झारखंड के शहरी बेघरों को ठंड से बचाने के लिए योजना नहीं बनाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को झारखंड सरकार द्वारा अब तक शहरी बेघरों के लिए कोई कार्य योजना तैयार नहीं करने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि राज्य को जल्द से जल्द योजना बनानी चाहिए, ताकि ऐसे लोगों को सर्दी के मौसम की अनिश्चितताओं से बचाया जा सके. जस्टिस मदन बी […]
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को झारखंड सरकार द्वारा अब तक शहरी बेघरों के लिए कोई कार्य योजना तैयार नहीं करने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि राज्य को जल्द से जल्द योजना बनानी चाहिए, ताकि ऐसे लोगों को सर्दी के मौसम की अनिश्चितताओं से बचाया जा सके.
जस्टिस मदन बी लोकूर की अध्यक्षता वाली एक पीठ को सूचित किया गया कि झारखंड व जम्मू-कश्मीर राज्य के अलावा अन्य सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने सर्दियों में शहरी बेघरों के लिए कार्य योजनाओं को अंतिम रूप दे दिया है. पीठ ने जब झारखंड के वकील से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें आज सुबह ही निर्देश प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अदालत को इस बारे में जानकारी देने के लिए एक दिन का समय मांगा. पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि झारखंड राज्य के पास सर्दी के लिए कोई योजना नहीं है.
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें उम्मीद है कि झारखंड राज्य अगले कुछ दिनों में एक योजना तैयार कर लेगा, ताकि शहरी बेघरों को सर्दी के मौसम की अनिश्चितताओं से बचाया जा सके. जम्मू-कश्मीर के लिए पेश हुए वकील ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में शहरी बेघरों की संख्या करीब 250 है और उन्हें कंबल व अन्य सुविधाएं देने के प्रावधान कर दिये गये हैं. वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को अगले दो से तीन दिन में कार्ययोजना प्रदान कर दी जायेगी.