी कक्षा में जाने पर, चौथी बार नौवीं, फिर 11वीं कक्षा में नामांकन पर तथा अंतिम बार 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी. शर्त यह होगी कि लड़की 18 वर्ष तक अविवाहित होनी चाहिए.
अब बाल विवाह भी रोकना है : इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह, पलायन व कुपोषण झारखंड का कलंक है. मातृ मत्यु दर व बाल मृत्यु दर सरकार ने कम कर ली है, अब बाल विवाह भी रोकना है.
उन्होंने इन कार्यक्रमों में यूनिसेफ व अन्य संस्थाअों की सराहना की और कहा कि इनकी सहायता के बगैर यह उपलब्धि नहीं मिलती. मुख्यमंत्री ने कहा कि 28 दिसंबर को उनकी सरकार अपने कार्यकाल के चार वर्ष पूरे कर लेगी. उन्होंने कहा कि यह सरकार पिछले 14 वर्ष की कमी को तेजी से पूरा कर रही है. उन्होंने बाल विवाह बहुलतावाले पांच जिलों गिरिडीह, गोड्डा, गढ़वा, देवघर व कोडरमा में जन जागरूकता कार्यक्रम प्रभावी रूप से चलाने की सलाह दी.
शिक्षा से ही दूर होगी समस्या
समाज कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने कहा कि कम उम्र में शादी से लड़की का जीवन बर्बाद हो जाता है. बाल विवाह ज्यादातर अब ग्रामीण इलाके की समस्या रह गयी है, जो शिक्षा से ही दूर होगी. विकास आयुक्त डीके तिवारी ने कहा कि झारखंड में एनिमिया व बाल विवाह एक समस्या है.
बाल विवाह के मामले में हमारी स्थिति देश भर में सिर्फ पश्चिम बंगाल व बिहार से ही बेहतर है. अब जो कार्य योजना तैयार हुई है, इससे इस पर रोक लगेगी. मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि राज्य के विकास का माहौल बाल विवाह जैसी समस्या पर आकर ठहर सा जाता है. यदि हम इसे ठीक कर लें, तो दूसरी मुद्दों पर भी विजय पा सकते हैं. समाज कल्याण सचिव अमिताभ कौशल ने कहा कि बाल विवाह करीब 250 वर्ष पुरानी सामाजिक समस्या है.
हमारी जिम्मेदारी इसे समाप्त करने की है. उन्होंने कहा कि तीन बिंदु महत्वपूर्ण हैं. पहला बाल विवाह संबंधी कानून का पालन, दूसरा जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार तथा तीसरा सामाजिक सुधार की नीति. मेरे ख्याल से पहला ज्यादा महत्वपूर्ण है. कानून का उल्लंघन करनेवालों पर शीघ्र प्राथमिकी दर्ज हो. कार्यक्रम में यूनिसेफ की कंट्री हेड डॉ यासमिन अली हक ने भी अपनी बातें रखी.
धन्यवाद ज्ञापन यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ मधुलिका जोनाथन ने किया. इस अवसर पर शिक्षा सचिव एपी सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील वर्णवाल, कल्याण सचिव हिमानी पांडेय, पंचायती राज सचिव प्रवीण टोप्पो, विभिन्न जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, श्वेता टुडू व गोरांग नायक सहित यूनिसेफ के अन्य बाल पत्रकार तथा गैर सरकारी संस्थाअों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
बालिकाअों का अधिकार सुनिश्चित हो
डॉ यासमिन अली हक ने कहा कि सरकार व अभिभावक सहित पूरे समाज को बालिकाअों का अधिकार सुनिश्चित कराना होगा. लड़कियां बोझ नहीं हैं, यह मानस बनाना होगा. उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग व्यक्तिगत रूप से इसमें अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं.
बाल विवाह को रोकने के लिए यूनिसेफ सहयोग जारी रखेगा. इससे पहले डॉ हक ने राज्य में पोषण सखी की नियुक्ति तथा मातृ व शिशु मृत्यु दर कम होने जैसी उपलब्धियों के साथ-साथ बाल विवाह, कुपोषण व एनिमिया जैसी समस्याअों की भी चर्चा की.

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