झारखंड हाईकोर्ट को राज्य सरकार का आदेश- वारंटियों को गिरफ्तार करने में तेजी लाएं
रांची : झारखंड सरकार ने उच्च न्यायालय में सोमवार को जानकारी दी कि राज्य में 16 हजार ऐसे आरोपित फरार हैं जिनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी है. इनकी गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह वारंटी अपराधियों की गिरफ्तारी में तेजी लाए. सरकार […]
रांची : झारखंड सरकार ने उच्च न्यायालय में सोमवार को जानकारी दी कि राज्य में 16 हजार ऐसे आरोपित फरार हैं जिनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी है. इनकी गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह वारंटी अपराधियों की गिरफ्तारी में तेजी लाए. सरकार ने अदालत में बताया कि दो माह पहले फरार होने वालों की संख्या 31 हजार थी. इनमें अभियान चलाकर 14 हजार लोगों को जेल भेज दिया गया है. इनमें आत्मसमर्पण करने वाले और पुलिस द्वारा गिरफ्तार दोनों शामिल हैं.
इस पर जस्टिस केपी देव की पीठ ने सरकार को वारंटियों को गिरफ्तार करने में तेजी लाने का निर्देश दिया. साथ ही 21 फरवरी को इसकी अद्यतन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान गृह सचिव और डीजीपी अदालत में उपस्थित थे. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि अदालत को वैसे फरार आरोपितों का ही आंकड़ा दिया गया है जिनके मामले पुलिस में दर्ज है.
कोर्ट में दर्ज और शिकायतवाद के मामले इसमें शामिल नहीं है. अदालत से आंकड़े लेने में समय लगेगा. इसके बाद यह संख्या बढ़ सकती है. इस पर अदालत ने डीजीपी को अदालतों के मामलों को भी शामिल करते हुए सूची तैयार कर विस्तृत रिपोर्ट 21 फरवरी तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को आठ सप्ताह में आर्म्स ब्यूरो का गठन करने का आदेश दिया है. ब्यूरो के गठन होने के दो सप्ताह के अंदर इसके काम करने के नियम तैयार करने होंगे. ब्यूरो की निगरानी कौन करेगा. इसके कार्यों की समीक्षा किसके जिम्मे होगी, यह तय करना होगा. न्यायमूर्ति केपी देव की अदालत ने यह आदेश दिया. सोमवार को अदालत में पुलिस की ओर से बरामद हथियारों के नष्ट करने के मामले पर कोर्ट में सुनवाई हो रही थी.
सुनवाई के दौरान राज्य के गृह सचिव, डीजीपी, आईजी और अन्य अधिकारी अदालत में मौजूद थे. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि आर्म्स ब्यूरो के गठन की प्रक्रिया लंबी है. इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी. गृह विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया जायेगा. इसके बाद सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जायेगा. इस प्रक्रिया में समय लग सकता है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया तेजी से शुरू की जाए. कोर्ट ने गृह सचिव को प्रस्ताव तैयार करने को कहा. गृह सचिव ने कोर्ट को भरोसा दिया कि प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र भेज दिया जायेगा. कोर्ट ने जिला स्तर तक इस ब्यूरो के कार्यालय खोलने का सुझाव दिया, लेकिन सरकार इस पर तैयार नहीं हुई. सरकार की ओर से कहा गया कि एक ही कार्यालय बेहतर होगा. इसकी निगरानी किसी वरीय अधिकारी के जिम्मे दी जायेगी.
सारे आंकड़े इसी कार्यालय में पहुंचेंगे. समय-समय पर इसकी समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार की जायेगी. इसके बाद कोर्ट ने सरकार को आठ सप्ताह में ब्यूरो का गठन कर 21 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई की तिथि 25 फरवरी को निर्धारित की गयी.