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रांची : सरकार के ही विधायक खिलाफ हैं इसलिए नहीं बुला रही सत्र : झाविमो

15 दिसंबर तक सत्र नहीं बुलाया गया, तो विधानसभा के सामने करेंगे आंदोलन रांची : झाविमो ने कहा है कि सरकार ने शीतकालीन सत्र नहीं बुलाने का मन बना लिया है़ सरकार की तैयारी से नहीं लग रहा है कि वह सत्र बुलाना चाहती है़ जबकि अब तक सत्र की घोषणा हो जानी चाहिए थी. […]

15 दिसंबर तक सत्र नहीं बुलाया गया, तो विधानसभा के सामने करेंगे आंदोलन
रांची : झाविमो ने कहा है कि सरकार ने शीतकालीन सत्र नहीं बुलाने का मन बना लिया है़ सरकार की तैयारी से नहीं लग रहा है कि वह सत्र बुलाना चाहती है़
जबकि अब तक सत्र की घोषणा हो जानी चाहिए थी. वर्ष 2014 में चुनाव के कारण सत्र आहूत नहीं हुआ था़ इसलिए उस साल को छोड़ दें तो पिछले 17 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि शीतकालीन सत्र नहीं हुआ हो़ झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि सरकार के अपने ही विधायक कई मुद्दों को लेकर खिलाफ है़ं पारा शिक्षक, स्कूल विलय सहित कई मामले हैं, जिनको लेकर सत्ताधारी दल के विधायक नाराज है़ं इससे भयभीत सरकार शीतकालीन सत्र नहीं बुला रही है़
श्री यादव ने कहा कि झारखंड में हर बार दिसंबर के पहले सप्ताह में सत्र आहूत होता रहा है और 25 दिसंबर से पहले सत्र खत्म होता है़ सत्र आहूत करने के लिए कैबिनेट से लेकर राजभवन की प्रक्रिया में तीन-चार दिन लगते है़ं सत्र आहूत होने के 14 दिन पहले सूचना देने की प्रक्रिया है़ ऐसे में सरकार ने अब तक कोई तैयारी नहीं की है़ श्री यादव ने कहा कि पारा शिक्षक और स्कूल मर्जर के मुद्दे पर पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लायेगी़ 15 दिसंबर तक सत्र नहीं बुलाया गया, तो विधानसभा के सामने आंदोलन की शुरुआत की जायेगी़
कोलेबिरा में कांग्रेस के उम्मीदवार का करेंगे समर्थन : श्री यादव ने कहा कि झाविमो महागठबंधन के पक्ष में है़ कोलेबिरा में महागठबंधन के प्रत्याशी को पार्टी का समर्थन रहेगा़ महागठबंधन के संभावित दलों में से कांग्रेस को छोड़ कर किसी दल के उम्मीदवार नहीं है़ं झाविमो का मानना है कि कांग्रेस का उम्मीदवार ही महागठबंधन का उम्मीदवार है़ उन्होंने कहा कि महागठबंधन में नेता का सवाल नहीं है़ नेता का चुनाव जनता करती है.
शीतकालीन सत्र बुलाने से भाग रही है सरकार : हेमंत
इधर, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार शीतकालीन सत्र बुलाने से भाग रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार नहीं चाहती है कि उसकी चोरी सतह पर आये. सरकार को जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है. वह अपने राजनीतिक एजेंडे को लेकर काम कर रही है.
भाजपा सरकार को अपनी गलतियों पर पछतावा भी नहीं हो रहा है. सरकार संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने पर तुली है. अगर सरकार जनता के सवालों का जवाब नहीं दे पा रही है, तो सीधे चुनाव की घोषणा कर दे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री व्यक्तिगत आरोप लगा कर लोगों का ध्यान मुद्दों से भटकाना चाहते हैं. जनता सब देख रही है. चुनाव में इसका करारा जवाब जनता भाजपा को देगी.
रांची : सत्र की नहीं है सुगबुगाहट, हो रही है देरी
रांची : शीतकालीन सत्र को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नहीं है़ शीतकालीन सत्र आहूत करने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है़ सामान्यत: नवंबर से दिसंबर के बीच दो से सात दिनों का शीतकालीन सत्र अब तक होता रहा है़ सत्र आहूत करने से पहले 10 से 15 दिन का समय तैयारी के लिए भी जरूरी है़ ऐसे में सरकार के पास समय कम है़ इधर, जनवरी महीने में सरकार ने बजट सत्र आहूत करने की परंपरा शुरू की है़ इसलिए सरकार बजट सत्र की तैयारी में भी लगी है़ ऐसे में शीतकालीन सत्र का मामला लटक सकता है़
वहीं, पिछला मॉनसून सत्र 21 जुलाई तक चला था़ ऐसे में सरकार के पास छह महीने के अंदर सत्र आहूत करने की बाध्यता है़ इसकी मियाद 21 जनवरी को खत्म होगी़ सरकार के पास जनवरी तक का समय है़ ऐसे में सरकार सीधे बजट सत्र भी बुला सकती है़
दिसंबर में अनुपूरक लेती रही है सरकार : दिसंबर में सामान्यत:अनुपूरक बजट लाने की भी परंपरा रही है़ सरकार वित्तीय खर्च के लिए अनुपूरक के माध्यम से सदन की अनुमति लेती है़ हालांकि यह कोई बाध्यता नहीं है़ मुख्य बजट में भी सरकार इसको शामिल कर सकती है़
अल्प सूचना में भी होता रहा है सत्र: हालांकि, सरकार शीतकालीन सत्र को छोटा कर सकती है़ पहले भी दो दिनों का सत्र हुआ है़ सरकार अल्प सूचना में छोटे कार्य दिवस का सत्र आहूत कर सकती है़ लेकिन अभी तक सरकार के स्तर से कोई सूचना नहीं है़
किस वर्ष, कब हुआ था शीतकालीन सत्र
2001 12 दिसंबर से 21 दिसंबर तक सात दिन
2002 23 दिसंबर से 28 दिसंबर तक चार दिन
2003 17 दिसंबर से 18 दिसंबर तक दो दिन
2004 30 दिसंबर से 31 दिसंबर तक दो दिन
2005 13 दिसंबर से 21 दिसंबर तक सात दिन
2006 18 दिसंबर से 22 दिसंबर तक पांच दिन
2007 14 दिसंबर से 28 दिसंबर तक चार दिन
2008 17 दिसंबर से 22 दिसंबर तक पांच दिन
2010 28 दिसंबर से चार जनवरी तक तीन दिन
2011 19 दिसंबर से 23 दिसंबर तक पांच दिन
2012 30 नवंबर से 6 दिसंबर तक पांच दिन
2013 13 दिसंबर से 20 दिसंबर तक छह दिन
2014 विधानसभा चुनाव
2015 15 दिसंबर से 22 दिसंबर तक छह दिन
2016 17 नवंबर से 25 नवंबर तक छह दिन
2017 12 दिसंबर से 15 दिसंबर तक चार दिन

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