‘टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट-2018’ : रस्किन बांड ने कहा, आज के लेखकों को प्लेटफॉर्म सहजता से उपलब्ध

रांची : रांची आने का मैं सपना देखा करता था और अब जाकर यह सपना सच हुआ है. मैं बहुत खुश हूं और उम्मीद करता हूं कि यह कार्यक्रम सफल होगा. उक्त बातें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार रस्किन बांड ने आज ‘टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट-2018’ के उद्‌घाटन अवसर पर कही. आज इस साहित्यिक मीट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2018 4:55 PM

रांची : रांची आने का मैं सपना देखा करता था और अब जाकर यह सपना सच हुआ है. मैं बहुत खुश हूं और उम्मीद करता हूं कि यह कार्यक्रम सफल होगा. उक्त बातें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार रस्किन बांड ने आज ‘टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट-2018’ के उद्‌घाटन अवसर पर कही. आज इस साहित्यिक मीट का उद्‌घाटन संयुक्त रूप से रस्किन बांड और प्रसिद्ध साहित्यकार – पत्रकार उदय प्रकाश ने किया.

उद्‌घाटन अवसर पर उदय प्रकाश ने कहा कि इस तरह के आयोजन पहले बड़े शहरों में होते थे, लेकिन अब इनका विस्तार छोटे शहरों में भी होने लगा है. छोटे शहरों में इस तरह के आयोजन से वहां की प्रतिभाओं को भी मौका मिलता है और लोगों की साहित्य के प्रति रुचि जगती है.

प्रभात खबरके प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि रांची में यह आयोजन दूसरी बार हो रहा है और यहां जिस तरह की भीड़ है, उसे देखकर यह कहना गलत होगा कि साहित्य के प्रति लोगों की रुचि घटी है.

उदय प्रकाश के साथ प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने लोकप्रियता या साहित्यिक सच: लेखक के असली उद्देश्य क्या है विषय पर चर्चा की. इस अवसर पर उदय प्रकाश ने कहा कि मैं बाजार का समर्थन करता हूं क्योंकि इससे साहित्यकारों को फायदा मिलता है. एक लेखक जब अपनी रचना लेकर यहां आता है, तो उसे पढ़ने वाले मिल जाते हैं और वह लोकप्रिय हो जाता है, इसलिए मैं इसे गलत नहीं मानता. बाजार और बाजारवाद दो अलग-अलग शब्द हैं इसका घालमेल नहीं होना चाहिए. वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि विचार अलग हों तो लोगों को सहिष्णु नहीं होना चाहिए. कार्यक्रम का संचालन मालविका बनर्जी ने किया. उन्होंने कार्यक्रम के बारे मेंविस्तृत जानकारी भी दी. मालविका बनर्जी ने बताया कि यह कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा और इस दौरान साहित्य में रूचि रखने वाले लोग शिरकत कर सकते हैं. कार्यक्रम के बारे मेंजानकारी देते हुए टाटा स्टील के कार्पोरेट सर्विस के वाइसप्रेसीडेंट चाणक्य चौधरी ने बताया कि हमारी यह कोशिश रहती है कि कम्युनिटी से संपर्क करना चाहते हैं. हम लोगों को इससे जोड़ना चाहते हैंताकि उन्हेंफायदा हो. पहले हम जमशेदपुर तक सीमित थे, फिर वहांसे बाहर निकले कोलकाता, भुवनेश्वर और अब रांची मेंहम लिटरेरी मीट आयोजित करवा रहे हैं. इससे युवाओं को जानने का मौका मिलता है और हम भी इनरिच होते हैं.

लघुकथा लेखन मुझे सबसे प्रिय : रस्किन बांड

प्रभात खबर डॉट कॉम के साथ बातचीत में रस्किन बांड ने कहा कि मैं पिछले 65 सालों से लेखन कर रहा हूं और मैंने कई विधाओं में लिखा है, लेकिन लघुकथा का लेखन मुझे बहुत प्रिय है. मैंने अपने लेखन में जीवन को शामिल किया. मैंने जो देखा वो लिखा. हमारे समय में प्रकाशक कम होते थे, आज कई प्रकाशक हैं. इसके कारण नये लेखकों को अच्छा अवसर मिलता है. जहां तक बात सोशल मीडिया को प्लेटफार्म के तरह इस्तेमाल करने की है, तो यह गलत नहीं है. लेखन पर निर्भर है कि वह कैसा है. हर इंसान लेखक नहीं हो सकता, लेकिन फेसबुक को डंपिग प्लेस कहना भी गलत होगा.

किताबों पर बैन उचित नहीं : उदय प्रकाश

उदय प्रकाश ने कहा कि भारत एक विविध संस्कृतियों के घालमेल का देश है और यही उसकी विशेषता भी है. ऐसे में यह जरूरी नहीं कि हर एक इंसान दूसरे की बातों और विचारों से सहमत हो, लेकिन बोलने का हक सबको होना चाहिए. यह जरूरी भी है, तभी आप एक दूसरे का सम्मान कर पायेंगे. इसलिए किताबों पर बैन उचित नहीं है, कहने दीजिए जो बात लोग कहना चाहते हैं. जहां तक बात नये लेखकों की है, तो उन्हें अपना लेखन करना चाहिए, पुरस्कार की चाह में लेखन सही नहीं है. आप जितना बेहतर लिख सकते हैं, लिखें.

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