आगमन का पुण्यकाल – 3 : जागते रहो, प्रार्थना करते रहो

फादर अशोक कुजूर एक शिष्य ने गुरु से पूछा- महाराज, सभी मनुष्यों की बनावट एक जैसे होती है, फिर उनमें से कुछ पतन के गर्त में गिर कर डूब क्यों जाते हैं? गुरुजी ने अपने शिष्य से एक तालाब के किनारे चलने को कहा़ गुरुजी के पास खिलौने वाली लकड़ी के दो छोटी नावें थीं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2018 9:26 AM
फादर अशोक कुजूर
एक शिष्य ने गुरु से पूछा- महाराज, सभी मनुष्यों की बनावट एक जैसे होती है, फिर उनमें से कुछ पतन के गर्त में गिर कर डूब क्यों जाते हैं? गुरुजी ने अपने शिष्य से एक तालाब के किनारे चलने को कहा़ गुरुजी के पास खिलौने वाली लकड़ी के दो छोटी नावें थीं. एक नाव में एक छोटा सा छेद था, जबकि दूसरी ठीक थी़
गुरु ने दोनों नाव शिष्य को दिखाये, फिर छेद वाली नाव को तालाब के पानी में रख दिया़ नाव कुछ देर तक तो तैरती रही, लेकिन जब उसमें पानी भरा, तो वह डूब गयी़ इसके बाद गुरु ने बिना छेद वाली नाव को पानी में रखा़ नाव तैरते-तैरते तालाब के बीच तक चली गयी, लेकिन डूबी नहीं. तब गुरु ने शिष्य को समझाया : दोनों नावों का तल एक जैसा था़ फर्क सिर्फ इतना था कि एक में छेद था, जबकि दूसरा बिल्कुल ठीक था़ तालाब का पानी हमारे जीवन का वातावरण है़ हम बाहर की दूषित हवा से घिरे हुए हैं.
इसे जहां एक छेद मिल जाये, वहां से हमारे अंदर प्रवेश कर हमें प्रदूषित करता है़ हम डूब जाते हैं. लेकिन जिसका आधार मजबूत है, वह अपने अंदर बुरी प्रवृत्तियों को प्रवेश करने नहीं देता़ आगमन काल में हम संत पेत्रुस के इस कथन पर चिंतन करें कि हमारा घोर शत्रु शैतान एक दहाड़ते हुए सिंह के समान इधर-उधर विचर रहा है कि कोई उसे मिले और वह उसे काट खाये. उसे हमारी आत्मा में बस एक छेद की जरूरत है़
वह लगातार सक्रिय है, ताकि आत्माओं को ईश्वर से दूर नरक की ओर ले चले़ इसलिए ईसा मसीह ने कहा है – जागते रहो, प्रार्थना करते रहो, ताकि तुम परीक्षा में न पड़ो़ आगमन काल में हम चिंतन करें कि जीवन के किन क्षेत्रों में हम बारंबार पाप में गिरते हैं. गलत आदतें, नशापान, गलत रिश्ते आदि वे छेद हैं, जो अंतत: एक दिन हमें नरक के भवसागर में डूबा सकते हैं. लेखक डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज बरियातू के निदेशक हैं.

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